डिजिटल पेमेंट पर लगने वाले चार्ज पर सरकार का रुख साफ, पेमेंट कंपनियों के हाथ आई निराशा
सरकार ने रुपे और यूपीआई द्वारा डिजिटल पेमेंट पर ज़ीरो एमडीआर नीति को लेकर अपना रुख बिलकुल स्पष्ट कर दिया है। हाल ही में वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने पेमेंट क्षेत्र के दिग्गजों के साथ एक बैठक की थी।
देश की वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने डिजिटल पेमेंट के संबंध में यूजर पर लगने वाले मेर्चेंट डिसकाउंट रेट (एमडीआर) को लेकर सरकार की ओर से स्थिति को स्पष्ट कर दिया है। निर्मला सीताराम ने बीते दिनों पेमेंट इंडस्ट्री के दिग्गजों के साथ एक अहम बैठक की थी।
वित्त मंत्री के अनुसार सरकार ज़ीरो एमडीआर नीति पर न तो बदलाव करेगी और न ही इसे वापस लेगी। इसी के साथ इस नीति चलते पेमेंट कंपनियों को होने वाले नुकसान को लेकर भी सरकार किसी भी तरह की भरपाई के लिए बाध्य नहीं होगी।
बैठक के दौरान वित्त मंत्री ने यह जरूर स्पष्ट किया है कि इसके चलते बैंकों को नगदी प्रबंध में होने वाले खर्च में जो बचत होगी, उससे उन्हे व्यापारियों में निवेश करने के लिए बाध्य किया जाएगा।
इस बैठक में वित्तमंत्री के साथ 6 सदस्यी दल ने हिस्सा लिया था, जिसका नेतृत्व पेमेंट काउंसिल ऑफ इंडिया के चेयरमैन विश्वास पटेल कर रहे थे। दल में बिलडेस्क के चेयरमैन अजय कौशल, हिताची पेमेंट के वाइस चेयरमैन लोनी एंटनी और पीसीआई के एक्सिकिटिव डायरेक्टर गौरव चोपड़ा, पेटीएम के सीईओ विजय शेखर शर्मा और फोनपे के संस्थापक समीर निगम शामिल थे। इस बैठक में सरकार की तरफ से दो वरिष्ठ सचिवों ने भी हिस्सा लिया था।
बैठक के दौरान वित्तमंत्री ने डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा देने के लिए पेमेंट कंपनियों की सराहना जरूरी की, लेकिन रुपे और यूपीआई पर ज़ीरो एमडीआर को लेकर वित्तमंत्री का रुख बिलकुल स्पष्ट रहा।
सरकार ने जनवरी 2020 से व्यापारियों पर रुपे और यूपीआई के जरिये पेमेंट लेने पर एमडीआर को घटाकर ज़ीरो करने का आदेश जारी किया था। अभी तक 2 हज़ार रुपये की अधिक की पेमेंट पर एमडीआर की दर 0.6 प्रतिशत थी, जबकि 2 हज़ार की कम की पेमेंट पर कोई चार्ज नहीं लग रहा था, हालांकि यह चार्ज इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा वहन किया जा रहा था।