ग्रिड-इंडिया ने हासिल किया मिनीरत्न कंपनी का दर्जा, जानिए क्या होती हैं 'मिनीरत्न' कंपनियां
भारत सरकार के विद्युत मंत्रालय द्वारा प्रदत्त यह मान्यता देश के विद्युत परिदृश्य में ग्रिड-इंडिया की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित करती है.
ग्रिड कंट्रोलर ऑफ इंडिया लिमिटेड (ग्रिड-इंडिया) ने मिनीरत्न श्रेणी-I केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यम (सीपीएसई) का दर्जा प्राप्त करके एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है. भारत सरकार के विद्युत मंत्रालय द्वारा प्रदत्त यह मान्यता देश के विद्युत परिदृश्य में ग्रिड-इंडिया की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित करती है.
2009 में स्थापित, ग्रिड-इंडिया के पास भारतीय विद्युत प्रणाली के त्रुटिहीन और निर्बाध संचालन की देखरेख करने, क्षेत्रों के भीतर और उनके पार विद्युत शक्ति का कुशल हस्तांतरण सुनिश्चित करने, विश्वसनीयता, मितव्ययिता और स्थिरता पर ध्यान देने के साथ ही साथ पारदेशीय विद्युत विनिमय सुगम बनाने का महत्वपूर्ण दायित्व है. यह किफायती और कुशल थोक विद्युत बाजारों को सुगम बनाता है और निपटान प्रणालियों का प्रबंधन करता है.
पांच क्षेत्रीय लोड डिस्पैच केंद्रों (आरएलडीसी) और राष्ट्रीय लोड डिस्पैच सेंटर (एनएलडीसी) के समावेशन युक्त ग्रिड-इंडिया दुनिया की सबसे बड़ी और सबसे जटिल विद्युत प्रणालियों में से एक, ऑल इंडिया सिंक्रोनस ग्रिड के प्रबंधन की बड़ी जिम्मेदारी निभाती है. बीते वर्षों में, ग्रिड-इंडिया ने विद्युत प्रणालियों के सम्मिलन, बढ़ती ऊर्जा मांगों, नवीकरणीय ऊर्जा (आरई) स्रोतों के प्रसार, आर्थिक विकास एवं तकनीकी प्रगति के साथ-साथ विकसित होते नियमों और बाजार की जरूरतों के अनुरूप तेजी से कार्य किए हैं.
ज्ञान-संचालित संगठन के रूप में ग्रिड-इंडिया विद्युत क्षेत्र की बदलती जरूरतों के अनुरूप भारत सरकार द्वारा सौंपे गए विविध कार्यों को पूरा करने के लिए समर्पित है. इसकी अटूट प्रतिबद्धता क्षेत्रीय और राष्ट्रीय विद्युत प्रणालियों का एकीकृत संचालन सुनिश्चित करने, अत्यधिक विश्वसनीयता, सुरक्षा और आर्थिक दक्षता के साथ विद्युत ऊर्जा हस्तांतरण की सुविधा प्रदान करने में निहित है. इतना ही नहीं, ग्रिड-इंडिया सभी सम्मिलित हितधारकों के लिए समान अवसर प्रदान करने को बढ़ावा देते हुए स्वतंत्र प्रणाली के संचालन के सिद्धांतों को कायम रखती है.
क्या होती हैं 'मिनीरत्न' कंपनियां
'मिनीरत्न' भारत में सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों (पीएसयू) की एक केटेगरी है. यह टैग इन कंपनियों को दी गई स्वायत्तता और ऑपरेशनल लचीलेपन के स्तर का प्रतीक है. "मिनीरत्न" शब्द का अंग्रेजी में अनुवाद "मिनी ज्वेल" है. इन कंपनियों को नवरत्न और महारत्न कंपनियों से छोटी माना जाता है लेकिन फिर भी इनमें कुछ हद तक स्वतंत्रता होती है. मिनीरत्न के रूप में क्लासिफाई होने के मानदंड भारत में डिपार्टमेंट ऑफ पब्लिक एंटरप्राइज (डीपीई) द्वारा निर्धारित किए जाते हैं. आम तौर पर, मिनीरत्न कंपनियों को अच्छे वित्तीय स्वास्थ्य का प्रदर्शन करना चाहिए और कुछ ऑपरेशनल मापदंडों को पूरा करना चाहिए. लगातार 3 सालों तक 30 करोड़ रुपये से अधिक प्रॉफिट दर्ज करने से मिनिरत्न का टैग मिल सकता है.