कैसे इस फाइनेंसर से उद्यमी बने शख्स ने बनाई 200 करोड़ रुपये की कंपनी, इसरो के मंगलयान प्रोजेक्ट में भी दिया योगदान
कहते हैं कि उद्यमी बनने के लिए अपने अंदर की आवाज को खोजने का कोई निर्धारित समय नहीं है और स्माइल इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड के डायरेक्टर मुकेश गुप्ता इस फेमस कहावत के बिल्कुल सही उदाहरण हैं। प्राइवेट फानेंसियल मार्केट में 25 साल के अनुभव के साथ एलएलबी स्नातक 63 वर्षीय मुकेश ने इलेक्ट्रॉनिक्स इंडस्ट्री में एक व्यावसायिक अवसर पाया। इस सबके अलावा वे कैटेगरी 1 मर्चेंट बैंकिंग एंटरप्राइज भी चला रहे हैं।
YourStory के साथ बातचीत में, दूसरी पीढ़ी की उद्यमी व मुकेश गुप्ता की बेटी सीओओ अशिता गुप्ता जिन्होंने 2012 में कंपनी को ज्वाइन किया था, वे कहती हैं,
“मेरे पिता जब फाइनेंसर थे तब उनके पास क्लाइंट के रूप में बड़े कॉर्पोरेट थे। उन्हें इलेक्ट्रॉनिक्स इंडस्ट्री की काफी अच्छी समझ थी। अपनी कम समझ के साथ, उन्होंने अपने जान पहचान वालों से मार्गदर्शन लेते हुए उद्योग में कदम रखने का फैसला किया।"
फाइनेंसर से बने उद्यमी
मुकेश गुप्ता ने 2000 में इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग सर्विसेज (ईएमएस) कंपनी के रूप में डिजाइन, मैन्युफैक्चरिंग, फुलफिलमेंट, कंपलीट फॉरवर्ड और रिवर्स लॉजिस्टिक्स सर्विसेस व दुनिया के प्रौद्योगिकी दिग्गजों के लिए समग्र प्रोडक्ट लाइफ साइकिल मैनेजमेंट सर्विसेस देने के लिए स्माइल इलेक्ट्रॉनिक्स की शुरुआत की।
कंपनी के प्रमुख शेयरधारक उनके अलावा उनकी पत्नी सुमन गुप्ता हैं। कंपनी की स्थापना बेंगलुरू में रक्षा क्षेत्र के लिए एक कंसाइनड असेंबली के साथ की गई थी - मुख्य रूप से भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (बीईएल)। अशिता कहती हैं, “2000 में, बड़ी संख्या में पब्लिक सेक्टर अंडरटेकिंग (PSUs) का वर्कफोर्स प्राइवेट सेक्टर में शिफ्ट हो रहा था। ये वर्कफोर्स प्राइवेट सेक्टर को निजी तौर पर बेसिक डिफेंस कंपोनेंट्स बनाने में सक्षम करने के लिए उधर शिफ्ट हो रहा था। स्माइल इलेक्ट्रॉनिक्स ने इस अवसर को हासिल किया और बीईएल के साथ हमारी पहली परियोजना शुरू हुई।”
स्माइल इलेक्ट्रॉनिक्स ने ग्रो किया और इसने एयरफोर्स और नेवी के लिए हाई-टेक, अत्यधिक जटिल प्रिंटेड सर्किट बोर्ड को शामिल किया। टेलीकम्युनिकेशन और मेडिकल डिवाइसेस के सेक्टर में एक गैप देखने के बाद मुकेश ने इस सेगमेंट में भी कदम रखने का सोचा। हालांकि, 2012 में, भारत में 2जी टेलीकॉम घोटाले के बाद से टेलीकॉम इन्फ्रास्ट्रक्चर उद्योग नाटकीय रूप से धीमा हो गया, इसलिए स्माइल इलेक्ट्रॉनिक्स ने खुद में विविधता लाने का फैसला किया और अन्य वर्टिकल्स में बड़े वैश्विक व्यवसायों को टारगेट किया। इसके लिए इंफ्रास्ट्रक्चर में अपग्रेड, बिजनेस पर ध्यान केंद्रित करने और संस्कृति में बदलाव की आवश्यकता थी, जो 2015 से इसकी ग्रोथ का कारण रहा।
स्माइल इलेक्ट्रॉनिक्स की मैसूरु में मैन्युफैक्चरिंग फैसिलिटी है और सिंगापुर और फ्रेमोंट (यूएसए) में इसके प्रोक्योरमेंट ऑफिस हैं। कंपनी सालाना 200 करोड़ रुपये का कारोबार करती है।
बड़े बाजार में विविधता लाना और इसरो
20 वर्षों की अवधि में, स्माइल इलेक्ट्रॉनिक्स ने टर्नकी बेसिस पर इलेक्ट्रॉनिक वस्तुओं के विनिर्माण में विविधता ला दी है, जिसमें कंज्यूमर इलेक्ट्रॉनिक्स, टेलीकम्युनिकेश, ऑटोमोटिव (मोटर वाहन), डिफेंस और एयरोस्पेस प्रोडक्ट्स के एप्लीकेशन्स शामिल हैं। कंपनी के प्रोडक्ट पोर्टफोलियो और कस्टमर बेस में वॉशिंग मशीन (प्रिटेंड बोर्ड असेंबली) पीबीए, रेफ्रिजरेशन पीबीए, एयरबोर्न टेलीमेट्री पीबीए, बायोमेट्रिक डिवाइस पीबीए, रेडियो फ्रीक्वेंसी पीबीए, पॉवर सप्लाई बिल्ड्स, एनर्जी मीटर पीबीए, वियरेबल इलेक्ट्रॉनिक्स, फ्लाइट कंट्रोल पैनल, टैबलेट, और फोन मॉड्यूल शामिल हैं।
ये प्रोडक्ट्स मुख्य रूप से कंज्यूमर इलेक्ट्रॉनिक्स, इलेक्ट्रिसिटी, इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी और टेलीकम्युनिकेशन सेगमेंट में आवेदन प्राप्त करते हैं, जो वित्त वर्ष 2019 में कंपनी के राजस्व में 89 प्रतिशत के करीब योगदान करते हैं। स्माइल इलेक्ट्रॉनिक्स प्रमुख रूप से घरेलू बाजार को पूरा करती है, जो 2019 में कुल राजस्व का लगभग 90.80 प्रतिशत है। कंपनी के निर्यात बाजार में अमेरिका, चीन, दक्षिण कोरिया और जापान शामिल हैं।
स्माइल इलेक्ट्रॉनिक्स के मजबूत ग्राहक आधार में लार्सन एंड टुब्रो, सैमसंग, बॉश, हनीवेल, टीवीएस, एचपी, अल्ट्रान, वोल्वो, वेस्टर्न डिजिटल, और कई शामिल हैं। स्माइल इलेक्ट्रॉनिक्स उन कुछ कंपनियों में से एक है, जिन्होंने इसरो के मंगलयान प्रोजेक्ट में भी योगदान दिया है।
कंपनी एसडी एसोसिएशन के बोर्ड में भी है। एसडी एसोसिएशन एक अमेरिकी गैर-लाभकारी संगठन है जो उपयोग को आसान बनाने और उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स के परफॉर्मेंस को ऑप्टिमाइज करने के लिए मेमोरी कार्ड स्टैंडर्ड्स को सेट करता है जिसे दुनिया भर में लोग उपयोग करते हैं।
बिजनेस में बिताए इन लंबे वर्षों में, कंपनी को ISO 14001: 2015, AS9100D और ISO 9001: 2015, ISO 14001: 2004, IATF 16949: 2016 और ISO 9001: 2005 NQA से एक्रीडेशन मिले हैं। NQA क्वालिटी मैनेजमेंट सिस्टम, मैन्युफैक्चरिंग, असेंबली और एयरोस्पेस व ऑटोमोटिव एप्लीकेशन्स के लिए प्रिंटेड सर्किट बोर्ड असेंबलीज के टेस्ट और इंटीग्रेशन के लिए एक ब्रिटिश एक्रीडेशन कंपनी है।
प्रारंभिक संघर्ष और प्रमुख चुनौतियां
शुरुआती संघर्ष के बारे में बात करते हुए, अशिता कहती हैं कि मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर के अत्यधिक कैपिटल इंटेंसिव होने के बावजूद, मुकेश ने अपने शुरुआती दिनों में, गैर-सहायक नीति वातावरण की पृष्ठभूमि में बहुत अधिक सक्रिय पूंजी निवेश की। वे कहती हैं, “मेरे पिता के अंदर मौजूद एक फाइनेंसर ने उन्हें अपने शुरुआती वर्षों में आने वाली चुनौतियों से कभी लड़खड़ाने नहीं दिया। हालांकि, उन्हें यह समझने में देर नहीं लगी कि एक मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में, किसी को पैसे बचाए रखने होते हैं और इसीलिए वह खर्चों पर सख्त नियंत्रण रखने में सक्षम रहे।”
आशिता कहती हैं कि कंपनी अभी भी निवेश के साथ समस्याओं का सामना करती है। अन्य चुनौतियों में सही और कुशल कार्यबल और बढ़ती लागतों का पता लगाना है।
चीन पर कम निर्भर कैसे बनें?
कोरोनावायरस के प्रकोप के साथ, भारतीय विनिर्माण क्षेत्र ने एक नई गिरावट देखी है। कई उद्यमियों के अनुसार, चीन से आयात की निर्भरता कम करने के लिए मेक-इन-इंडिया पहल को आगे आने का ये सबसे सही समय है। इस चिंता पर प्रकाश डालते हुए, अशिता का कहना है कि नीति स्तर पर, सरकार कंपोनेंट सप्लाई चैन को बढ़ाने और एक फुल सर्विस ईकोसिस्टम का संश्लेषण करने की दिशा में कार्यक्रम शुरू कर रही है। भारतीय हार्डवेयर उद्योग को और अधिक सेल्फ सफिशिएंट (आत्म निर्भर), सेल्फ रेलियंट (खुद पर भरोसा करने वाला), स्केल्ड और विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाने वाले हस्तक्षेपों और कार्यों को लगातार प्रोत्साहित करने की सख्त जरूरत है।
भविष्य की संभावनाएं
स्माइल इलेक्ट्रॉनिक्स अपनी विनिर्माण क्षमताओं का विस्तार करने और एक नई अत्याधुनिक सुविधा का निर्माण करके अपने डिजिटल फुटप्रिंट को बढ़ाने की योजना बना रही है, जिसमें 25 विनिर्माण लाइनें होंगी। ये सभी प्रोजेक्ट्स ऑटोमेशन और कस्टमर स्पेसिफिकेशन द्वारा संचालित होंगी और अपने ग्राहकों को सर्वोत्तम संभव समाधान प्रदान करने में मदद करने के लिए होंगी।
कंपनी का लक्ष्य अगले पांच वर्षों में 500 करोड़ रुपये के राजस्व को हासिल करना है, जिससे घरेलू कर्मचारियों के लिए 1,000 से अधिक नौकरियां पैदा होंगी। आशिता का कहना है कि कंपनी रिसर्च एंड डेवलपमेंट (आरएंडडी) सुविधाओं में एक मजबूत वृद्धि देख रही है जो जल्द ही कई वैश्विक ब्रांडों के लिए पूर्ण ऑरिजिनल डिजाइन मैन्युफैक्चरर (ODM) सपोर्ट शुरू करेगी।
Edited by रविकांत पारीक