गरीब बच्चों को दान किए खिलौने बांटकर फैलाई खुशियां, राष्ट्रपति ने किया पुरस्कृत
हममें से अधिकतर लोगों का बचपन ऐसा रहा होगा कि हमें खिलौने और खेलने के कई सामान उपलब्ध थे। लेकिन क्या कभी आपने सोचा है कि उन बच्चों का बचपन कैसे बीतता होगा, जिनेके माता-पिता के पास खिलौने खरीदने तक के पैसे नहीं होते। ऐसे बच्चों को खिलौने देकर उनके चेहरे पर मुस्कान लाने का काम कर रहे हैं कोलकाता के रहने वाले 17 वर्षीय आर्यमान लखोटिया। आर्यमान घर-घर जाकर लोगों के यहां से खिलौने इकट्ठे करते हैं और उन्हें फिर गरीब बच्चों में बांट देते हैं।
सेंट जेम्स स्कूल में पढ़ने वाले आर्यमान ने आज से तीन साल पहले एक 'टॉय जॉय फाउंडेशन' नाम से एक संगठन बनाया था। इस फाउंडेशन के जरिए वे गरीब और बेसहारा बच्चों का बचपन वापस दिला रहे हैं। यह फाउंडेशन पूरी तरह से स्टूडेंट्स द्वारा संचालित होता है। द बेटर इंडिया से बात करते हुए आर्यमान ने बताया कि इस काम को शुरू करने का आइडिया तीन साल पहले आया था जब वे एक ट्रिप पर जयपुर गए थे। आर्यमान कहते हैं,
“मैं अपनी चचेरी बहन अनुष्का साहू के 16वें जन्मदिन पर जयपुर गया था। हम पार्टी से लौट रहे थे और कार कई तरह के गिफ्ट्स से भरी हुई थी। जब कार एक ट्रैफिक सिग्नल पर रुकी तो एक बच्चे ने खिड़की खटखटाई। उसकी नजरें कार के अंदर रखे गिफ्ट पर थीं। हमने उसकी आंखों में गिफ्ट्स के लिए एक तड़प देखी। हमने सोचा कि ये गिफ्ट्स हमारे लिए उतने कीमती नहीं हैं जितने कि उस बच्चे के लिए। उस दिन के बाद मैंने सोच लिया कि अब ऐसे बच्चों के लिए किसी भी तरह खिलौनों का जुगाड़ करना ही है।”
इसके बाद से आर्यमान ने अपने परिवार, रिश्तेदार और दोस्तों की मदद से खिलौने इकट्ठे करने शुरू कर दिए। इस काम में आर्यमान की कजन अनुष्का और उनकी दोस्त राशि चौधरी ने भी साथ दिया। उस वक्त वे 11वीं क्लास में थे। आर्यमान की बहन अनन्या ने भी इस काम में पूरा सहयोग दिया। हालांकि सारा काम आर्यमान की दादी आशा लखोटिया की देखरेख में हो रहा था। वे कहते हैं, 'दादी मां के बिना हम ये काम नहीं कर सकते थे। आज हम छह शहरों में यह काम कर रहे हैं। इसमें उनका पूरा सहयोग रहा है।'
आर्यमान के दोस्तों और जान पहचान के लोगों ने उनका इतना सहयोग किया कि उनका एक कमरा पूरे खिलौनों से ही भर गया। वे बताते हैं कि उनके पास हजारों दान किए गए खिलौने हैं। इनमें से कुछ पुराने हैं तो कुछ नए भी हैं। जो खिलौने ज्यादा पुराने या टूटे हुए होते हैं उन्हें रिपेयर भी करने का काम करते हैं। इन खिलौनों को अनाथालय, स्कूलों और झुगगी झोपड़ियों के बच्चों में बांटा जाता है। आज आर्यमान का यह फाउंडेशन मुंबई, अहमदाबाद, नोएडा, बेंगलुरु, जयपुर जैसे शहरों में चल रहा है।
आर्यमान बताते हैं कि वे नागपुर और भुवनेश्वर शहरों तक पहुंचने की भी योजना बना रहे हैं। उनके इस सराहनीय काम के लिए हाल ही में राष्ट्रपति ने उन्हें प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार से सम्मानित भी किया। आर्यमान कहते हैं, 'यह मेरे लिए गर्व की बात है। हमें इस काम में आनंद तो आता ही है साथ ही उन बच्चों के चेहरे पर खुशी देखकर दिल भी खुश हो जाता है। मुझे उम्मीद है कि देश के युवा इस काम से प्रेरणा लेंगे और समाज के लिए कुछ बेहतर करेंगे।'
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