लॉकडाउन में चंदेरी बुनकरों की मदद के लिए आगे आईं अभिनेत्री कृतिका कामरा, शुरू किया इंस्टाग्राम स्टोर
"अभिनेत्री कृतिका कामरा ने 2020 में कोरोना वायरस महामारी की पहली लहर के दौरान जब मध्य प्रदेश में अपने होमटाउन का दौरा किया, तो उन्होंने चंदेरी में हथकरघा बुनकरों की दुर्दशा देखी। बुनकरों की इस हालत ने उन्हें और उनकी मां को परेशान कर दिया। बुनकरों से बात करने के बाद, मां-बेटी की जोड़ी ने चंदेरी साड़ी बेचने वाला एक इंस्टाग्राम स्टोर सिनाबार (Cinnabar) शुरू करने का फैसला किया।"
अभिनेत्री कृतिका कामरा ने 2020 में कोरोना वायरस महामारी की पहली लहर के दौरान जब मध्य प्रदेश में अपने होमटाउन का दौरा किया, तो उन्होंने चंदेरी में हथकरघा बुनकरों की दुर्दशा देखी।
कृतिका योरस्टोरी से बातचीत में कहती हैं,
“मैं मध्य प्रदेश के एक छोटे से शहर से हूं, जो चंदेरी के करीब है। मुझे उस जगह की स्थापत्य सुंदरता हमेशा पसंद आई है, जो काफी समृद्ध और जीवंत है। हम हमेशा चंदेरी से अपनी साड़ियां खरीदते हैं। लेकिन लॉकडाउन के दौरान बुनकरों की हालत वाकई बहुत खराब थी। उनके पास साड़ियों के स्टॉक के ढेर लगे थे, लेकिन वे उन्हें बेच नहीं सकते थे। इसका मतलब था कि उनके पास आजीविका का कोई साधन भी नहीं था।"
बुनकरों की इस हालत ने उन्हें और उनकी मां को परेशान कर दिया। बुनकरों से बात करने के बाद, मां-बेटी की जोड़ी ने चंदेरी साड़ी बेचने वाला एक इंस्टाग्राम स्टोर सिनाबार शुरू करने का फैसला किया।
कृतिका बताती हैं,
“हम सालों से सीधे बुनकरों से साड़ी खरीद रहे हैं। सिनाबार चंदेरी के बुनकरों को सशक्त बनाने और उन्हें आय अर्जित करने और जीवन यापन करने के लिए एक मंच खोजने में मदद करने का एक तरीका है। हमने महसूस किया कि इन बुनकरों को कुछ महीनों के लिए पैसे या राशन देने से उनकी समस्या का समाधान नहीं होगा। यह कुछ ऐसा होता कि हम घाव पर टांके लगाने की जगह बस एक बैंडेज लगा रहे हैं।”
कृतिका कहती हैं कि एनआईएफटी (NIFT) में पढ़ाई के दौरान मिले अनुभव ने उन्हें फैशन और व्यवसाय की बुनियादी समझ हासिल करने में मदद की।
बुनकरों को इंस्टाग्राम पर लाना
मां-बेटी की जोड़ी इन साड़ियों को सीधे बुनकरों से खरीदती है और ऑनलाइन बेचती है। कृतिका की मां कुमकुम बुनकरों से साड़ियां मंगवाती हैं और सभी परिचालन कार्यों का ध्यान रखती हैं। चूंकि स्टॉक में पहले से ही कई साड़ियां हैं, इसलिए दोनों ने ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर उन्हें प्रदर्शित करना शुरू कर दिया। उन्होंने कपड़े के थैले बनाने में मदद करने के लिए एक स्थानीय दर्जी को भी काम पर रखा ताकि साड़ियों को भी पैक किया जा सके।
कृतिका कहती हैं,
"हम बुनकरों को नकद भुगतान करते हैं क्योंकि वे उस समय उन्हें अपने पास पैसे की जरूरत होती है।" वह कहती हैं कि साड़ियों की कीमत 5,000 रुपये से लेकर 50,000 रुपये तक है।"
कृतिका कहती हैं,
“हर परिवार में एक करघा और चार बुनकर होते हैं। मेरी माँ इन गाँवों की यात्रा करती हैं और बुनकरों से जुड़ती हैं, जो हमें क्षेत्र के अन्य बुनकरों से जोड़ते हैं। वर्तमान में, चूंकि बहुत सारे मौजूदा स्टॉक और कच्चे माल हैं, इसलिए हम उन्हें चालू कर रहे हैं।”
दूसरी लहर पहली की तुलना में अधिक कठिन थी, हालांकि इसके बावजूद टीम अपने पैरों पर वापस खड़े आने और अपने बुनकरों के साथ जुड़ाव को जारी रखने में सक्षम थी।
संयोग से बनीं अभिनेत्री और उद्यमी
कृतिका का कहना है कि सिनेबार के साथ उद्यमिता में उनका प्रवेश भी उनके अभिनय यात्रा की तरह ही बिना योजना के है। एनआईएफटी से ग्रेजुएशन करने वाली कृतिका ने 'फ्लूक' से अभिनय में कदम रखा। कृतिका कहती हैं, "मैं कॉलेज में थी, और एक सुबह किसी ने कहा कि वे चाहते हैं कि मैं ऑडिशन दूं और इस तरह मैं अभिनय में आ गई।"
वह कहती हैं कि महामारी ने उन्हें कृतज्ञता सिखाई है। उन्होंने आगे कहा, "हमने चीजों को हल्के में नहीं लेना और अपने रिश्तों और रोजमर्रा की जिंदगी को प्रभावित करने वाली चीजों पर ध्यान देना सीख लिया है, जिन्हें हम नजरअंदाज कर देते हैं।"
युवतियों को सलाह देते हुए कृतिका कहती हैं,
“वह पहला कदम उठाएं। अपने पर विश्वास करें, तभी बाकी चीजें आपके मुताबिक होंगी। योजनाएं बनाना बहुत ज्यादा समय व्यतीत करना हैं क्योंकि चीजें आपके सोचे हुए तरीके से नहीं होती हैं। आपके पास हर बार प्लान नहीं होता है, और कभी-कभी आपके पास लोग नहीं होते हैं। यदि आप में पहला कदम उठाने का साहस है, तो चीजें ठीक हो जाती हैं।"
Edited by Ranjana Tripathi