जानिए कैसे अडानी ने खरीदी NDTV में 29% हिस्सेदारी, प्रमोटर्स को भनक तक नहीं लगी, यूं खेला बड़ा दाव
गौतम अडानी ने एनडीटीवी में 29 फीसदी हिस्सेदारी ले ली है. साथ ही अतिरिक्त 26 फीसदी के लिए ओपन ऑफर जारी कर दिया है. जानिए कैसे हुई ये डील कि प्रमोटर्स को भनक तक नहीं लगी.
देश के सबसे अमीर शख्स गौतम अडानी (Gautam Adani) ने मीडिया हाउस एनडीटीवी (NDTV) को खरीदने की प्लानिंग पर काम करना शुरू कर दिया है. इसके तहत अडानी ने करीब 29 फीसदी हिस्सेदारी ले भी ली है और 26 फीसदी हिस्सेदारी का ओपन ऑफर (Open Offer) जारी कर दिया है. यानी अगर उनके पास ये 26 फीसदी भी आ जाते हैं तो नई दिल्ली टेलीविजन लिमिटेड (New Delhi Television Ltd.) यानी एनडीटीवी पर गौतम अडानी का मालिकाना हक हो जाएगा. हालांकि, इस डील में एक बड़ा ट्विस्ट है. कंपनी के प्रमोटर्स का कहना है कि उन्हें इस टेकओवर के बारे में कोई जानकारी ही नहीं है. अब सवाल ये है कि आखिर ये कैसी डील है, जिसमें किसी की कंपनी का एक बड़ा हिस्सा बिक गया, लेकिन मालिकों को उसकी खबर ही नहीं. आइए आपको समझाते हैं ये पूरी डील कैसे हुई और इसकी बारीकियां क्या हैं.
पहले जानिए क्या है मामला
मंगलवार को विश्वप्रधान कमर्शियल प्राइवेट लिमिटेड यानी वीपीसीएल (VPCL) के पास एनडीटीवी की 29.2 फीसदी हिस्सेदारी चली गई. यह मुमकिन हुआ कन्वर्टिबल डिबेंचर्स के चलते, जिन्हें लोन के बदले एनडीटीवी की होल्डिंग कंपनी आरआरपीआर होल्डिंग प्राइवेट लिमिटेड (RRPR Holding Private Ltd.) ने जारी किया था. वीपीसीएल गौतम अडानी की ही कंपनी है, इसलिए अप्रत्यक्ष रूप से उन्होंने एनडीटीवी में 29.2 फीसदी हिस्सेदारी ले ली है. इस पर एनडीटीवी का कहना है कि इस बारे में कंपनी या उसके फाउंडर्स से कोई बात नहीं की गई है. ऐसे में इस अधिग्रहण को होस्टाइल टेकओवर (Hostile Takeover) यानी जबरन किया गया अधिग्रहण माना जा रहा है.
कैसे हुआ ये टेकओवर?
गौतम अडानी की कंपनी है अडानी एंटरप्राइजेज लिमिटेड (AEL) और एएमजी मीडिया नेटवर्क्स लिमिटेड (AMNL) इसी की मीडिया कंपनी है. मंगलवार को अडानी ग्रुप ने घोषणा की कि अडानी एंटरप्राइजेज की सब्सिडियरी कंपनी अडानी मीडिया नेटवर्क्स ने वीपीसीएल का अधिग्रहण कर लिया है. वीपीसीएल का मालिकाना हक इससे पहले एमिनेंट नेटवर्क्स एंड नेक्स्टवेव टेलिवेंचर्स के पास था.
वीपीसीएल के पास एनडीटीवी की होल्डिंग कंपनी आरआरपीआर के कन्वर्टिबल डिबेंचर्स थे, जिसे कंपनी ने लोन के बदले जारी किया था. कन्वर्टिबल डिबेंचर्स ऐसे वॉरंट होते हैं, जिनसे डेट यानी कर्ज को इक्विटी में बदला जा सकता है. ये डिबेंचर्स 2009-10 में 404 करोड़ रुपये के लोन के बदले लिए गए थे. वीपीसीएल ने इन डिबेंचर्स को ही इक्विटी में बदल दिया है. एनडीटीवी ने भी यही कहा है कि वीपीसीएल ने आरआरपीआर में 99.50 फीसदी हिस्सेदारी को कंट्रोल करने के अधिकार का इस्तेमाल किया है. हालांकि, उनका कहना है कि ऐसा करने से पहले प्रमोटर्स को बताया जाना चाहिए था.
भारत के सिक्योरिटीज कानून के अनुसार अगर कोई कंपनी किसी दूसरी लिस्टेड कंपनी में 25 फीसदी से अधिक की हिस्सेदारी लेती है तो उसे 26 फीसदी अतिरिक्त हिस्सेदारी लेने के लिए ओपन ऑफर लाना होता है. यही वजह है कि वीपीसीएल के जरिए आरआरपीआर में 29.18 फीसदी हिस्सेदारी खरीदने के बाद एएमएनएल ने अतिरिक्त 26 फीसदी के लिए ओपन ऑफर जारी किया है. यह ऑफर 294 रुपये प्रति शेयर के हिसाब से जारी किया गया है, जो मंगलवार को एनडीटीवी के बंद भाव 376 रुपये से करीब 28 फीसदी डिस्काउंट का रेट है.
किसकी कितनी हिस्सेदारी?
इस पूरी डील में लोगों के मन में एक बड़ा सवाल ये है कि आखिर किसके पास कितनी हिस्सेदारी है. सबसे पहले बात करते हैं प्रमोटर्स की. आरआरपीआर होल्डिंग प्राइवेट लिमिटेड के पास कंपनी के 29.18 फीसदी शेयर हैं. इसके अलावा 16.32 फीसदी शेयर राधिका रॉय के पास हैं, जबकि 15.94 फीसदी शेयर प्रणय रॉय के पास हैं. इसके अलावा एफआईआई के पास करीब 14.7 फीसदी की हिस्सेदारी है. वहीं लगभग 24 फीसदी शेयर पब्लिक के पास हैं.
एनडीटीवी के शेयरों में लगा अपर सर्किट
एनडीटीवी को गौतम अडानी खरीदने वाले हैं, इस खबर से भले ही कंपनी के प्रमोटर्स चिंता में हैं, लेकिन पब्लिक में खुशी की लहर सी दौड़ गई है. बुधवार को कंपनी के शेयर में खुलते ही उसमें अपर सर्किट लग गया. एनडीटीवी का शेयर एक झटके में करीब 5 फीसदी चढ़कर 388.20 रुपये के लेवल पर पहुंच गया है. यह कंपनी के शेयर का 52 हफ्तों का उच्चतम लेवल है. 1 अगस्त को कंपनी का शेयर 265 रुपये के स्तर पर था, जो आज 24 अगस्त को 388 रुपये के स्तर पर पहुंच गया है. यानी सिर्फ 24 दिन में ही कंपनी के शेयर ने करीब 46 फीसदी का रिटर्न दिया है.