अमेरिकी बैंक डूबने से भारत को हो सकते हैं ये 3 फायदे, तेजी से गिर रहा शेयर बाजार बन सकता है रॉकेट!
पिछले 4 दिन में सेंसेक्स करीब 2500 अंक गिरा है, जिससे दलाल स्ट्रीट के निवेशकों के करीब 10 लाख करोड़ रुपये स्वाहा हो गए. ये सब हो रहा है सिलिकॉन वैली बैंक के डूबने की वजह से. खैर, आने वाले दिनों में इससे भारत को 3 बड़े फायदा हो सकते हैं.
हाल ही में अमेरिका के सिलिकॉन वैली बैंक के डूबने (Silicon Valley Bank Collapse) की खबर आई. फिर सिग्नेचर बैंक डूबा और अब फर्स्ट रिपब्लिक भी उसी राह पर है. वैसे तो अमेरिका के इन बैंकों के डूबने की वजह से भारतीय शेयर बाजार (Share Market) पर बुरा असर देखने को मिल रहा है. 4 दिन में सेंसेक्स करीब 2500 अंक गिरा है, जिससे दलाल स्ट्रीट के निवेशकों के करीब 10 लाख करोड़ रुपये स्वाहा हो गए. एफआईआई तेजी से अपना पैसा खींचते जा रहे हैं. हालांकि, मार्केट एक्सपर्ट्स मान रहे हैं कि अमेरिकी बैंकों के डूबने से भारतीय शेयर बाजार पर कुछ अच्छे असर भी देखने को मिलेंगे. आइए जानते हैं कैसे होगा ये.
1- फेडरल रिजर्व नहीं बढ़ाएगा दरें, बाजार को मिलेगी तेजी
अमेरिकी बैंकों के संकट का एक बड़ा असर ये हो सकता है कि इससे अमेरिकी फेडरल रिजर्व अपनी दरों को बढ़ाने का सिलसिला रोक सकता है. एक्सपर्ट्स भी यही मान रहे हैं. कुछ तो ये भी मान रहे हैं कि फेड ब्याज दरों में 25 बेसिस प्वाइंट तक की कटौती कर सकता है. अगर ऐसा होता है तो भारतीय रिजर्व बैंक भी इस बार अप्रैल की बैठक में ब्याज दरों में बढ़ाने का सिलसिला रोक सकता है. इससे शेयर बाजार को थोड़ा मजबूती मिलना तय है, बशर्ते दरें ना बढ़ें.
2- कच्चे तेल के दाम गिरेंगे
सिलिकॉन वैली बैंक डूबने की वजह से वित्तीय संकट गहराने का खतरा पैदा हो गया है. इससे कच्चे तेल के दाम में भारी गिरावट देखने को मिल सकती है. WTI दिसंबर से अब तक अपने न्यूनतम स्तर पर है, वहीं Brent Crude भी जनवरी से अब तक के अपने निचले स्तर पर पहुंच गया है. भारत अपनी कच्चे तेल की अधिकतर जरूरत आयात के जरिए ही पूरी करता है. अगर कच्चा तेल सस्ता होता है तो इससे भारत को सस्ते दाम पर कच्चा तेल मिलेगा.
3- बॉन्ड यील्ड्स
अमेरिका के 2 साल और 10 साल दोनों तरह के बॉन्ड पर यील्ड में भारी गिरावट देखने को मिल रही है. 2 साला वाले यूएस बॉन्ड में 1980 के दशक के बाद से अब तक की सबसे बड़ी गिरावट देखने को मिली है. महज 3 दिनों में यह करीब 1 फीसदी तक टूट चुका है. यूएस बॉन्ड में यील्ड जितनी कम होगी, एफआईआई के लिए वहां पर निवेश आकर्षक नहीं रहेगा. इससे भारत को फायदा होगा और एफआईआई अधिक रिटर्न के लिए भारतीय शेयर बाजार का रुख कर सकते हैं.