इस खेती से होगा मुनाफा ही मुनाफा, इसमें जड़ से लेकर झाड़ और बीज तक सब बिकता है
अश्वगंधा की खेती से किसानों को तगड़ा मुनाफा होता है. इसमें जड़ से लेकर झाड़ और बीज तक सब बिकता है. औषधीय गुणों की वजह से इसकी कीमत भी अच्छी मिलती है.
अगर आप भी एक किसान हैं और खेती से तगड़ा मुनाफा कमाना चाहते हैं तो आपको धान-गेहूं की परंपरागत खेती से कुछ अलग करना होगा. आप चाहे तो कुछ औषधीय फसलों की भी खेती कर सकते हैं. अपने औषधीय गुणों की वजह से इनकी कीमत अच्छी मिलती है. ऐसी ही एक खेती है अश्वगंधा (Ashwagandha Farming) की. इसमें अच्छी बात यह है कि इसकी जड़, झाड़ और बीज सब कुछ बिकता है. यानी यह कहना गलत नहीं होगा कि अश्वगंधा की खेती में किसानों का मुनाफा ही मुनाफा है. अश्वगंधा की जड़ें जितनी मोटी होंगी, आपको उनका उतना ही बेहतर दाम मिलेगा. आइए जानते हैं कैसे होती है अश्वगंधा की खेती (how to do Ashwagandha Farming) और साथ ही समझते हैं इसके फायदे (Benefits of Ashwagandha).
पहले जानते हैं अश्वगंधा के फायदे
अश्वगंधा एक औषधीय गुण वाला पौधा होता है जो हमारी इम्युनिटी बढ़ाने में मदद करता है. कोरोना काल में यह देखा गया कि लोगों की इम्युनिटी कमजोर होने की वजह से वह आसानी से संक्रमित हो रहे थे. तमाम कंपनियां इसका इस्तेमाल च्यवनप्रास बनाने में भी करती हैं. अश्वगंधा के सेवन से तनाव और चिंता से भी मुक्ति मिलती है.
इसका एक फायदा यह भी है कि इससे नर्वस सिस्टम मजबूत होता है. यही वजह है कि इसका लकवा और रीढ़ की हड्डी में दिक्कत होने जैसी बीमारियों में भी किया जाता है. इसका इस्तेमाल कर के कई तरह की दवाइयां बनाई जाती हैं. यही वजह है कि सरकार भी अश्वगंधा की खेती के लिए किसानों को प्रेरित करती है. यहां तक कि यौन रोगों और मर्दाना ताकत को बढ़ाने में भी अश्वगंधा का खूब इस्तेमाल किया जाता है.
कितने रुपये में बिकता है अश्वगंधा?
अश्वगंधा की खेती को कैश क्रॉप भी कहा जाता है, क्योंकि इससे किसानों को तगड़ा मुनाफा होता है. इसकी जड़ें अलग-अलग क्वालिटी के हिसाब से अलग-अलग दाम में बिकती हैं. मोटी जड़ के ज्यादा दाम मिलते हैं, जबकि पतली जड़ के कम. अश्वगंधा की जड़ों के दाम 150 रुपए से 200 रुपये प्रति किलो के बीच हो सकते हैं. इसके झाड़ से भूसा बनाया जाता है, ऐसे में वह भी बाजार में बिकता है. अश्वगंधा का झाड़ 15 से 20 रुपये प्रति किलो के हिसाब से बिकता है.
कितनी लागत, कितना मुनाफा?
अगर आप एक हेक्टेयर में अश्वगंधा की खेती करते हैं तो आपको करीब 40 से 50 हजार रुपये तक खर्च करने पड़ सकते हैं. एक हेक्टेयर में आप आसानी से 800 से 1000 किलो तक अश्वगंधा हासिल कर लेंगे. मतलब 1 हेक्टेयर से ही आप करीब डेढ़ लाख रुपए की कमाई कर सकते हैं. इसमें अगर आप 50 हजार की लागत घटा दें तो आपको लगभग 1 लाख रुपये का शुद्ध मुनाफा होगा.
वहीं यह खेती साल में दो बार की जा सकती है. इस तरह आप साल भर में आसानी से 1 हेक्टेयर में अश्वगंधा की खेती से 2 लाख रुपये का मुनाफा कमा सकते हैं। इतना ही नहीं, एक हेक्टेयर में करीब 50 किलो बीज भी निकलेंगे जो लगभग 130 से 150 रुपये प्रति किलो में बिक जायेंगे वहीं इसके झाड़ को भी बेच कर आप कुछ मुनाफा कमा सकते हैं. यानी देखा जाए तो अश्वगंधा की खेती से किसान 3 से 4 गुना मुनाफा कमा सकता है
जानिए कैसे करें अश्वगंधा की खेती
अगर आप अश्वगंधा की खेती करना चाहते हैं तो आप इसे साल में दो बार कर सकते हैं. पहली बार फरवरी-मार्च के दौरान इसकी खेती की जाती है और दूसरी बात अगस्त-सितंबर में इसकी खेती होती है. यह फसल लगभग 5 महीने में तैयार हो जाती है. इसकी खेती से पहले खेत में भरपूर मात्रा में गोबर की खाद जरूर डालें. इससे पौधे में न्यूट्रिशन की कमी नहीं होगी और अश्वगंधा की जड़ें मोटी बैठेंगे.
ध्यान रहे अश्वगंधा की जड़ें जितनी मोटी होंगी, आपको बाजार में उसके दाम उतने ही अच्छे मिलेंगे. अश्वगंधा की खेती में एक अच्छी बात यह भी है कि इसमें जल्दी कोई रोग नहीं लगता है. अगर आपके यहां आवारा पशु या जंगली जानवरों की दिक्कत है तो भी आप निश्चिंत रहें, क्योंकि वह अश्वगंधा के पौधों को नहीं खाते.
मिट्टी का चुनाव कैसे करें?
अश्वगंधा की खेती में खेत यानी मिट्टी का चुनाव सबसे अहम होता है. बलुई, दोमट और लाल मिट्टी अश्वगंधा की खेती के लिए सबसे अच्छी होती है. मिट्टी का पीएच 7-8 के बीच होना चाहिए. गर्म इलाकों में अश्वगंधा की पैदावर अच्छी होती है. इसके लिए 25-30 डिग्री का तापमान बहुत ही अच्छा माना जाता है. पौधों की अच्छी ग्रोथ के लिए खेत में नमी बनाए रखें।
यूं करें हार्वेस्टिंग
इसकी खेती में एक हेक्टेयर में करीब 10-12 किलो बीज की जरूरत होती है. इसकी बुआई दो तरीको से होती है। पहली है कतार में और दूसरी है छिड़काव विधि से। अश्वगंधा की कटाई में सबसे पहले इसकी जड़ों को छोटे-छोटे टुकड़ों में काट कर सुखा लिया जाता है। अलग-अलग तरह की जड़ों को अलग-अलग रखा जाता है, क्योंकि उनके दाम अलग-अलग मिलते हैं. अश्वगंधा के बीज और फूल को भी सुखाकर अलग कर लिया जाता है. बता दें कि पत्ते सूखने लगें और फल लाल-नारंगी हो जाए तो समझ जाइए कि फसल हार्वेस्टिंग के लिए तैयार है.