घरेलू बाजार में कमी के कारण भारत के पेट्रोल-डीजल आयात में भारी बढ़ोतरी
जून महीने के शुरुआती 15 दिनों में भारत को रोजाना प्रतिदिन करीब 13 हजार बैरल गैसोलिन आयात करना पड़ा है जो कि पिछले सात महीनों में सर्वाधिक है. वहीं, फरवरी, 2020 के बाद से डीजल का आयात सर्वाधिक स्तर पर पहुंचने वाला है जो कि रोजाना करीब 48 हजार बैरल तक पहुंच चुका है.
साल 2022 में वैश्विक ऊर्जा बाजार में पैदा हुई अस्थिरता के कारण आम तौर पर एशिया में गैसोलिन और डीजल का सबसे बड़े निर्यातक भारत को इन ईंधनों का आयात करने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है.
ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार, जून महीने के शुरुआती 15 दिनों में भारत को रोजाना प्रतिदिन करीब 13 हजार बैरल गैसोलिन आयात करना पड़ा है जो कि पिछले सात महीनों में सर्वाधिक है.
वहीं, फरवरी, 2020 के बाद से डीजल का आयात सर्वाधिक स्तर पर पहुंचने वाला है जो कि रोजाना करीब 48 हजार बैरल तक पहुंच चुका है. ये आंकड़े इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन और भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन के साथ ही वर्टेक्सा के माध्यम से सामने आए हैं.
बता दें कि, यूक्रेन पर हमले के बाद पश्चिमी देशों के प्रतिबंधों का सामना कर रहे रूस से कच्चा तेल खरीदने के मामले में भारत शीर्ष स्थान पर पहुंच गया है और देश में मौजूद रिफाइनरीज भी अपनी पूरी क्षमता से ईंधन उत्पादन में लगे हुए हैं.
हालांकि, इसके बाद भी घरेलू बाजार में कमी बरकरार है जिसके कारण भारत को अपनी जरूरतें पूरी करने के लिए आयात को बढ़ाना पड़ रहा है.
भारत से बढ़ी हुई आयात गतिविधि एशिया के ईंधन आपूर्ति के संचालन को कम कर रही है जबकि डीजल और गैसोलीन का एक प्रमुख निर्यातक चीन कटौती कर रहा है. इंडस्ट्री कंसल्टेंट ऑयलकेम के अनुसार, इस महीने रिफाइनरी रखरखाव के बाद जुलाई के लिए चीन से नियोजित ईंधन की मात्रा कम कर दी गई है.
इंडस्ट्री कंसल्टेंट एफजीई के अनुसार, पेट्रोल और डीजल खरीदने के लिए भारत की हड़बड़ी ने पहले ही दोनों ईंधन के लिए क्षेत्रीय रिफाइनिंग में अंतर को बढ़ा दिया है. एफजीआई ने कहा कि तमिलनाडु और गुजरात राज्यों में ईंधन की कमी है. एफजीई ने हाल के एक नोट में कहा कि आने वाले महीनों में देश में और अधिक ईंधन आयात करने की उम्मीद है.