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कारीगरों के बेहतर भविष्य के साथ-साथ हथकरघा साड़ी को भी खास पहचान दे रहा है ये स्टार्टअप

कारीगरों के बेहतर भविष्य के साथ-साथ हथकरघा साड़ी को भी खास पहचान दे रहा है ये स्टार्टअप

Thursday July 25, 2019 , 7 min Read

भारतीय महिलाओं के लिए साड़ी एक पारंपरिक परिधान है। अक्सर हम शादी-विवाह के मौकों पर भारतीय महिलाओं को तरह-तरह की डिजाइन की हुई साड़ियां पहने हुए देखते हैं। हालांकि जहां साड़ी पहले रोज के पहनने का परिधान हुआ करती थी तो वहीं अब ऐसा लगता है जैसे इसकी लोकप्रियता में थोड़ी सी कमी आई है, लेकिन बेंगलुरु की दो महिलाएं हैं जिन्होंने अपने स्टार्टअप के जरिए एक बार फिर से महिलाओं का साड़ी प्रेम जाग्रत कर दिया। इन्होंने 2015 में #100SareePact शुरू कर भारतीय महिलाओं को साड़ियों के प्रति उनके प्रेम को फिर से स्थापित करने का मौका दिया है। 2015 से ये स्टार्टअप हैंडलूम साड़ियों की दुनिया में छाया हुआ है। 


हथकरघा साड़ी


अक्सर, इन भव्य साड़ियों को बनाने वाले कारीगरों को बिचौलियों के हाथों शोषण का शिकार होना पड़ता है, और उन्हें उनके इस शानदार काम की तुलना में 50 प्रतिशत से भी कम भुगतान किया जाता है। इसी समस्या को हल करने के लिए कि कारीगरों को उनके हक का पैसा मिले, संध्या थोली और सुरेन चौधरी ने हैदराबाद स्थित इंडे लूम (Inde’ Loom) शुरू किया। Inde’ Loom एक 'मेकर टू मार्केट' हैंडलूम कलेक्टिव है। “लोकल-टू-ग्लोबल” जाने में मदद करने के लिए, यह स्टार्टअप भारत भर के कारीगरों और बुनकरों के साथ काम करता है, और विश्व स्तर पर महिला खरीददारों को बेहतर, दस्तकारी उत्पाद पेश करता है। साथ ही, वे यह भी सुनिश्चित करते हैं कि ये उत्पाद बनाने वाले निर्माता "सुरक्षित कामकाजी परिस्थितियों" में उचित हिस्सेदारी अर्जित करें।


Inde’ Loom के सह-संस्थापक, सुरेन चौधरी कहते हैं, “हमारे साथ इस प्रोजेक्ट पर काम करने के लिए पूरे भारत में लगभग सभी पुरस्कार विजेता कारीगर और बुनकर जुड़े हैं। हमारे पास बिचौलिये नहीं हैं, और इसलिए जो भी एक्स्ट्रा पैसा होता है वो सीधे बुनकरों को देते हैं, जिससे उन्हें अधिक लाभ और मजदूरी प्राप्त करने में मदद मिलती है।”


2018 में स्थापित, स्टार्टअप ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरह से कारीगरों के हाथों से बनी नेचुरल फाइबर और सॉफ्ट कॉटन वाली साड़ियों की बिक्री करता है। अपनी खुद की वेबसाइट के अलावा, स्टार्टअप ऑनलाइन मार्केटप्लेस Etsy पर भी अपने उत्पादों को बेचता है। ऑफलाइन, यह होम-बेस्ड रीसेलर्स के जरिए, बुटीक के जरिए और ट्रंक शो के जरिए भी बेचते हैं। 


inde loon

Inde' loom के फाउंडर्स सुरेन चौधरी और संध्या थोली



कारीगरों और बुनकरों को सपोर्ट करना

कंपनी का नाम (Inde’ Loom) फ्रेंच भाषा से बना है। फ्रेंच में Inde’ का मतलब इंडिया और Loom का मतलब कारीगर होता है। Inde’ Loom का मकसद दुनिया को ये दिखाना है कि भारतीय कारीगर अपने हाथ की कला से क्या जादू कर सकते हैं। कैसे भारतीय कारीगर आधुनिकता के साथ देश की समृद्ध विरासत को दुनिया में पहुंचा सकते हैं। 


सुरेन कहते हैं, "इन कारीगरों में से अधिकांश अनपढ़ हैं, उन्हें अपनी स्किल सुधारने के अवसर नहीं मिलते हैं। वे विभिन्न सरकारी योजनाओं से मिलने वाले लाभ के बारे में नहीं जानते हैं जो उनकी इनपुट लागत को 20-30 प्रतिशत तक कम कर सकती हैं जिससे वे अपने लाभ मार्जिन को 60-70 प्रतिशत तक बढ़ा सकते हैं।"


स्टार्टअप भारत भर के कारीगरों और बुनकरों के साथ सीधे काम करता है, उन्हें प्रशिक्षित करता और यार्न आपूर्ति योजना का लाभ उठाने में मदद करता है। यार्न आपूर्ति योजना के तहत बुनकरों को रियायती मूल्य पर रेशम जैसे मूल प्रमाणित प्राकृतिक यार्न मिलता है। कंपनी के पश्चिम बंगाल (नादिया, शांतिनिकेतन और कलना), गुजरात (भुजोडी), और कश्मीर में सैटेलाइट ऑफिस हैं।


Inde' Loom की सह-संस्थापक संध्या थोली ने योरस्टोररी को बताया, “हमारी यूएसपी एक शुद्ध हथकरघा साड़ी है जिसे हाथों से डिजाइन किया जाता है। इनमें से प्रत्येक साड़ी को बनाने में दो से तीन महीने लगते हैं, और कुछ (शुद्ध ऑर्गेना रेशम और हाथ से बनी) साड़ियों का वजन 200 ग्राम से कम होता है।”


ड्रीम टीम

कॉमर्स में ग्रेजुएट संध्या को एमवे, मैक्स लाइफ इंश्योरेंस जैसे ब्रांडों के साथ काम करते हुए सेल्स और मार्केटिंग का अच्छा अनुभव है। Inde’ Loom में, वह सेल्स, मार्केटिंग और नेटवर्किंग का काम देखती हैं।


सुरेन IEMI पेरिस, फ्रांस से मैनजमेंट में ग्रेजुएट हैं, और यूएस, यूके, यूरोप और पूर्वी एशिया में स्टार्टअप और परामर्श फर्मों के साथ काम करने का वैश्विक अनुभव है। सुरेन ऑपरेशन, कारीगरों के साथ बातचीत, डिजाइन इनोवेशन, स्किलिंग, री-स्किलिंग, डिजिटल मीडिया और ग्रोथ स्ट्रेटेजी देखती हैं। स्टार्टअप में वर्तमान में 12 सदस्यीय टीम है।


टारगेट ऑडियंस

Inde’ Loom की टारगेट ऑडियंस में ऐसी महिलाएं शामिल हैं जो स्लो फैशन, हैंडलूम और हैंडमेड प्रोडक्ट से प्यार करती हैं, लेकिन ट्रस्ट और ट्रैसबिलिटी की कमी के कारण खरीदने के लिए सही प्लेटफॉर्म नहीं खोज पाती हैं।


संध्या कहती हैं, "Inde’ Loom में, हर प्रोडक्ट के साथ एक वीडियो टैग किया जाता है जो उस प्रोडक्ट की मेकिंग दिखाता है। इससे पहले कि सारा प्रोडक्ट बिक जाए इसलिए किए गए असली काम को पहले ही कैप्चर कर लिया जाता है। इससे कारीगरों को अपार खुशी मिलती है क्योंकि उन्हें अपने काम के लिए सम्मान मिलता है। दिलचस्प डिजाइन तत्वों और रंगों के साथ खरीददारों को असली काम भी मिलता है। ये हैंडलूम/ हैंडमेड प्रोडक्ट दूसरों की तुलना में अधिक फैशनेबल हैं।"


इंडे लूम

साड़ी पर अपनी कला उकेरता कारिगर



एक मजबूत यूजर बेस

एक साल पुराने स्टार्टअप का दावा है कि वह रिवेन्यू और सेल्स में हर महीने 30 प्रतिशत बढ़ रहा है। इसके प्रोडक्ट्स की कीमत 4,500 रुपये से 18,000 रुपये के बीच है, और स्टार्टअप ने अपनी वेबसाइट पर 4,00 से अधिक प्रोडक्ट्स को सूचीबद्ध किया है। लगभग 10,000 के यूजर-बेस के साथ, स्टार्टअप वर्तमान में प्रति दिन पांच से छह ऑनलाइन ऑर्डर रिसीव करने का दावा करता है।


स्थापना के बाद से, एक वर्षीय बूटस्ट्रैप्ड स्टार्टअप ने 40 लाख रुपये का रिवेन्यू हासिल किया है। इसका टारगेट चालू वित्त वर्ष में 2 करोड़ रुपये के राजस्व की प्राप्ति करना है। सुरेन कहती हैं, “हम सिर्फ एक ऑनलाइन विक्रेता नहीं हैं। हमारे पास एक हाइब्रिड बिक्री मॉडल है जो ऑनलाइन, रिटेल, होम-बेस्ड रीसेलर्स और ट्रंक शो के आधार पर है।” 


अपने प्रोडक्ट को ऑफलाइन बेचने के लिए, Inde’ Loom का भारत और अमेरिका में 40 रीसेलर्स का नेटवर्क है; इनमें से ज्यादातर महिलाएं हैं जो घरों से काम करती हैं। यह भारत (कोच्चि, विजयवाड़ा, दिल्ली और बेंगलुरु), यूएस, यूके और पोलैंड में चुनिंदा बुटीक के लिए प्रोडक्ट्स की सप्लाई करता है, और उनके साथ लाभ प्रोफिट-शेयरिंग मॉडल पर काम करता है। स्टार्टअप ने भारतीय शहरों में ट्रंक शो भी किए हैं, जिनमें हैदराबाद, चेन्नई, विशाखापत्तनम, बेंगलुरु, विजयवाड़ा और मुंबई शामिल हैं।


बाजार का दृष्टिकोण और भविष्य

हैंडलूम एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल के अनुसार, 4.3 मिलियन से अधिक लोग प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से इस प्रोडक्शन में शामिल हैं। जिसके आधार पर हैंडलूम इंडस्ट्री भारत में कृषि के बाद भारत में ग्रामीण आबादी के लिए दूसरा सबसे बड़ा रोजगार प्रदाता है। वित्त वर्ष 2018 में भारत से हथकरघा उत्पादों का निर्यात 355.91 मिलियन डॉलर था। इस क्षेत्र में लोगों की रुचि बढ़ रही है। इस वर्ष की शुरुआत में, माइक्रोसॉफ्ट इंडिया ने कंपनी की परोपकारी पहल, प्रोजेक्ट रीवेव (ReWeave) के हिस्से के रूप में हथकरघा बुनकरों को सशक्त बनाने के लिए एक ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म re-weave.in लॉन्च किया। इस प्लेटफॉर्म का उद्देश्य कारीगरों को खरीदारों से जुड़ने में मदद करना है।


पिछले साल, अमेजॉन इंडिया ने अपनी साइट पर एक ऑनलाइन हैंडलूम स्टोर, वेव्समार्ट (Weavesmart) की हथकरघा और हस्तशिल्प वस्तुओं को जोड़ा, जो भारत सरकार द्वारा समर्थित है। इस पहल का उद्देश्य 3,000 से अधिक बुनकरों को सक्षम बनाना है।


फ्लिपकार्ट के स्वामित्व वाली Myntra ने भी 2018 में वस्त्र मंत्रालय के साथ भागीदारी की और पारंपरिक हाथ से बुने हुए उत्पादों की 250 से अधिक शैलियों के लिए एक मंच प्रदान करने के लिए, एक निजी हैंडलूम ब्रांड Navibhu लॉन्च किया। इसका अच्छा-खासा बाजार है, और Inde’ Loom के संस्थापक इसमें अपनी पैठ बनाने के लिए उत्सुक हैं। यहां तक कि वे पूरे भारत में सैकड़ों बुनकरों और कारीगरों को सक्षम करने का उद्देश्य रखते हैं। 


इस स्पेस में काम करने वाले अन्य स्टार्टअप भी मौजूद हैं। जैसे ब्युलोम, सूता, भारतस्थली, तनीरा, पेरिसेरा और यस-पोहो शामिल हैं। सुरेन कहते हैं, "ग्रोथ के अगले चरण में, Inde’ Loom ने इनोवेटिव डिजाइन पेश करने, बुनकर कौशल प्रशिक्षण केंद्र में निवेश करने और 30 शहरों में 200 रैक स्पेस बढ़ाने करने के लिए 3 करोड़ रुपये की सीड फंडिंग जुटाने की योजना बनाई है।"