मासिक धर्म को लेकर लोगों की सोच बदल रही है कश्मीर की यह आईएएस अधिकारी
"आईएएस अधिकारी और कश्मीर के बडगाम की उपायुक्त सैयद सेहरिश असगर ने उन युवा लड़कियों में मासिक धर्म के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए एक पहल शुरू की है, जो पीरियड्स के दौरान खुद को सभी से अलग पाती हैं।"
विभिन्न जागरूकता कार्यक्रमों के बावजूद, मासिक धर्म अभी भी अधिकांश क्षेत्रों में और विशेष रूप से ग्रामीण भारत में एक ऐसा विषय बना हुआ है जिस पर लोग बातें करने से शर्माते हैं। लेकिन मासिक धर्म से संबंधित स्वास्थ्य और स्वच्छता के महत्व के बारे में देश की महिला आबादी के एक बड़े हिस्से को जागरुक करने की आवश्यकता है। लोगों के बीच यह संदेश भेजने कि जरूरत है कि मासिक धर्म और मासिक धर्म स्वास्थ्य के बारे में बात करना ठीक है, इसमें कोई गलत नहीं है। इस संदेश को लगातार और लगातार दोहराया जाना चाहिए। आईएएस अधिकारी और कश्मीर के बडगाम की उपायुक्त सैयद सेहरिश असगर ने उन युवा लड़कियों में मासिक धर्म के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए एक पहल शुरू की है, जो पीरियड्स के दौरान खुद को सभी से अलग पाती हैं।
'शी द पीपल' से बात करते हुए उन्होंने कहा, “हमें एक ऐसा समाज बनाने की कोशिश करनी होगी जहां महिलाएँ अपने स्वास्थ्य और स्वच्छता को लेकर गंभीर हों और उसे लेकर शर्म महसूस न करें। सम्मान के साथ जीना उनका अधिकार है, और मासिक धर्म को लेकर बनी भ्रांतियों को तोड़ने की आवश्यकता है। हमें अपने सार्वजनिक स्थानों पर ऐसे स्ट्रक्चर की आवश्यकता है जहां वे आराम महसूस कर सकें।”
सैयद सेहरिश असगर ने जिला मुख्यालय पर पहले सर्व-महिला सम्मेलन का आयोजन किया। उनका उद्देश्य मासिक धर्म के दौरान छात्राओं को होने वाली समस्याओं का समाधान करना था। अपने जिले में साफ-सुथरे शौचालयों जैसी मूलभूत सुविधाओं की कमी और 1,200 स्कूलों में लगभग 300 लड़कियों के स्कूल छोड़ने की साक्षी, असगर ने इस मामले को अपने हाथों में ले लिया। उन्होंने आदेश दिया कि सैनिटरी नैपकिन डिस्पेंसर और इंसीनेटर उनके जिले के सभी हायर सेकेंडरी गर्ल्स स्कूलों और कॉलेजों के परिसर में और श्रीनगर में भी स्थापित किए जाएं।
द इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में उन्होंने कहा, “सभी इंसीनेटर और सैनिटरी नैपकिन डिस्पेंसर 106 उच्चतर माध्यमिक विद्यालयों, पांच-डिग्री कॉलेजों और जिले के एक आईटीआई में रखे जाएंगे। इसके अलावा, सैनिटरी नैपकिन डिस्पेंसर को डीसी के कार्यालय के साथ-साथ श्रीनगर अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर भी रखा जाएगा जो जिले में ही पड़ता है।"
अब तक, मासिक धर्म स्वास्थ्य के लिए राज्य या केंद्र सरकार द्वारा कोई बजट आवंटित नहीं किया गया है। राज्य के ग्रामीण विकास के लिए आवंटित फंड्स के चलते, असगर अपनी पहल के लिए सभी खर्चों को मैनेज करने में सक्षम हो पाई हैं। इसके अलावा भारतीय हवाई अड्डा प्राधिकरण (एएआई) के कॉर्पोरेट सामाजिक दायित्व (सीएसआर) कार्यक्रम से सहायता के माध्यम से आगे की आवश्यकताओं को पूरा किया जाता है।
घाटी में लगातार संघर्ष के बावजूद, असगर युवा लड़कियों के लिए एक सुरक्षित वातावरण बनाने की कोशिश कर रही हैं। वह कहती हैं, ''हमें ऐसा समाज बनाने की कोशिश करनी होगी, जहां महिलाएं अपने स्वास्थ्य और स्वच्छता को लेकर जागरुक हों और शर्म महसूस न करें। उन्हें सभी की तरह सम्मान के साथ जीने का आधिकार है। हालांकि इसके लिए हमें पीरियड्स को लेकर बने इस स्टिग्मा को तोड़ने की आवश्यकता है।"