कैसे एक IAS अधिकारी की पत्नी ने अरुणाचल में 94 छात्रों के लिए आसान की फिजिक्स की पढ़ाई
21 से बढ़कर 80 हुआ पास होने वाले छात्रों का प्रतिशत...
ईटानगर से लगभग 100 किमी दूर, एक घुमावदार पहाड़ी ट्रेक अरुणाचल प्रदेश के अपर सुबनसिरी की ओर ले जाती है। एक तरफ बर्फ से ढके पहाड़ और दूसरी ओर मैदानी इलाकों में ब्रह्मपुत्र की सहायक नदियों को पार करते हुए, बेहद सुंदर क्षेत्र में 83,000 लोगों का घर है, जिनमें कई आदिवासी परिवार भी शामिल हैं। रुही दानिश अशरफ को पहली बार 2016 में इस जिले के बारे में पता चला था, जब 28 वर्षीय अपने पति, दानिश अशरफ, एक आईएएस अधिकारी के साथ वहां गई थीं।
रूही ने योरस्टोरी को बताया,
“अपर सुबनसिरी में लगभग तीन स्कूल थे, लेकिन ज्यादातर समय यहां स्टाफ की कमी रहती थी। इसका असर ये हुआ कि इससे छात्रों के ग्रेड प्रभावित होने लगे। इसने मुझे टीचिंग को अपनाने के लिए प्रेरित किया।”
जिला मुख्यालय दपोरिजो स्थित सरकारी उच्च माध्यमिक विद्यालय में 12वीं कक्षा के लिए लगभग पांच साल से कोई फिजिक्स का टीचर नहीं था। तभी इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियर रूही ने फ्री में छात्रों को पढ़ाने के लिए इस स्कूल में कदम रखा और मार्च 2019 में, रूही के प्रयासों ने असर दिखाना शुरू कर दिया क्योंकि उनके 80 प्रतिशत छात्रों ने इस विषय को पास कर लिया। पिछले वर्ष में, कक्षा 12 में केवल 21 प्रतिशत छात्र फिजिक्स में पास हुए थे।
रूही के प्रयास
डिजिटल इंडिया द्वारा प्रकाशित जनसांख्यिकीय रिपोर्ट के अनुसार अपर सुबनसिरी में साक्षरता दर 64 प्रतिशत है। इसके लिए मुख्य रूप से स्कूलों में संसाधनों की अनुपलब्धता के लिए जिम्मेदार ठहराया जा सकता है, विशेष रूप से शिक्षण स्टाफ की कमी को। जब रूही को सरकारी स्कूल में फिजिक्स के शिक्षक की आवश्यकता का पता चला, तो उन्होंने तुरंत जिम्मेदारी लेने का फैसला किया।
वे कहती हैं,
“मैं शुरू में थोड़ा घबराई हुई थी क्योंकि मेरे पास एक शिक्षक के रूप में कोई पूर्व अनुभव नहीं था। इसके अलावा, मुझे थोड़ा डर था। यह मेरे लिए आसान नहीं था, लेकिन मैंने छात्रों को पढ़ाने के लिए अपने सभी डर पर विजय प्राप्त करने का मन बना लिया।”
उन्होंने NCERT की किताबों में ऑप्टिक, इलेक्ट्रोमैग्नेटिक इंडक्शन और रेडिएशन जैसे कक्षा 12वीं के कॉन्सेप्ट से परिचित होने के साथ शुरुआत की। जैसा कि उन्होंने 94 छात्रों की अपनी कक्षा में ट्यूशन करना शुरू किया, उन्होंने महसूस किया कि उनमें से कई बेसिक कॉन्सेप्ट से अच्छी तरह वाकिफ नहीं थे।
वे कहती हैं,
“चूंकि छात्रों के पास लंबे समय तक फिजिक्स के शिक्षक नहीं थे, इसलिए उन्हें कोई लेसन सिखाने वाला भी नहीं था। उनकी अकादमिक प्रगति धीमी और रुक-रुक कर हुई थी। इसकी भरपाई करने के लिए, मैंने उनकी मदद करने के लिए अतिरिक्त कक्षाएं लेनी शुरू कर दीं। वे हमेशा नए कॉन्सेप्ट्स को पकड़ने और समझने के लिए उत्सुक थे।”
रूही ने एक कदम आगे बढ़ाया, और टीचिंग के स्मार्ट और नए तरीकों को शामिल किया - जैसे कि प्रोजेक्टर का उपयोग करके सब्जेक्ट के लिए प्रासंगिक विजुअल कंटेंट डिप्ले करना।
वह अपनी टीचिंग के लिए एक मजेदार एलीमेंट भी लेकर आईं - गुरुत्वाकर्षण (gravitation) और गति (momentum) को समझाने के लिए सुपरहीरो फिल्मों की क्लिप का उपयोग करना। हालांकि, इसे लागू करना आसान नहीं था। चूंकि इंटरनेट कनेक्टिविटी खराब और अनिश्चित थी, इसलिए रूही जब रूपी अपने गृहनगर दिल्ली आईं तो इस दौरान उन्होंने वे वीडियो डाउनलोड कर लिए। कक्षा में, उन्होंने गतिविधि आधारित मॉड्यूल का आयोजन किया और व्याख्यान की एकरसता को तोड़ने के लिए लगातार परीक्षण किए।
दरअसल रूही ने शैक्षणिक वर्ष के बीच में कक्षाएं लेना शुरू किया था, इसलिए जब उन्होंने देखा कि वह पूरे पाठ्यक्रम को पूरा नहीं कर पाएंगी, तो उन्होंने अपने छात्रों के अध्ययन के लिए नोट्स तैयार किए। उनकी शिक्षण तकनीक और छात्रों के साथ उनके द्वारा किए गए जुड़ाव ने उन्हें उनके बीच फेवरेट बना दिया।
94 छात्रों के लिए फिजिक्स
गवर्नमेंट हायर सेकेंडरी स्कूल, दपोरिजो के एक ग्रेड 12 के छात्र किबी दुगी कहते हैं,
“रुही मैम ने पूरे पाठ्यक्रम को पूरा करने के लिए वास्तव में कड़ी मेहनत की। उनके पढ़ाने के तरीके ऐसे थे कि मैं चीजों को जल्दी समझ पा रही थी। अंतिम परीक्षा से कुछ दिन पहले, उन्होंने नोट्स और एक क्वेश्चन बैंक तैयार की और वितरित की, जो बहुत उपयोगी साबित हुई। मैं केवल उनकी वजह से फिजिक्स में 56 प्रतिशत के साथ पास हुई।”
रूही कहती हैं कि जैसा कि उन्होंने सैद्धांतिक ज्ञान को व्यावहारिक अनुप्रयोग के साथ जोड़ने के प्रयासों में लगाया, उनके छात्रों ने भी इस विषय में गहरी दिलचस्पी ली।
“जनवरी में, मेरी एक कक्षा में, मैंने एक इलेक्ट्रोस्कोप की कार्यप्रणाली को समझाया। अगले दिन, मेरे छात्र ओकाम नालो इलेक्ट्रोस्कोप के साथ कक्षा में आए। उन्होंने एल्यूमीनियम पन्नी और प्लास्टिक की बोतलों का उपयोग करके डिवाइस बनाया था। तथ्य यह है कि मैं किसी के जीवन में एक फर्क करने में सक्षम थी और इससे मुझे बहुत अच्छा लग रहा था।”
ऐसे हुई शुरुआत
रुही के पति दानिश अशरफ ने 2016 में अपर सुबनसिरी जिले के उपायुक्त के रूप में पदभार संभाला था। कुछ छात्रों ने उनसे संपर्क किया था और अपने स्कूल के लिए फिजिक्स के शिक्षक को लाने के लिए कहा।
दानिश ने योरस्टोरी को बताया,
“जब सरकारी स्कूल के छात्रों ने मुझसे मुलाकात की और फिजिक्स टीचर न होने पर अपनी चिंता व्यक्त की, तो मैं दंग रह गया। पहली बात जो मेरे दिमाग में आई, वह रूही से पूछना कि क्या वह इस खाली जगह को भरने के लिए तैयार है? वे बिना कुछ कहे इसके लिए सहमत हो गईं। हम दोनों जानते थे कि दुनिया के इस हिस्से में पढ़ाने के लिए किसी को ढूंढना एक बड़ा काम होगा।”