Brands
Discover
Events
Newsletter
More

Follow Us

twitterfacebookinstagramyoutube
Yourstory

Brands

Resources

Stories

General

In-Depth

Announcement

Reports

News

Funding

Startup Sectors

Women in tech

Sportstech

Agritech

E-Commerce

Education

Lifestyle

Entertainment

Art & Culture

Travel & Leisure

Curtain Raiser

Wine and Food

YSTV

ADVERTISEMENT
Advertise with us

आईआईटी दिल्ली के पूर्व छात्रों ने शुरू की कंपनी, नैनोक्लीन की मदद से आपका एसी भी बन सकता है एयर प्यूरिफ़ायर!

आईआईटी दिल्ली के पूर्व छात्रों ने शुरू की कंपनी, नैनोक्लीन की मदद से आपका एसी भी बन सकता है एयर प्यूरिफ़ायर!

Thursday July 18, 2019 , 5 min Read

दिल्ली के स्टार्टअप नैनोक्लीन ने नैसोफ़िल्टर नाम के प्रोडक्ट के साथ मार्केट में कदम रखा था। यह एक तरह का नैज़ल फ़िल्टर है, जिसकी क़ीमत मात्र 10 रुपए है। अब यह प्रोडक्ट एसी फ़िल्टर्स के साथ भी आता है, जो किसी भी एसी को एक एयर प्यूरिफ़ायर में तब्दील कर सकता है और इसकी क़ीमत सिर्फ़ 399 रुपए तक आती है।


Nasoclean

नैनोक्लीन 2017 में लॉन्च हुआ था। आईआईटी दिल्ली के पूर्व छात्र तुषार व्यास (बाएं), प्रतीक शर्मा (बीच में) और जतिन केवलानी इसके फ़ाउंडर्स हैं।



5 जून, 2019 को विश्व पर्यावरण दिवस के मौक़े पर नैनोक्लीन ने एसी फ़िल्टर्स लॉन्च किए थे। नैनोक्लीन के को-फ़ाउंडर और सीईओ प्रतीक शर्मा का दावा है कि स्टार्टअप अभी तक एसी फ़िल्टर्स की 15 हज़ार यूनिट्स बेच चुका है। प्रतीक ने योरस्टोरी के साथ अपने स्टार्टअप की अभी तक की यात्रा साझा करते हुए बताया कि स्टार्टअप ने अपने कारगर उत्पादों की बदौलत किस तरह से सफलता हासिल की और इसके आइडिया की शुरुआत कहां से हुई? 


नैनोक्लीन 2017 में लॉन्च हुआ था। आईआईटी दिल्ली के पूर्व छात्र प्रतीक शर्मा, तुषार व्यास और जतिन केवलानी इसके फ़ाउंडर्स हैं। 2017 में स्टार्टअप को भारत के राष्ट्रपति द्वारा स्टार्टअप नैशनल अवॉर्ड से सम्मानित किया गया था। स्टार्टअप को डिपार्टमेंट ऑफ़ साइंस ऐंड टेक्नॉलजी, भारत सरकार और मानव संसाधन विकास मंत्रालय की ओर से अनुदान भी मिल चुके हैं। नैनोक्लीन को दक्षिण कोरिया की सरकार द्वारा भी सराहा जा चुका है। दक्षिण कोरिया की सरकार ने स्टार्टअप को सीओल में ऑपरेशन्स के लिए फ़ंडिंग उपलब्ध कराई थी। हॉन्ग-कॉन्ग में नैनोक्लीन को दुनिया के शीर्ष 100 स्टार्टअप्स की सूची में भी शामिल किया जा चुका है। 


नैसोफ़िल्टर्स की सफलता के बाद, कंपनी ने नैसोफ़िल्टर्स पल्यूशन नेट नाम से एक बीटूबी प्रोडक्ट विकसित किया है, जो आपके घरों को 2.5 पीएम और 10 पीएम पार्टिकल्स, धूल, यूवी किरणों और अलर्जी फैलाने वाले तत्वों से सुरक्षित करता है। इसे दरवाज़ों और खिड़कियों में लगाया जा सकता है। इसकी बाहरी सतह हाइड्रोफ़ोबिक होती है, जिस पर पानी का असर नहीं होता।



Nasoclean Filter

पहली फोटो में नया नैसोफिल्टर और दूसरी फोटो में एक महीने बाद इस्तेमाल होने के बाद



प्रतीक ने बताया कि नैनोक्लीन को उनके इस प्रोडक्ट के लिए थाईलैंड की एक बड़ी रियल स्टेट कंपनी द्वारा करोड़ की डील भी ऑफ़र हो चुकी है। प्रतीक बताते हैं, "नैसोफ़िल्टर्स और नैसोफ़िल्टर्स पल्यूशन नेट के बाद ग्राहकों ने हमसे प्रतिक्रिया स्वरूप इंडोर पल्यूशन को कम करने के संबंध में अपील की। ग्राहकों की लगातार प्रतिक्रिया मिलने के बाद हमने नैनोक्लीन एसी फ़िल्टर विकसित किया।"


विज्ञान एवं पर्यावरण केंद्र (सीएसई) की एक हालिया रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि भारत में जीवन प्रत्याशा (लाइफ़ एक्सपेक्टेंसी) में 2.6 साल तक की गिरावट आई है और इसकी सबसे प्रमुख वजह है वायु प्रदूषण से होने वाली जानलेवा बीमारियां। भारत में होने वाली मौतों का तीसरा सबसे बड़ा कारण है, ओज़ोन, घर में होने वाला प्रदूषण और बाहर के पर्यावरण में मौजूद 2.5 पार्टिकुलेट मैटर (पीएम) का संयुक्त प्रभाव। भारत में होने वाली मौतों का यह धूम्रपान से बड़ा कारण है।


नैनोक्लीन एसी फ़िल्टर, 2.5 पीएम प्रदूषकों को भी फ़िल्टर कर सकता है और यह  शुद्ध पीपी (पॉलीप्रॉपलीन) से बना है, जिसे रीसाइकल भी किया जा सकता है और पिघलाया भी जा सकता है। स्टार्टअप के को-फ़ाउंडर प्रतीक का कहना है कि यह ख़ूबी इसे ईको-फ़्रेंडली बनाती है। प्रतीक बताते हैं कि इन ख़ूबियों के साथ-साथ नैनोक्लीन का यह प्रोडक्ट धूल को भी रोक सकता है और इस वजह से फ़िल्टर की उम्र बढ़ जाती है। 


कंपनी के सीईओ का दावा है कि एक ब्रैंडेड एयर प्यूरिफ़ायर की क़ीमत 20 हज़ार से ज़्यादा होती है। नैनोक्लीन एसी फ़िल्टर की मदद से ग्राहक अपने एसी को भी एयर प्यूरिफ़ायर में बदल सकते हैं और यह किसी भी तरह से एसी की कूलिंग और बिजली की खपत को भी नहीं बढ़ाता। प्रतीक बताते हैं कि अन्य एयर प्यूरिफ़ायर्स में फ़िल्टर 15 दिनों से अधिक नहीं चलते, जबकि नैनोक्लीन के एयर प्यूरिफ़ायर का फ़िल्टर 1 से 2 महीने तक चलता है। 


को-फ़ाउंडर का दावा है कि उनके प्रोडक्ट्स विदेशों में भी पसंद किए जा रहे हैं और हाल में कंपनी 30 देशों में अपने उत्पाद निर्यात कर रही है। प्रतीक ने बताया कि हाल में कंपनी का 75 प्रतिशत बिज़नेस, थाईलैंड, इंडोनेशिया, वियतनाम, खाड़ी देशों, फ़्रांस, यूके और अन्य कई देशों में निर्यात पर निर्भर है। प्रतीक बताते हैं कि इतने किफ़ायती दामों में प्रोडक्ट्स बेचने के बाद भी कंपनी पिछले 6 महीनों से मुनाफ़े में हैं।




दूरगामी सोच रखते हुए स्टार्टअप पिछले काफ़ी समय से लगातार भारत में एसी बनाने वाली कंपनियों के साथ संपर्क में है। प्रतीक का कहना है कि एसी का इस्तेमाल गर्मी के मौसम में ज़्यादा होता है और आमतौर पर सर्दी के मौसम में लोग एसी बंद रखते हैं, इसलिए ऐसी स्थिति में इंडोर पल्यूशन से बचने के लिए उन्होंने एसी कंपनियों के साथ मिलकर एसी में एयर प्यूरिफ़ायर बटन इन्सटॉल करने के संबंध में बात की है। इसकी बदौलत, सर्दी के मौसम में ग्राहक एसी को फ़ैन मोड में एयर प्यूरिफ़ायर के साथ इस्तेमाल कर सकते हैं और एसी सिर्फ़ हवा की सफ़ाई करेगा और कूलिंग नहीं करेगा। स्टार्टअप को उम्मीद है कि 2019 की आख़िरी तिमाही तक ऐसे उत्पाद में मार्केट में उपलब्ध होंगे। 


प्रतीक बताते हैं, "भारत में नैनोफ़ाइबर्स के व्यापक उत्पादन के लिए तकनीक मौजूद ही नहीं है और इसलिए नैनोक्लीन ने प्रोडक्शन के लिए इलेक्ट्रोस्पिनिंग तकनीक का इस्तेमाल करना शुरू किया। दुनिया में चुनिंदा देशों के पास ही नैनोफ़ाइबर्स के मास प्रोडक्शन की तकनीक है, जिनमें यूएस, चेक रिपब्लिक, जापान और दक्षिण कोरिया। मास प्रोडक्शन के लिए नैनोक्लीन ने जो तकनीक विकसित की है, उसके पेटेन्ट के लिए आवेदन दे दिया गया। पेटेन्ट पर स्वीकृति मिलने के बाद भारत भी नैनोफ़ाइबर्स के मास प्रोडक्शन में इन देशों के बराबर आ जाएगा।"


स्टार्टअप की योजना है कि आगामी दो सालों के अंदर अहमदाबाद, गुजरात में नैनोफ़ाइबर प्रोडक्शन और डिवेलपमेंट यूनिट स्थापित की जाए और कंपनी इसके लिए फ़ंड्स जुटाने की जुगत में लगी हुई है। एक मार्केट रिसर्च रिपोर्ट के अनुसार, नैनोफ़ाइबर मार्केट के 2019 से 2014 के बीच लगभग 26 प्रतिशत कम्पाउंड ऐनुअल ग्रोथ रेट के साथ बढ़ने की संभावना है। प्रतीक का कहना है कि कंपनी मार्केट में मौजूद इन संभावनाओं को भुनाने के लिए हर संभव प्रयास करेगी।