Brands
YSTV
Discover
Events
Newsletter
More

Follow Us

twitterfacebookinstagramyoutube
Yourstory

Brands

Resources

Stories

General

In-Depth

Announcement

Reports

News

Funding

Startup Sectors

Women in tech

Sportstech

Agritech

E-Commerce

Education

Lifestyle

Entertainment

Art & Culture

Travel & Leisure

Curtain Raiser

Wine and Food

Videos

ys-analytics
ADVERTISEMENT
Advertise with us

पिछले 10 वर्षों में कृषि क्षेत्र में 142 से अधिक डीप टेक स्टार्ट-अप शुरू हुए: डॉ. जितेन्द्र सिंह

केन्द्रीय मंत्री डॉ. जितेन्द्र सिंह ने कहा कि स्टार्टअप अगले 25 वर्षों में भारत की अमृत काल यात्रा के पथ प्रदर्शक हैं.

पिछले 10 वर्षों में कृषि क्षेत्र में 142 से अधिक डीप टेक स्टार्ट-अप शुरू हुए: डॉ. जितेन्द्र सिंह

Saturday September 30, 2023 , 4 min Read

'आत्मन-2023' नामक एग्री-टेक स्टार्ट-अप सम्मेलन को संबोधित करते हुए केंद्रीय मंत्रीडॉ. जितेंद्र सिंह ने अभिनव उत्पादों की ब्रांडिंग और विपणन हेतु लाभकारी प्रस्ताव के लिए अनुसंधान, शिक्षा, स्टार्ट-अप और उद्योग के बीच व्यापक सामंजस्य का आह्वान किया.

डॉ. जितेन्द्र सिंह को यह जानकर प्रसन्नता हुई कि पिछले 10 वर्षों में कृषि क्षेत्र में 142 से अधिक डीप-टेक स्टार्ट-अप शुरू हुए हैं और बताया कि आज आत्मन सम्मेलन के दौरान 60 और स्टार्टअप को शामिल किया जाएगा.

डॉ. जितेन्द्र सिंह ने आत्मन को एक अनूठी पहल बताया क्योंकि आत्मन साझेदार कृषि स्टार्टअप्स और नवाचारों के लिए एक विशेष मंच उपलब्ध कराने के लिए एक टीम के रूप में मिलकर काम कर रहे हैं और इनमें से कुछ टेक्नोलॉजी को कार्यक्रम के दौरान आयोजित एक्सपो में प्रदर्शित किया गया है. यह कार्यक्रम अवधारणा, प्रोटोटाइप विकास, उत्पाद परीक्षण और बाजार प्रवेश के प्रमाण के लिए बेहतरीन विचारों, नवाचारों और टेक्नोलॉजी के साथ वित्तीय और तकनीकी सहायता के साथ संभावित स्टार्टअप की मदद करने के लिए आयोजित किया गया. आईआईटी बॉम्बे, रोपड़, इंदौर और खड़गपुर में टेक्नोलॉजी इनोवेशन हब सामूहिक रूप से प्रत्येक स्टार्टअप को 50 लाख रुपये की वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिए कुल 20 करोड़ रुपये के फंड की पेशकश कर रहे हैं.

डॉ. जितेन्द्र सिंह ने उल्लेख किया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के आह्वान "जय जवान, जय किसान, जय विज्ञान और जय अनुसंधान" के अनुरूप चार टेक्नोलॉजी इनोवेशन हब कृषि क्षेत्र को बदलने के लिए एडवांस्ड डीप टेक्नोलॉजी को विकसित कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि ये डेटा-आधारित निर्णय लेने, स्वचालन और कृषि कार्य-प्रणालियों में सटीकता को सक्षम कर सकते हैं, अंततः कृषि क्षेत्र के आधुनिकीकरण और सुधार में योगदान दे सकते हैं.

in-the-last-10-years-over-142-deep-tech-start-ups-sprung-up-in-agriculture-sector-says-dr-jitendra-singh

हालांकि, डॉ. जितेंद्र ने बताया कि भारत में कृषि क्षेत्र जलवायु परिवर्तन, फैग्मेन्ट भूमि और संसाधनों की कमी जैसी कई चुनौतियों का सामना कर रहा है. उन्होंने कहा कि उपयुक्त तकनीकी उपायों को कार्यान्वित करके भारत उत्पादकता बढ़ाने, नुकसान को कम करने और इस क्षेत्र की समग्र दक्षता में सुधार के लिए अपनी कृषि पद्धतियों का आधुनिकीकरण कर सकता है.

डॉ. जितेन्द्र सिंह ने इस बात पर जोर दिया कि भारत के पारंपरिक क्षेत्र, कृषि क्षेत्र में तकनीकी उपायों को अपनाने, इसका आधुनिकीकरण करने, चुनौतियों से निपटने, स्थिरता की दिशा में आगे बढ़ने और वैश्विक खाद्य सुरक्षा पर विचार विमर्श करने का यह सही समय है.

CSIR के नेतृत्व वाले लैवेंडर मिशन की सफलता का उल्लेख किया जिसने कई किसानों के जीवन को बदला है और डॉ. जितेंद्र सिंह ने यह भी रेखांकित किया कि प्रधानमंत्री ने मन की बात के 99वें संस्करण में सीएसआईआर-अरोमा मिशन के तहत जम्मू-कश्मीर के डोडा जिले के भद्रवाह में लैवेंडर की खेती में किसानों की सहायता के लिए वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद- भारतीय एकीकृत चिकित्सा संस्थान (CSIR-IIIM) के प्रयासों की सराहना की. उन्होंने कहा कि किसान दशकों से पारंपरिक मक्का की खेती में लगे हुए थे, लेकिन कुछ किसानों ने कुछ अलग करने का सोचा. उन्होंने फूलों की खेती की ओर रुख किया. आज यहां करीब ढाई हजार किसान लैवेंडर की खेती कर रहे हैं. इन्हें केंद्र सरकार के अरोमा मिशन के माध्यम से हर संभव सहायता प्रदान की गई. इस नई खेती ने किसानों की आय में बहुत वृद्धि की है.

डॉ. जितेन्द्र सिंह ने कहा कि लगभग तीन से चार हजार लोग लैवेंडर की खेती कर रहे हैं और लैवेंडर ऑयल की बिक्री व मार्केटिंग करके लाखों रुपये कमा रहे हैं. उन्होंने यह भी कहा कि इस युवा दल के 70 प्रतिशत लोग स्नातक भी नहीं हैं, लेकिन उनके पास कम आय पैदा करने वाले मक्का की खेती से लैवेंडर में जाने के लिए प्रतिभा और जोखिम लेने की क्षमता है.

in-the-last-10-years-over-142-deep-tech-start-ups-sprung-up-in-agriculture-sector-says-dr-jitendra-singh

जैव प्रौद्योगिकी विभाग के सचिव डॉ. राजेश गोखले ने अपने संबोधन में कहा कि विज्ञान, टेक्नोलॉजी और नवाचारों ने पिछले 6-7 वर्षों में एक नए आयाम की दिशा में काम किया है और आशा व्यक्त की कि आने वाले दिनों में एसटीआई समाधानों से कृषि क्षेत्र में एक बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा.

विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (DST) के वरिष्ठ सलाहकार डॉ. अखिलेश गुप्ता ने बताया कि डीएसटी के इंटरडिसप्लीनरी साइबर फिजिकल सिस्टम (NM-ICPS) पर राष्ट्रीय मिशन के तहत स्थापित 25 नवाचार केंद्रों में से चार टेक्नोलॉजी नवाचार केंद्र आत्मन में 20 प्रमुख कृषि-तकनीकी प्रौद्योगिकियों का प्रदर्शन कर रहे हैं.

आत्मन 2023 कार्यक्रम की योजना नवाचार व उद्यमिता को बढ़ावा देने और एग्रीटेक स्टार्टअप इकोसिस्टम का समर्थन करने के लिए बनाई गई थी ताकि एग्री टेक स्टार्टअप की संख्या, सफलता दर और प्रभाव को बढ़ाया जा सके. इसने सरकार, उद्योग और शिक्षाविदों के हितधारकों के साथ-साथ किसान उत्पादक संगठनों और गैर-सरकारी संगठनों की भागीदारी को भारत में एग्रीटेक नवाचार को आगे बढ़ाने के लिए डीएसटी की दृढ़ प्रतिबद्धता को आगे बढ़ाया है.

यह भी पढ़ें
PLI योजनाओं के कारण मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में FDI में 76% की वृद्धि हुई: हरदीप सिंह पुरी