वित्त वर्ष 2021-22 में भारत ने सबसे अधिक 83.57 अरब डॉलर का FDI हासिल किया
भारत तेजी से पसंदीदा इन्वेस्टमेंट डेस्टिनेशन के रूप में उभर रहा है, पिछले 20 वर्षों में FDI में 20 गुना वृद्धि हुई है. वित्त वर्ष 2021-22 में मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में FDI इक्विटी में 76 प्रतिशत वृद्धि हुई. कोविड के बाद FDI फ्लो में 23 प्रतिशत की वृद्धि हुई है.
भारत ने वित्त वर्ष 2021-22 में 83.57 अरब अमेरिकी डॉलर का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) हासिल किया जो अब तक किसी भी वित्त वर्ष में सबसे अधिक है। वर्ष 2014-15 में भारत में केवल 45.15 अरब अमेरिकी डॉलर का FDI आया था जबकि वित्त वर्ष 2021-22 में 83.57 अरब अमेरिकी डॉलर का FDI अब तक का सर्वाधिक सालाना FDI है। इसने यूक्रेन में युद्ध और कोविड-19 महामारी के बावजूद पिछले वर्ष के 1.60 अरब अमेरिकी डॉलर के FDI को पीछे छोड़ दिया है। वित्त वर्ष 2003-04 की तुलना में भारत के FDI में 20 गुना वृद्धि हुई है, जब FDI केवल 4.3 अरब अमेरिकी डॉलर था।
पिछले चार वित्तीय वर्षों के दौरान रिपोर्ट किए गए कुल FDI का विवरण इस प्रकार है:
इसके अलावा, भारत मेन्युफैक्चरिंग सेक्टर में विदेशी निवेश के लिए एक पसंदीदा देश के रूप में तेजी से उभर रहा है। पिछले वित्त वर्ष 2020-21 (12.09 अरब अमेरिकी डॉलर) की तुलना में वित्त वर्ष 2021-22 (21.34 अरब अमेरिकी डॉलर) में मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में FDI इक्विटी में 76 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
इस बात पर गौर किया जा सकता है कि कोविड-19 महामारी के बावजूद भारत में FDI प्रवाह में 23 प्रतिशत की वृद्धि हुई है – भारत में कोविड के बाद (मार्च, 2020 से मार्च 2022:171.84 अरब अमेरिकी डॉलर) कोविड से पहले FDI (फरवरी, 2018 से फरवरी, 2020: 141.10 अरब अमेरिकी डॉलर) की जानकारी दी गई है।
वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान भारत में निवेश करने वाले शीर्ष निवेशक देशों के मामले में सिंगापुर (27 प्रतिशत) के साथ पहले स्थान पर है। इसके बाद 18 प्रतिशत के साथ अमेरिका दूसरे स्थान पर आता है और 16 प्रतिशत के साथ मॉरीशस तीसरे स्थान पर आता है। वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान देश में 'कंप्यूटर सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर' सेक्टर में सबसे ज्यादा विदेशी निवेश देखने को मिला है जहां करीब 25 प्रतिशत हिस्सेदारी के साथ क्रमशः सर्विस सेक्टर (12 प्रतिशत) और ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री (12 प्रतिशत) का स्थान है।
'कंप्यूटर सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर' सेक्टर के तहत, वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान सबसे ज्यादा FDI कर्नाटक में (53 प्रतिशत) आया तो दिल्ली में (17 प्रतिशत), और महाराष्ट्र में भी (17 प्रतिशत) रहा। वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान सबसे ज्यादा FDI प्राप्त करने वाला राज्य कर्नाटक है, जहां 38 प्रतिशत FDI आया है। इसके बाद 26 प्रतिशत के साथ महाराष्ट्र और 14 प्रतिशत के साथ दिल्ली का स्थान है। वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान कर्नाटक के अधिकांश इक्विटी प्रवाह 'कंप्यूटर सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर' (35 प्रतिशत), 'ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री' (20 प्रतिशत) और 'शिक्षा' (12 प्रतिशत) सेक्टर में रिपोर्ट किए गए हैं।
पिछले आठ वर्षों के दौरान सरकार द्वारा उठाए गए कदमों के अच्छे परिणाम मिले हैं जो देश में प्राप्त FDI प्रवाह की लगातार बढ़ती मात्रा से स्पष्ट है, जिसने नए रिकॉर्ड स्थापित किए हैं। सरकार FDI नीति की लगातार समीक्षा करती है और महत्वपूर्ण बदलाव करती है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि भारत एक आकर्षक और निवेशकों के लिए उपयोगी स्थान है। सरकार ने FDI के लिए एक उदार और पारदर्शी नीति बनाई है, जिसमें अधिकांश सेक्टर स्वचालित मार्ग के तहत FDI के लिए खुले हैं।
कारोबार में आसानी और निवेशकों को आकर्षित करने की सुविधा प्रदान करने के लिए FDI नीति को अधिक उदार और सरल बनाने के लिए हाल ही में कोयला खनन, अनुबंध निर्माण, डिजिटल मीडिया, एकल ब्रांड खुदरा व्यापार, नागरिक उड्डयन, रक्षा, बीमा और दूरसंचार जैसे सेक्टर्स में सुधार किए गए हैं।