भारत ने तय किया मोबाइल मैनुफैक्चरिंग में चीन को पीछे छोड़ने का लक्ष्य: रवि शंकर प्रसाद
"एनपीई 2019 में 2025 तक इलेक्ट्रॉनिक विनिर्माण को बढ़ाकर 26 लाख करोड़ रुपये से अधिक करने पर जोर दिया गया है, जिसमें 13 लाख करोड़ रुपये मोबाइल मैनुफैक्चरिंग विभाग से आने की उम्मीद है।"
दूरसंचार और आईटी मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि भारत ने उत्पादन आधारित प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना के जरिए वैश्विक कंपनियों को आकर्षित करने के साथ ही मोबाइल विनिर्माण के क्षेत्र में चीन को पीछे छोड़ने का लक्ष्य तय किया है। साथ ही उन्होंने यह भी कहा, कि सरकार दूसरे क्षेत्रों में पीएलआई योजना के विस्तार से भारत को इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों का मैनुफैक्चरिंग केंद्र बनाना चाहती है।
पीटीआई के अनुसार प्रसाद ने उद्योग संघ फिक्की के वार्षिक अधिवेशन में कहा,
‘‘हम चाहते थे कि भारत दुनिया में दूसरा सबसे बड़ा मोबाइल विनिर्माता बने। अब मैं भारत को चीन से आगे बढ़ाने पर जोर दे रहा हूं। यह मेरा लक्ष्य है और मैं इसे स्पष्ट रूप से परिभाषित कर रहा हूं।’’
भारत 2017 में दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा मोबाइल विनिर्माण देश बन गया था। इलेक्ट्रॉनिक्स पर राष्ट्रीय नीति (एनपीई) 2019 में 2025 तक इलेक्ट्रॉनिक विनिर्माण को बढ़ाकर 26 लाख करोड़ रुपये से अधिक करने पर जोर दिया गया है। इनमें से 13 लाख करोड़ रुपये मोबाइल विनिर्माण खंड से आने की उम्मीद है।
दूरसंचार और आईटी मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा, कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में भारत को वैकल्पिक विनिर्माण केंद्र के रूप में स्थापित करने के लिए पीएलआई योजना को लाया गया है। उन्होंने यह भी कहा कि पीएलआई का मकसद विश्वस्तरीय कंपनियों को भारत में लाना और भारतीय कंपनियों को विश्वस्तरीय बनाना है।
सरकार द्वारा शुरू की गई पीएलआई योजना के तहत पात्र कंपनियों को 48,000 करोड़ रुपये तक का प्रोत्साहन मिल सकता है।
आपको बता दें कि भारतीय मोबाइल फोन विनिर्माण क्षेत्र 2007 और 2018 के बीच मूल्य के संदर्भ में 6.66% और 6.54% की दर से बढ़ा है। इसने भारत को 10 मिलियन हैंडसेट की औसत मासिक बिक्री के साथ दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा बाजार बना दिया। 2019 में बाजार में लगभग 75 ब्रांड और 3,400 मोबाइल हैंडसेट थे। भारत दुनिया में उत्पादित सभी मोबाइल फोन का 11% उत्पादन करता है। यह आंकड़ा 2014 में सिर्फ 3% था।
भारत में मोबाइल मैनुफेक्चरिंग इकाइयों की कुल संख्या 2019 में केवल दो से बढ़कर 2019 में 268 हो गई है। यह क्षेत्र 0.67 मिलियन लोगों को रोजगार देता है। यह अनुमान है कि भारत में बेचे जाने वाले लगभग 96% हैंड फोन को 2020 तक घरेलू स्तर पर निर्मित किया जाएगा। व्यापार और विकास पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन (UNCTAD) ने रिपोर्ट दी, कि भारत ने 2018 में 1.9 बिलियन डॉलर मूल्य के मोबाइल फोन का निर्यात किया और यहां तक पहुंचने में मोबाइल सेक्टर को सिर्फ 5 साल का समय लगा।
मोबाइल विनिर्माण में भारत की उल्लेखनीय प्रगति एक आकर्षक नीति वातावरण द्वारा मदद की है। सरकार ने उद्योग को सफल बनाने के लिए कई नीतियां बनाई हैं। हालांकि, विदेशी भागों और प्रौद्योगिकी पर निर्भरता एक वास्तविक चुनौती है।