सोनू सूद ने की एक और नेक पहल, महामारी के दौरान नौकरियां खो चुके लोगों को देंगे ई-रिक्शा
ज़रूरतमंदों की मदद के लिए एक बार फिर आगे आए सोनू सूद, शुरू की 'खुद कमाओ घर चलाओ' योजना
"अभिनेता सोनू सूद ने COVID-19 महामारी के दौरान जरूरतमंदों की मदद के लिए एक और पहल शुरू की, जिसके तहत वह उन लोगों को ई-रिक्शा दे रहे हैं, जिन्होंने महामारी के दौरान अपनी आजीविका (नौकरी) खो दी है।"
पंजाब के मोगा में पले-बढ़े, अभिनेता सोनू सूद ने कोरोना वायरस महामारी के दौरान हजारों प्रवासी श्रमिकों, छात्रों और किसानों की मदद की है। जरुरतमंदों को भोजन उपलब्ध कराने से लेकर फंसे हुए मजदूरों को उनके घर वापस लाने के लिए, परिवहन सुविधा देने से लेकर स्वास्थ्य रक्षा कर्मियों को निजी सुरक्षा उपकरण दान करने तक, सोनू ने हर तरह से ज़रूरतमंदों का मसीहा बन वो सब करने की कोशिश की है जो-जो वो कर सकते हैं।
47 वर्षीय इस रियल लाइफ हिरो ने महामारी के बीच जरूरतमंदों की मदद करने के लिए एक और पहल की घोषणा कर ही है। कोरोनावायरस महामारी के चलते जो लोग अपनी रोजी-रोटी खो चुके हैं, जिनकी नौकरियां जा चुकी हैं, सोनू सूद उनको ई-रिक्शा बांट रहे हैं। उनकी इस पहल का नाम 'खुद कमाओ घर चलाओ' है। इसकी सूचना उन्होंने सोशल मीडिया के माध्य से दी है। सोनू सूद की यह पहल इस मुश्किल समय में रोजगार के नये अवसर पैदा करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम होगी।
अपने इनीशिएटिव के बारे में सोनू लिखते हैं,
"कल की बड़ी छलांग के लिए आज एक छोटा सा कदम। एक छोटा सा प्रयास, लोगों को सशक्त बनाने और छोटा व्यवसाय शुरू करने के लिए फ्री ई-रिक्शा देने का। खुद कमाओ घर चलाओ, मकसद तो इंडिया को बनाना है।"
रियल लाइफ हिरो सोनू सूद ने ट्वीटर पर भी अपनी इस नई पहल जानकारी दी,
साथ ही सोनू यह भी कहते हैं, कि लोगों से उन्हें जो प्यार मिला है, उसने उन्हें "उनके वहाँ बने रहने" के लिए प्रेरित किया है। वह कहते हैं, "मुझे पिछले कुछ महीनों में लोगों से बहुत प्यार मिला है। इस वजह से मैंने उन्हें आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया है।"
अपनी पहल 'खुद कमाओ घर चलाओ' पर बात करते हुए सोनू कहते हैं,
"मेरा मानना है कि आपूर्ति प्रदान करना (किसी भी तरह की आर्थिक या चीज़-सामानों की मदद करने) की तुलना में नौकरी के अवसर प्रदान करना अधिक महत्वपूर्ण है। मुझे यकीन है कि यह पहल उन्हें फिर से आत्मनिर्भर बनाने में मदद करेगी।"
गौरतलब है कि इस वर्ष की शुरुआत में सोनू सूद ने कोविड-19 महामारी के कारण नौकरी गंवाने वालों के लिए 50,000 से अधिक नौकरियों के अवसर पैदा करने वाले प्रवासी रोज़गार ऐप को लॉन्च किया था। ये ऐप ज़रूरतमंदों को कई कंपनियों से जोड़ता है और उनके कौशल को बेहतर बनाने में मदद करने के लिए विशिष्ट कार्यक्रम भी प्रदान करता है।
सोनू सूद के वो इनिशिएटिव जिन्होंने दिल छू लिया
अभिनेता सोनी सूद अपने नेक कामों से देश भर में कई लोगों को प्रेरणा देते रहे हैं। आज की तारीख में देश का बच्चा-बच्चा इस नाम और इस चेहरे को पहचानता है। उन्होंने फंसे हुए प्रवासी मजदूरों को इस साल मई में वापस उनके लिए सुरक्षित यात्रा की व्यवस्था करके अपने मूल स्थानों पर लौटने में मदद करना शुरू किया। वह देश के जरूरतमंदों और वंचितों की मदद करने में लगे हैं।
स्वास्थ्य कर्मियों के लिये किया रहने का इंतज़ाम
जब सरकार ने इस साल मार्च में देशव्यापी लॉकडाउन की घोषणा की, तो कई मेडिकल स्टाफ के सदस्यों के साथ-साथ डॉक्टर्स भी कोविड-19 संक्रमित होने लगे, उन्हें लंबे समय तक काम करने के जोखिम से जूझना पड़ा, साथ ही व्यावसायिक संकट और सामाजिक कलंक का भी सामना करना पड़ा। उनकी सहायता करने और रहने की जगह प्रदान करने की दृष्टि से, सोनू सूद ने मुंबई में अपने जुहू होटल के द्वार खोले।
उस दौरान अभिनेता ने पीटीआई को बताया था,
“यह मेरा सम्मान है कि हम अपने देश के डॉक्टरों, नर्सों और पैरा मेडिकल स्टाफ के लिए अपना काम कर सकें, जो लाखों लोगों की जिंदगी बचाने के लिए दिन-रात काम कर रहे हैं। मैं इन रियल हीरोज़ के लिए अपने होटल के दरवाजे खोलने के लिए वास्तव में खुश हूं।”
भूखों को दिया भोजन
कोरोनावायरस महामारी ने अधिकांश उद्योगों और व्यवसायों को बंद कर दिया, जिसके परिणामस्वरूप व्यापक रूप से नौकरियों का नुक्सान और खाद्य असुरक्षाएं हुईं। हालांकि, महामरी के दौरान सबसे अधिक प्रभावित अनौपचारिक क्षेत्र में काम करने वाले लोग ही हैं, ऐसे में नियमित आय के बिना, कई अनुबंध और प्रवासी श्रमिक दिन में तीन-वर्ग भोजन प्राप्त करने के लिए संघर्ष कर रहे थे। मुंबई में हर दिन कम से कम 45,000 लोगों को भोजन कराने के उद्देश्य से सोनू सूद ने अपने दिवंगत पिता, शक्ति सागर सूद के नाम पर शक्ति अन्नदानम शुरू किया।
प्रवासियों की करायी घर वापसी
लॉकडाउन ने प्रवासियों को उनके गृहनगर में वापस आने के लिए मजबूर किया। समय पर परिवहन सुविधाओं की कमी के कारण, कई लोग पैदल ही लंबी दूरी तय कर रहे थे। कुछ ने सुरक्षित स्थान पर पहुँचने की आशा में 1,000 किलोमीटर से अधिक चलने का प्रयास भी किया। मुंबई महानगरी में स्वयं एक प्रवासी होने के कारण, सोनू अपनी कठिनाइयों के साथ भी इस खास वर्ग के प्रति अपनी सहानुभूति रखने में सक्षम रहे। उन्होंने कर्नाटक में प्रवासियों के एक समूह को मनाया, जो पैदल यात्रा शुरू करने वाले थे। बाद में उन्होंने इन प्रवासियों के घर जाने के लिए बसों की व्यवस्था करने के लिए कर्नाटक और महाराष्ट्र राज्य सरकारों के साथ समन्वय किया और उनकी चिकित्सा मंजूरी भी ली।
पिछले तीन महीनों में, अभिनेता ने अपने परिवारों के साथ 20,000 से अधिक प्रवासियों को पुनर्मिलन में मदद की है। चाहे झारखंड हो, असम हो, बिहार हो या ओडिशा हो, सोनू सूद ने हवाई जहाज, बसों, ट्रेनों आदि के माध्यम से लोगों को घर पहुँचाने में मदद की। उन्होंने एक टोल-फ्री हेल्पलाइन नंबर भी लागू किया, जहां प्रवासी श्रमिक अपने अनुरोध भेज सकें।
रोजगार के माध्यम से बनाया ज़रूरतमंदों को आत्मनिर्भर
हाल ही में, अपने 47 वें जन्मदिन पर, सोनू सूद ने भारत में प्रवासी श्रमिकों को सार्थक रोजगार के अवसर प्रदान करने के लिए 'प्रवासी रोज़गार' नामक एक फ्री ऐप और वेबसाइट लॉन्च की। प्लेटफॉर्म को नौकरी चाहने वालों को नौकरी प्रदाताओं के साथ जोड़ने के लिए बनाया गया था। इस पहल का उद्देश्य श्रमिकों को अपेक्षित कौशल के साथ प्रशिक्षित करना है ताकि एक अच्छी नौकरी हासिल करने की संभावना बढ़ सके। अभिनेता ने इसे पूरा करने के लिए स्कूलनेट इंडिया और नेशनल स्किल डेवलपमेंट कॉरपोरेशन के बीच एक संयुक्त उपक्रम, लर्निंग स्किल्स के साथ समझौता किया।
अभिनेता ने इस प्रयास के माध्यम से तीन लाख नौकरियां पैदा करने का मिशन रखा है। कुछ प्रमुख कंपनियां जो उनका समर्थन कर रही हैं, उनमें अमेज़न, एईपीसी, CITI, ट्रिडेंट, क्वेस कॉर्प, सोडेक्सो, अर्बन सीओ और पोर्टिया शामिल हैं।
किसानों को दिया अपना साथ
जुलाई के अंतिम सप्ताह के दौरान, किसान के नागेश्वर राव की बेटियों की कृषि क्षेत्र में खेती करने का वीडियो वायरल हुआ। आंध्र प्रदेश के चित्तूर जिले के केवी पल्ली के गाँव से ताल्लुक रखने वाला किसान न तो बैलों और न ही ट्रैक्टर चला सकता था। जैसे ही सोनू सूद ने वीडियो देखा, उन्होंने किसान के लिए ट्रैक्टर की व्यवस्था की। अभिनेता के इस उदार इशारे की आंध्र प्रदेश के विपक्ष के नेता, चंद्रबाबू नायडू ने सराहना की, जिन्होंने बाद में नागेश्वर राव की दोनों बेटियों की शिक्षा के फंडिंग की जिम्मेदारी ली।
छात्रों के लिए किया देश वापसी का बंदोबस्त
किर्गिस्तान में फंसे भारतीय छात्रों के एक समूह के लिए सोनू सूद मसीहा बन गए। उन्होंने उनके लिए राजधानी बिश्केक से वाराणसी तक एक चार्टर फ्लाइट की व्यवस्था की। 26 जुलाई, 2020 को लाल बहादुर शास्त्री अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर लगभग 135 छात्र सुरक्षित रूप से उतरे।
इस पर सोनू ने मीडिये से अपनी खुशी व्यक्त करते हुए कहा था,
“बहुत खुशी महसूस हो रही है कि किर्गिस्तान से वाराणसी के लिए हवाई जहाज़ ने आज उड़ान भरी। मेरे मिशन को सफल बनाने के लिए फ्लाईस्पाइसजेट को धन्यवाद।"
साथ ही सोनू सूद ने इस बीच फ्रंटलाइन वर्कर्स को लैस करना व पुलिस कर्मी और डॉक्टर्स जैसे कोविड-19 फ्रंटलाइन-वर्कर्स समुदाय के कल्याण के लिए अथक प्रयास किए हैं और कर बी रहे हैं। अभिनेता ने कथित तौर पर पूरे पंजाब में पैरामेडिक्स को 1,500 पीपीई किट दी थीं और महाराष्ट्र में पुलिस अधिकारियों को 25,000 फेस शील्ड भी दान किए। सोनू सूद की मानें तो उनका अगला मिशन बुजुर्गों के घुटनों की सर्जरी कराना है।
उन्होंने एक इंटरव्यू में कहा था,
"मैं बुजुर्गों के घुटनों की सर्जरी कराना चाहता हूं, ताकि उन्हें ऐसा महसूस न हो कि वे समाज का बेकार और उपेक्षित हिस्सा हैं। 2021 में घुटनों का ट्रांसप्लांट मैं अपनी प्राथमिकता में चाहता हूं।"
सूत्रों की मानें, तो अभिनेता सोनू सूद 10 करोड़ रुपये जुटाने और जरूरतमंदों की मदद करने के लिए मुंबई में अपनी आठ संपत्तियों को भी गिरवी रख चुके हैं।
मनी कंट्रोल की रिपोर्ट के अनुसार सोनू सूद ने कोरोनावायरस महामारी के दौरान लॉकडाउन में कई सहायता उपायों को आयोजित करने में सबसे आगे रहे हैं। संकट के समय में आगे बढ़कर लोगों की सहायता करने के उनके प्रयासों को व्यापक रूप से सराहा गया है। एक व्यक्ति ने तो अपनी दुकान का नाम भी उनके नाम पर रखा है, सिर्फ इसलिए क्योंकि सोनू सूद ही वो शख़्स हैं जिन्होंने अपने गांव तक पहुंचने में उसकी मदद की।