Brands
YSTV
Discover
Events
Newsletter
More

Follow Us

twitterfacebookinstagramyoutube
Yourstory

Brands

Resources

Stories

General

In-Depth

Announcement

Reports

News

Funding

Startup Sectors

Women in tech

Sportstech

Agritech

E-Commerce

Education

Lifestyle

Entertainment

Art & Culture

Travel & Leisure

Curtain Raiser

Wine and Food

Videos

ADVERTISEMENT

पानी से प्रदूषण को खत्म कर सकती हैं इस भारतीय आर्कीटेक्ट द्वारा तैयार की गईं ये खास टाइलें

पानी से प्रदूषण को खत्म कर सकती हैं इस भारतीय आर्कीटेक्ट द्वारा तैयार की गईं ये खास टाइलें

Friday November 01, 2019 , 4 min Read

हम जलवायु परिवर्तन के रूप में अत्यधिक प्रदूषण के बढ़ने और इसके परिणामों को देख रहे हैं। तेल के फैलने और प्लास्टिक ने हमारे महासागरों को बड़ी मात्रा में समुंद्री जीवों के लिए निर्जीव बना दिया है, मृत मछलियों से लेकर अन्य मरे हुए जीव रोजाना समुंद्र किनारे दिखाई दे जाते हैं। समय आ गया है कि हम इस मामले को गंभीरता से लें और अपने ग्रह को हमारे बुरे कार्यों से बचाने के तरीके खोजें।


ऐसी ही एक शख्स हैं शनील मलिक जो इस समस्या को लेकर अपना काम कर रही हैं। आर्कीटेक्ट शनील मलिक (Shneel Malik) ने इंडस नाम से टाइलें तैयार की हैं जो पानी से पोल्यूटेंट और टॉक्सिन को बाहर निकाल सकती हैं।


k

शनील मलिक

शनील दिल्ली से हैं और यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन में बार्टलेट स्कूल ऑफ आर्कीटेक्चर में डॉक्टरेट कैंडिडेट हैं। शनील इन एकल-कोशिकाओं और गैर-फूल वाले, जलीय जीवों को समुद्र तल में पाए जाने वाले प्रदूषण से 'बायोरेमेडिएशन' नामक प्रक्रिया के माध्यम से संरक्षित करती हैं।


ग्रीन मैग्जीन के अनुसार, यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन ने एक प्रोजेक्ट शुरू किया है जिसमें जल प्रदूषण की समस्या को संबोधित करने के लिए एक अंतःविषय दृष्टिकोण अपनाया जाएगा। यह प्रोजेक्ट इंडस के रूप में अपने सलूशन पर अमल करेगा, जो बायोरेमेडिएशन के माध्यम से पानी की सफाई के लिए एक टाइल-बेस्ड मॉड्यूलर बायोरिएक्टर दीवार प्रणाली है।


शनेल ने ग्रीन मैग्जीन को बताया,

"टाइल और पूरे सिस्टम को स्थानीय रूप से उपलब्ध मटेरियल और तकनीकों का उपयोग करके तैयार किया गया है, जिससे पूंजीगत लागत में भी काफी कमी आई है।"


वे कहती हैं,

“इन टाइलों को छोटे पैमाने के कुटीर उद्योगों की मौजूदा दीवारों और छतों पर लगाया जा सकता है, जहां इंडस केवल एक युनिट की जरूरतों को पूरा कर सकती है। लेकिन अगर हम इसके इस्तेमाल को बढ़ाकर सामुदायिक स्तर पर ले जाना चाहते हैं, तो एक स्टैंडअलोन लकड़ी की बैटन स्ट्रक्चर को लगाया जा सकता है, जो टाइलों को जकड़े रख सकती है।"
k

पत्ति के डिज़ाइन की टाइल

इन टाइलों को पत्ती की तरह डिजाइन किया गया है। जिससे पानी इनके ऊपर से प्रवाहित होगा जिसमें शैवाल भी शामिल हैं। ये शैवाल समुद्री खरपतवार आधारित हाइड्रोजेल के जैविक स्ट्रक्चर के भीतर पाए जाते हैं जो शैवाल को जीवित रखता है और पूरी तरह से रीसाइकिलेबल और बायोडिग्रेडेबल है।


शनील ने आउटडोर डिजाइन को बताया कि इन टाइलों को आसानी से बनाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि शैवाल बनाने के लिए आवश्यक सामग्री को पाउडर के रूप में तैयार किया जा सकता है, जिसे बाद में टाइल्स तैयार करने के लिए हाइड्रोजेल को पकाया जा सकता है।


वह बताती हैं,

“कई बार, हाइड्रोजेल तर-बतर हो जाएगा और इसे रिप्लेस करने की आवश्यकता होगी। हालांकि इसका सटीक समय पानी में प्रदूषकों की संख्या पर निर्भर करता है, लेकिन हमने कई फॉर्मुलेशन बनाए हैं जो महीनों तक स्थिर रहे हैं।”
k

एक निश्चित समय के बाद, शैवाल को ताजा बैचेस से बदल दिया जाता है, और टाइलों को पुन: उपयोग करने के लिए उन्हें फिर से भरा जाता है। आसान मेंटेनेंस के लिए, ये टाइलें एक दूसरे से एक लैप के जरिए जुड़ी हुई होती हैं, और पूरे स्ट्रक्चर को तोड़े बिना व्यक्तिगत रूप एक-एक को हटाया जा सकता है।


शनील ने आउडोर डिजाइन को बताया,

“साइट विजिट के दौरान हमने महसूस किया कि कारीगर मजदूरों को पश्चिमी उच्च तकनीक वाले जल उपचार समाधानों के लिए कोई स्थान उपलब्ध नहीं है। न ही उनके पास आर्थिक क्षमता थी जिससे वे अतिरिक्त समर्थन हासिल कर सकें। इसलिए, हमें एक ऐसी प्रणाली की आवश्यकता थी जो स्थानिक रूप से संगत हो और उनका निर्माण और रखरखाव किया जा सके।"


एक बार प्रोजेक्ट शुरू होने के बाद, बायो-आईडी लैब के माध्यम से इन टाइलों को कस्टम-मेड किया जा सकता है। इन टाइलें को टेम्प्लेट के माध्यम से भी ढाला जा सकता है।