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स्टार्टअप्स ने 2022 में 9 लाख से अधिक नौकरियां पैदा कीं: इकोनॉमिक सर्वे 2023

देश में लगभग 48% स्टार्टअप टियर II और टियर III क्षेत्रों से हैं.

Sowmya Ramasubramanian

रविकांत पारीक

स्टार्टअप्स ने 2022 में 9 लाख से अधिक नौकरियां पैदा कीं: इकोनॉमिक सर्वे 2023

Wednesday February 01, 2023 , 3 min Read

सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त स्टार्टअप्स ने 2022 में भारत में 9 लाख से अधिक प्रत्यक्ष रोजगार सृजित किए, 2022-23 के आर्थिक सर्वेक्षण (economic survey 2023) में कहा गया है कि यह पिछले तीन वर्षों में सृजित नौकरियों की औसत संख्या से 64% की वृद्धि थी.

रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि देश में लगभग 48% स्टार्टअप टियर II और टियर III क्षेत्रों से हैं, जो भारत की जमीनी अर्थव्यवस्था की "जबरदस्त क्षमता" का संकेत देते हैं.

उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (DPIIT) द्वारा मान्यता प्राप्त स्टार्टअप्स की संख्या 2016 में 452 से बढ़कर 2022 में 84,012 हो गई, जो आंशिक रूप से निवेश प्रोत्साहन और व्यापार अनुपालन में आसानी से प्रेरित है.

सर्वेक्षण में कहा गया है, "सरकार ने आईपी कार्यालय का आधुनिकीकरण करके, कानूनी अनुपालन को कम करके और स्टार्टअप, महिला उद्यमियों, छोटे उद्योगों और अन्य लोगों के लिए आईपी फाइलिंग की सुविधा देकर अपने (बौद्धिक संपदा अधिकार - intellectual property rights) शासन को भी मजबूत किया है. इसके परिणामस्वरूप 2016-2021 में पेटेंट की घरेलू फाइलिंग में 46% की वृद्धि हुई है, जो ज्ञान आधारित अर्थव्यवस्था की ओर भारत के बढ़ते कदम का संकेत है."

आर्थिक सर्वेक्षण, आम बजट से पहले वित्त मंत्रालय द्वारा जारी एक महत्वपूर्ण दस्तावेज है, जो पिछले वर्ष के आर्थिक विकास का सार प्रस्तुत करता है और आगामी वर्ष के लिए विकास पथ निर्धारित करता है.

आर्थिक सर्वेक्षण पिछले एक साल में देश में आर्थिक और वित्तीय रुझानों की समीक्षा करता है. यह सभी सेक्टरों का विस्तृत डेटा पेश करता है. इसके साथ ही, यह कृषि और इंडस्ट्रीयल प्रोडक्शन, इंफ्रास्ट्रक्चर, रोजगार, मुद्रास्फीति दर, व्यापार, विदेशी मुद्रा भंडार और अन्य आर्थिक क्षेत्रों में ट्रेंड्स का विश्लेषण करता है. सर्वेक्षण सरकार को केंद्रीय बजट में संसाधनों को अधिक कुशलता से जुटाने और आवंटित करने में मदद करता है और आने वाले साल के लिए भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए रणनीति तैयार करता है. आर्थिक सर्वेक्षण नीति निर्माताओं को देश की जीडीपी वृद्धि के लिए मुख्य चुनौतियों की पहचान करने में भी मदद करता है.

फाइनेंस मिनिस्ट्री ने भारत का आर्थिक सर्वेक्षण पहली बार 1950-51 में पेश किया था. उस समय इसे केंद्रीय बजट के साथ ही पेश किया गया था. हालांकि, साल 1964 से सर्वेक्षण को बजट से अलग कर दिया गया.

पिछले साल जारी किया गया सर्वेक्षण भी दो-वॉल्यूम फॉर्मेट से सिंगल वॉल्यूम में बदल दिया गया था. तब सान्याल ने कहा था कि पहले के दो-वॉल्यूम फॉर्मेट बहुत "भारी" थे. पिछले साल के आर्थिक सर्वेक्षण में 2021-22 में वास्तविक रूप से 9.2 प्रतिशत की आर्थिक वृद्धि की भविष्यवाणी की गई थी, जबकि 2022-23 के लिए सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर 8-8.5 प्रतिशत आंकी गई थी.

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