देश के पहले निजी रॉकेट विक्रम-S की सफल लॉन्चिंग के साथ भारत के स्पेस सेक्टर में निजी कंपनियों की आमद
देश की पहली प्राइवेट स्पेस कंपनी अंतरिक्ष स्टार्टअप स्काईरूट एयरोस्पेस (Skyroot Aerospace) का रॉकेट Vikram-S ने आज सुबह 11 बजकर 30 मिनट पर सफल उड़ान भरी. स्काईरूट एयरोस्पेस (Skyroot Aerospace) की ओर से विकसित रॉकेट को लॉन्च को भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (Indian Space Research Organization) के आंध्रप्रदेश के श्रीहरिकोटा में सतीश धवन स्पेस सेंटर से किया गया.
विक्रम-S भारत का पहला प्राइवेट रॉकेट होगा, जिसे एक इंडियन स्टार्टअप, स्काईरूट एयरोस्पेस, ने बनाया है. स्काईरूट कंपनी और इसरो के बीच रॉकेट लांचिंग को लेकर एमओयू साइन हुआ है. आज का रॉकेट लॉन्च एक तरह का डेमोंसट्रेशन मिशन है जिसमें तीन पेलोड को पृथ्वी से करीब 100 किलोमीटर की ऊंचाई तक ले जाए जाने की उम्मीद थी, और आज के लॉन्च में विक्रम-S ने 89.5 किलोमीटर की उंचाई तय की. विक्रम-एस रॉकेट के साथ गए तीन पेलोड में चेन्नई बेस्ड स्टार्टअप स्पेसकिड्ज़ (SpaceKidz), आंध्र प्रदेश बेस्ड एन-स्पेसटेक (N-SpaceTech) और आर्मेनिया के बाजूम-Q स्पेस रिसर्च लैब (BazoomQ Space Research Lab) पेलोड हैं.
इस पूरे मिशन को कंपनी ने 'मिशन प्रारंभ' (Mission Prarambh) नाम दिया गया है. वहीँ, रॉकेट का नाम विक्रम-एस (Vikram-S) प्रसिद्ध भारतीय वैज्ञानिक और इसरो के संस्थापक डॉ. विक्रम साराभाई के नाम पर रखा गया है.
6 मीटर लंबा और 550 किलो वजनी रॉकेट विक्रम-S
विक्रम-S केवल 6 मीटर लंबा सिंगल स्टेज स्पिन स्टेबलाइज्ड सॉलिड प्रोपेलेंट रॉकेट है. ये 422 न्यूटन का मैक्सिमम थ्रस्ट जेनरेट करता है. इसमें 4 स्पिन थ्रस्टर्स दिए गए हैं. इस रॉकेट का वजन करीब 545 किग्रा है, जो समंदर में गिरने से पहले धरती की सतह से 101 किमी की ऊंचाई को हासिल करेगा. इसमें कुल 300 सेकेंड का समय लगेगा. ये कलाम 80 प्रोपल्शन सिस्टम से पावर्ड है जिसकी टेस्टिंग 15 मार्च 2022 को नागपुर की सोलर इंडस्ट्रीज में की गई थी.
विक्रम-S सिंगल स्टेज का सब-ऑर्बिटल लॉन्च व्हीकल है जिसने आज सब-ऑर्बिटल उड़ान भरी. इस लॉन्चिंग में आम ईंधन के बजाय LNG यानी लिक्विड नेचुरल गैस और लिक्विड ऑक्सीजन (LoX) का इस्तेमाल किया जा रहा है, जो किफायती होने के साथ-साथ प्रदूषण मुक्त भी है.
Vikram-S के सफल लॉन्च के साथ ही भारत निजी स्पेस कंपनी के स्पेस में कदम रख चूका है. इसके सफल लॉन्च ने स्काईरूट के उन 80 प्रतिशत तकनीकों को मान्यता दिला दी है जिनका उपयोग विक्रम-1 कक्षीय वाहन में किया जाएगा, जिसे अगले साल प्रक्षेपित करने की योजना है. फिलहाल स्काईरूट के पास तीन तरह के रॉकेट बनाने की योजना है. विक्रम-1, 2 और 3.
इस लॉन्च के बारे में बंगलुरू टेक समिट-2022 में ‘आर एंड डी- इनोवेशन फॉर ग्लोबल इंपैक्ट’ (R&D – Innovation for Global Impact) में बात करते हुए ISRO (इसरो) चेयरमैन एस. सोमनाथ ने बताया कि अंतरिक्ष तकनीक और नवोन्मेष के क्षेत्र में ISRO के साथ काम करने के लिए 100 स्टार्ट-अप्स समझौता कर चुके हैं. सोमनाथ ने इस दौरान यह भी बताया कि 100 में से करीब 10 ऐसी कंपनियां हैं, जो सैटेलाइट और रॉकेट विकसित करने में जुटी हैं.
(फीचर इमेज क्रेडिट: @SkyrootA)
Edited by Prerna Bhardwaj