यह है भारत का पहला 'जीरो वेस्ट' ज्यूस बार, यहां प्लास्टिक के गिलास में नहीं फलों के खोल में मिलता है ज्यूस
प्लास्टिक सिर्फ इंसानों के लिए ही नहीं बल्कि पर्यावरण के लिए भी खतरनाक है। इसकी वजह प्लास्टिक का निस्तारण, प्लास्टिक का पूरी तरह से निस्तारण करने में सालों साल या कह लीजिए कि हजारों साल लग जाते हैं। अपनी प्रतिदिन की दिनचर्या में प्लास्टिक पर लोगों की निर्भरता को कम करने के लिए सरकार कई प्रयास कर रही है।
यहां तक कि देश के पीएम नरेंद्र मोदी ने भी सिंगल यूज प्लास्टिक के प्रयोग में कमी लाने के लिए कड़ कदम उठाए हैं। हालांकि केवल सरकारों के प्रयासों से ही सफलता नहीं मिलेगी, बल्कि इसके लिए आम लोगों को भी आगे आना पड़ेगा।
ऐसा ही एक अनोखा और उपयोगी प्रयास कर्नाटक का एक ज्यूस वाला कर रहा है। यह ज्यूस वाला अपने ग्राहकों को प्लास्टिक के गिलास में नहीं बल्कि फलों के खोल यानी शेल में डालकर देता है। यानी कि नो प्लास्टिक। इस शानदार पहल को शुरू करने वाली दुकान का नाम 'ईट राजा' (Eat Raja) है। वह अपने ग्राहकों को प्लास्टिक के कप या गिलास की जगह पर खरबूजे, नारियल, खीरे जैसे फलों के खोल में ज्यूस देता है। साथ ही वह ग्राहकों के धूम्रपान छोड़ने की अपील भी करता है। न्यूज एजेंसी ने इस दुकान के फोटो पोस्ट करते हुए ट्वीट किया...
अगर ग्राहक ज्यूस पीने के लिए अपने साथ स्टील का ग्लास लाते हैं तो वह ज्यूस पर छूट देता है। इस दुकान पर आने वाले ग्राहक कहते हैं,
"हमें इस दुकान के बारे में यूट्यूब और सोशल मीडिया से पता चला। यह एक अच्छी पहल है क्योंकि इसमें ना तो कोई प्लास्टिक का प्रयोग हो रहा है और इस्तेमाल किए गए खोल बाद में जानवरों को खिला दिए जाते हैं।"
यह दुकान कर्नाटक के मल्लेश्वपर में है। केवल प्लास्टिक ही नहीं, वह लोगों से धूम्रपान से दूर रहने की भी अपील करता है और उसकी अपील मानने वाले लोगों को कम कीमत पर ज्यूस पिलाता है।
न्यूज एजेंसी के ट्वीट के रिप्लाई में लोगों ने ईट राजा ज्यूस वाले की पहल की सराहना की है। न्यूज एजेंसी एएनआई से बात करते ईट राजा दुकानदार कहता है,
"हम भारत के पहले जीरो वेस्ट जूस बार हैं। हम कप, स्ट्रॉ और किसी भी प्रकार के प्लास्टिक का यूज नहीं करते हैं। यही चीज हमें बाकियों से हटकर बनाती है।"
सोशल मीडिया में आने के बाद दुकान वाला आसपास के इलाके में चर्चा का विषय बन गया है। दूर-दूर से लोग दुकान पर ज्यूस पीने के लिए आ रहे हैं।