भारत के बारह वर्षीय हाजिक के बनाए प्रॉजेक्ट से साफ होगा समुद्री कचरा
हर साल समुद्र में क़रीब 1.27 करोड़ टन प्लास्टिक समा जा रहा है। इससे रोजाना हजारों जल जीवों की मौत हो जा रही है। इससे विचलित पुणे (महाराष्ट्र) का बारह वर्षीय हाज़िक काज़ी 'एरविस' नाम का एक ऐसा जहाज बनाने के प्रोजेक्ट पर जुटा है, जो एक ही बार में सौ टन प्लास्टिक कचरा समेट कर समुद्र से बाहर कर डालेगा।
दुनिया भर में समुद्रों में प्लास्टिक का टनों कचरा तैर रहा है। वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि माइक्रोप्लास्टिक, जो आकार में पांच मिलीमीटर से छोटे होते हैं, समुद्र के प्राकृतिक पर्यावरण को बिगाड़ सकते हैं। संयुक्त राष्ट्र के पर्यावरण संबंधी आंकड़ों के मुताबिक, उत्तरी प्रशांत महासागर के प्रतिवर्ग किलोमीटर में माइक्रोप्लास्टिक के करीब तेरह हजार टुकड़े मौजूद हैं। समुद्र का यह इलाका माइक्रोप्लास्टिक से सबसे बुरी तरह प्रभावित है। एक जानकारी के मुताबिक हर साल क़रीब 1.27 करोड़ टन प्लास्टिक समुद्र में समा जा रहा है। इसकी वजह से समुद्री जीव-जंतुओं के लिए भयावह स्थिति पैदा हो गई है। कछुओं की दम घुटने से मौतें हो रही हैं। व्हेलें ज़हर की शिकार हो रही हैं। ऐसे में दुनिया भर के वैज्ञानिक समुद्र में बढ़ते प्लास्टिक कचरे की चुनौती से निपटने के तरीक़े तलाश रहे हैं।
इसी पर नजर है पुणे (महाराष्ट्र) के बारह वर्षीय किशोर हाज़िक काज़ी की, जो दावा कर रहा है कि वह महासागरों से जुड़ी समस्याओं का समाधान करना चाहता है। वह 'एरविस' नाम का एक ऐसा जहाज बनाने के प्रोजेक्ट पर काम कर रहा है, जो एक ही बार में कम से कम सौ टन प्लास्टिक कचरा समेट कर समुद्र से बाहर कर डाले। हाज़िक काज़ी ने जब पढ़ा कि समुद्र में पहुंचने वाले प्लास्टिक के कचरे से जलीय जीव-जंतु घायल हो जाते हैं, तभी से वह अपना अनूठा 'एरविस' जहाज बनाने के प्रोजेक्ट पर जुटा हुआ है। मुंबई में एक कार्यक्रम के दौरान हाज़िक ने अपने एक प्रजेंटेशन में बताया कि यह जहाज चालीस मीटर लम्बा, बारह मीटर चौड़ा और पचीस मीटर ऊंचा होगा।
हाज़िक के दावे सुनने वाले हैरत से भर उठे। किशोर वय हाज़िक काज़ी के प्रोजेक्ट के मुताबिक, उसका जहाज भौतिकी के अभिकेंद्रीय बल की अवधारणा पर आधारित होगा, जिसमें मल्टी स्टेज क्लीनर होंगे, जो अलग-अलग आकार के कचरे को छानकर अलग कर देंगे। फिर उस कचरे को एक कॉम्पेक्टर की मदद से कुचल डालेंगे। जहाज के दोनों ओर बड़ी तश्तरी नुमा संरचनाएं लगी होंगी, जिनके गोलाई में घूमने से कचरा केंद्र की ओर खिंचा चला आएगा। इसके बाद जहाज के कई चेम्बरों से जुड़ा एक सेंट्रल इनलेट कचरे को निगल जाएगा। जैसे ही कचरा पहले चेम्बर में आएगा, उसकी छंटाई शुरू हो जाएगी। पहला लेवल ऑइल फिल्टर का होगा, जिसमें ऑइल छानकर चेम्बर में भेज दिया जाएगा। दूसरे से लेकर पांचवें चेम्बर तक में कचरा उसके आकार के हिसाब से छांटा जाएगा।
हाज़िक के इस 'एरविस' जहाज के प्रोजेक्ट का अभी एक काम पूरा नहीं हुआ है। चेम्बर प्लास्टिक और बिना प्लास्टिक कचरे को अलग-अलग करेंगे। प्लास्टिक को दबाकर क्यूब बना दिया जाएगा। बाकी कचरे को बैक्टीरिया की मदद से अपघटित कर दिया जाएगा। इसके बाद भी कुछ कचरा बचता है तो उसका अलग से निपटान करने के लिए जमा कर लिया जाएगा। हाज़िक ने दावा किया है कि वह 'एरविस' के प्रोटोटाइप को हकीकत बनाने के लिए कड़ी मेहनत कर रहा है। फिलहाल, कचरे को समुद्र में जमा होने से रोकने के लिए पूरी दुनिया में तरह-तरह के नुस्खे आज़माए जा रहे हैं।
इस दौरान एक अनुमानित रिसर्च में बताया गया है कि सन् 2050 तक समुद्र में मछलियों से ज़्यादा प्लास्टिक जमा हो जाएगा। इस समय प्रशांत महासागर में 'द ग्रेट पैसिफ़िक गार्बेज पैच' समुद्र में कचरे का सबसे बड़ा ठिकाना बना हुआ है। यहां पर अस्सी हज़ार टन से भी ज़्यादा प्लास्टिक जमा हो चुका है। यह कचरा पूरे फ्रांस के रकबे के बराबर के इलाक़े में कैलिफ़ोर्निया और हवाई द्वीपों के बीच फैला हुआ है। नीदरलैंड के युवा इंजीनियर बॉयन स्लैट की अगुवाई में इस कचरे को तीन मीटर की गहराई तक कचरा जमा करने वाली छह सौ मीटर लंबी तैरती हुई मशीन से साफ़ करने का 'सिस्टम 001' नाम से अभियान चल रहा है। नीदरलैंड में समुद्री कचरे से प्लास्टिक की सड़कें बनाई जा रही हैं।
इंडोनेशिया की कंपनी किसानों के साथ मिलकर समुद्री खरपतवार से बर्गर और सैंडविच पैक करने वाले पैकेजिंग के सामान तैयार कर रही है। कंपनी का दावा है कि इस पैकेजिंग को भी लोग खा सकते हैं। एक और नुस्खा 'प्लास्टिक बैंक' का आजमाया जा रहा है, जिसमें इस कंपनी के लोग ज़्यादा पैसे देकर जनता से इस्तेमाल हुआ प्लास्टिक ख़रीद लेते हैं। प्लास्टिक बैंक फिलहाल हैती, ब्राज़ील और फिलीपींस में काम कर रहा है। जल्द ही भारत, दक्षिण अफ्रीका, पनामा और वेटिकन में भी इसकी सेवाएं शुरू होने की संभावना जताई गई है।
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