महंगाई कम होना तो भूल जाइए अभी ये और बढ़ने वाली है, ये घटनाएं कर रही हैं इशारा
हर गुजरते दिन के साथ महंगाई डरा रही है. जून में थोक महंगाई दर 15 फीसदी थी, जो लगातार 15वें महीने 10 फीसदी से ऊपर है. वहीं दूसरी ओर खुदरा महंगाई दर 7.1 फीसदी रही, जो रिजर्व बैंक के अनुमान से भी अधिक है. यानी ये साफ है कि महंगाई अभी बेकाबू है और लाख कोशिशों के बावजूद रिजर्व बैंक भी इसे काबू नहीं कर पा रहा है. वैसे तो रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने पिछले कुछ महीनों में दो बार में रेपो रेट 90 बेसिस प्वाइंट यानी करीब 0.90 फीसदी बढ़ाया है, लेकिन अभी तक महंगाई पर लगाम नहीं लगाई जा सकी है. अगर इन आंकड़ों ने आपको चिंता में डाल दिया है तो आपको ये जाकर हैरानी हो सकती है कि आने वाले दिन भी आप पर भारी पड़ने वाले हैं. आने वाले दिनों में महंगाई और अधिक बढ़ेगी, जेब ढीली करने के लिए तैयार रहिए.
हाल ही में बढ़ी जीएसटी, महंगे हुए कुछ आइटम
पिछले ही महीने जीएसटी काउंसिल की 47वीं बैठक में फैसला किया गया कि 14 चीजों पर 5 फीसदी जीएसटी लगाई जाएगी, जिनमें दाल, गेहूं, बाजरा, चावल, सूजी, दही और लस्सी जैसे प्रोडक्ट शामिल हैं. ये नई दरें 18 जुलाई से लागू हुई हैं. हालांकि, इन पर जीएसटी सिर्फ तभी लगेगी, जब ये प्रीपैक्ड या फिर लेबल्ड तरीके से बेचे जाएंगे. यानी जब इन्हें खुला बेचा जाएगा, तब इन पर जीएसटी नहीं लगेगी.
जीएसटी में हो सकते हैं अभी कई और बदलाव
नीति आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष अरविंद पनगढ़िया ने कोलंबिया ग्लोबल सेंटर्स के एक कार्यक्रम में जीएसटी के स्लैब कम करने की बात कही है. उनका मानना है कि जीएसटी की सिर्फ दो दरें होनी चाहिए, पहली 12 फीसदी और दूसरी 18 फीसदी. साथ ही वह कहते हैं कि छूट दी जाने वाली चीजों की लिस्ट भी छोटी होनी चाहिए. मौजूदा समय में 5, 12, 18 और 28 चार जीएसटी स्लैब हैं. इसके अलावा सोने और उससे तैयार गहनों पर 3 फीसदी टैक्स लगता है. दिलचस्प बात ये है कि जीएसटी कलेक्शन का करीब 70 फीसदी सिर्फ 18 फीसदी वाले स्लैब से आता है, जिसमें लगभग 480 चीजें आती हैं. वैसे सरकार भी जीएसटी स्लैब कम करना चाहती है, लेकिन वह 3 स्लैब रखने पर विचार कर रही है. अगर स्लैब कम होते हैं तो कुछ चीजों पर जीएसटी बढ़ेगी. वहीं जहां तक जीएसटी घटाए जाने की बात है तो ऐसा होना मुश्किल ही लग रहा है. ऐसे में महंगाई की मार और बढ़ सकती है.
फिर बढ़ने वाला है रेपो रेट
अगले महीने 2-4 अगस्त तक रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति यानी एमपीसी की बैठक होनी थी. अब इस बैठक को एक दिन बढ़ा दिया गया है और 3-4 अगस्त को यह बैठक होगी. इस बार की बैठक के बाद भी रेपो रेट में तगड़ी बढ़ोतरी की उम्मीद जताई जा रही है, क्योंकि खुदरा महंगाई दर अभी भी 7.1 फीसदी है, जो दो बार रेपो रेट बढ़ाने के बावजूद कम नहीं हुई है. अभी रेपो रेट 4.90 फीसदी हो चुका है और अगस्त की बैठक के बाद यह और बढ़ेगा. जैसे ही रेपो रेट बढ़ेगा, बैंकों की तरफ से लोन दिए जाने की दर बढ़ा दी जाएगी. रेपो रेट बढ़ने की वजह से होम लोन और कार लोन की ईएमआई भी बढ़ जाएगी.
कमजोर होता रुपया दे रहा महंगाई को ताकत
भले ही रुपया हर गुजरते दिन के साथ डॉलर के मुकाबले कमजोर होता जा रहा है, लेकिन उसकी कमजोरी से महंगाई को ताकत मिल रही है. अभी डॉलर के मुकाबले रुपया करीब 80 रुपये के स्तर पर पहुंच चुका है. रुपया कमजोर होने का सीधा सा मतलब है कि आयात की जाने वाली हर चीज महंगी होती जा रही है. सोने से लेकर कच्चा तेल तक महंगा हो रहा है, क्योंकि अब हमें डॉलर की तुलना में अधिक कीमत चुकानी पड़ रही है. रुपया कमजोर होना कितनी चिंता की बात है इसका अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि इसे मजबूती देने के लिए रिजर्व बैंक 100 अरब डॉलर तक खर्च करने को तैयार है. अभी सोना करीब 48 हजार रुपये प्रति तोला है, जबकि अगर सोना साल भर पहले के स्तर पर रहता तो आज सोना करीब 40 हजार रुपये तोला के हिसाब से बिक रहा होता.
क्या महंगाई से कभी निजात मिलेगी?
पिछले कुछ सालों से महंगाई की मार को देखते हुए लोग यह सोचने लगे हैं कि क्या ये कभी कम होगी भी या नहीं. पहले कोरोना की मार के चलते महंगाई झेलनी पड़ी, लेकिन अब तो लगभग सभी आर्थिक गतिविधियां चालू हो चुकी हैं, लेकिन महंगाई बढ़ती ही जा रही है. एक बड़ी वजह यह भी है कि रूस ने यूक्रेन पर हमला किया, जिससे वैश्विक स्तर पर कच्चे तेल के दाम बढ़े. खैर अब तो ग्लोबल लेवल पर कच्चा तेल भी वापस 100 डॉलर प्रति बैरल के करीब आ चुका है, लेकिन महंगाई नहीं थम रही. रिजर्व बैंक दो बार रेपो रेट बढ़ा चुका है और तीसरी बार बढ़ोतरी की तैयारी है, लेकिन महंगाई जस की तस है. अब इस महंगाई से हमें कब तक निजात मिलती है, ये देखना दिलचस्प रहेगा.