भारत एडटेक इनिशिएटिव का उद्देश्य आर्थिक रूप से कमजोर बच्चों के लिए सीखने की खाई को पाटना है
भारत एडटेक इनिशिएटिव, फिलांथ्रोपी, सोशल इम्पैक्ट, एडटेक, फाइनेंस, और मॉनिटरिंग और इवैल्यूएशन के लिए 36 सहयोगी संगठनों का एक कोलैबोरेशन है। इसका उद्देश्य शिक्षा को सभी के लिए सुलभ बनाना है।
स्कूल चिल्ड्रन ऑनलाइन एंड ऑफलाइन लर्निंग (स्कूल) सर्वे, अगस्त 2021 में कहा गया है कि ग्रामीण भारत के केवल आठ प्रतिशत छात्र 'नियमित' ऑनलाइन पढ़ाई कर पा रहे हैं और लगभग 92 प्रतिशत बच्चों ने कक्षाओं में पिछले वर्ष की तुलना में कम से कम एक भाषा की क्षमता खो दी है।
इसके पीछे के कारण हैं कि बच्चों को डिवाइस एक्सेस और डिजिटल लर्निंग तक लगातार पहुंच नहीं मिल पाती है। इस डिजिटल अंतर को पाटने के लिए समग्र दृष्टिकोण की आवश्यकता है। इसके लिए एक ऐसे दृष्टिकोण की जरूरत है जो किसी भी चीज की पहुंच प्रदान करने से आगे जाकर काम करे।
2021 में शुरू की गई,
36 साझेदार संगठनों का एक कोलैबोरेशन है, जो एक साथ आए हैं और यह सुनिश्चित करने के लिए एक बहु-आयामी दृष्टिकोण अपनाया है कि डिजिटल लर्निंग छात्रों के लिए लगातार बेहतर सीखने के परिणामों की ओर ले जाए।यह राष्ट्रव्यापी पहल चार संगठनों द्वारा संचालित है जो समग्र प्रबंधन और पहल के निष्पादन पर रणनीतिक मार्गदर्शन प्रदान करते हैं। सत्त्व कंसल्टिंग इस पहल की प्रमुख है। माइकल एंड सुसान डेल फाउंडेशन और ब्रिटिश एशियन ट्रस्ट प्रमुख डोनर हैं, जबकि गिवइंडिया डोनर रिलेशन्स और फंड मैनेजमेंट को सपोर्ट करती है।
पर्सनलाइज्ड और अपनाए जा सकने वाले एडटेक समाधानों के माध्यम से, यह पहल सुनिश्चित करती है कि छात्र सीखना जारी रखें, चाहे बाहरी परिस्थितियाँ कैसी भी हों। वर्तमान में यह अपने एडटेक प्लेटफॉर्म पर वंचित परिवारों के 117,000 छात्रों को सीखने के नुकसान को पाटने के अपने मिशन के हिस्से के रूप में शामिल होने का दावा करती है।
जैसा कि छात्र अप्रैल में वापस स्कूल जा रहे हैं, ऐसे में एडटेक के लिए प्रभावी व समान पहुंच के माध्यम से, यह पहल छात्रों को पिछले दो वर्षों के सीखने के नुकसान को पाटने के लिए आवश्यक टूल के साथ समर्थन कर रही है। जमीनी स्तर पर प्रयास शुरू करने के पांच महीनों के भीतर दस राज्यों में ये परिणाम हासिल किए गए हैं।
छात्रों के पास पहल द्वारा पेश किए गए नौ भाषा विकल्पों में से किसी एक में कभी भी और कहीं भी सीखने की सुविधा है।
यह फिलांथ्रोपी, सोशल इम्पैक्ट, एडटेक, फाइनेंस, और मॉनिटरिंग जैसे विभिन्न इंडस्ट्री में भागीदार संगठनों के सहयोग से काम कर रही है। ये संगठन कई क्षमताओं और श्रेणियों में भारत एडटेक पहल का समर्थन करते हैं, जैसे कि फंड जुटाने, एजुकेशनल टेक्नोलॉजी, गैर-लाभकारी संगठन, निगरानी और मूल्यांकन, फाइनेंशियल मैनेजमेंट, मार्केटिंग कम्युनिकेशन और प्रोग्राम मैनेजमेंट।
डिजिटल डिवाइड
COVID-19 महामारी ने छात्रों के बीच पहले से मौजूद डिजिटल अंतर को चौड़ा कर दिया है। सत्त्व कंसल्टिंग (भारत एडटेक इनिशिएटिव के एक प्रोग्राम डिजाइन और मैनेजमेंट पार्टनर) के सह-संस्थापक और प्रबंध भागीदार रतीश बालकृष्णन कहते हैं, "बच्चों का एक वर्ग है जो टेक्नोलॉजी के माध्यम से अपने स्कूल-आधारित शिक्षा को पूरक करने में सक्षम हैं, वहीं एक ऐसा वर्ग भी है जिनके पास गुणवत्ता वाले एडटेक उत्पादों तक कोई क्षमता या पहुंच नहीं है। हम भारत एडटेक के माध्यम से यही हासिल करने की कोशिश कर रहे हैं।”
भारत एडटेक इनिशिएटिव (बीईआई) 25,000 रुपये तक की मासिक आय वाले निम्न-आय वाले परिवारों के 9-17 (ग्रेड 1-12) आयु वर्ग के छात्रों के लिए सीखने के नुकसान को कम करने पर ध्यान केंद्रित कर रहा है। छात्रों को समर्पित शिक्षण उपकरण प्रदान करने वाले हार्डवेयर पायलट जैसी विभिन्न पहलों के माध्यम से, भारत एडटेक इनिशिएटिव यह सुनिश्चित कर रही है कि छात्रों के पास सीखने के स्तर में सुधार करने के लिए उपकरण मौजूद हों।
यह आर्थिक रूप से पिछड़े समुदायों के छात्रों की पहचान करती है, उनकी सहायता करती है या उन्हें सीखने में मदद करने के लिए एडटेक उत्पाद प्रदान करती है, और शिक्षकों, माता-पिता और अन्य हितधारकों के साथ उनके इस्तेमाल की निगरानी करने और प्रतिक्रिया को मापने के लिए काम करती है।
रतीश ने योरस्टोरी को बताया, "भारत में छात्रों के लिए सीखने के परिणामों में सुधार की दिशा में हमारे प्रयासों ने पिछले कुछ महीनों में महत्वपूर्ण प्रगति की है। सिद्ध एडटेक समाधानों के माध्यम से, हमारा लक्ष्य डिजिटल लर्निंग डिवाइड को पाटने और हर छात्र की क्षमता को अनलॉक करने की दिशा में काम करना जारी रखना है।”
निरंतर सीखने को सक्षम करना
2025 तक, बीईआई भारत में दस लाख, पहली पीढ़ी के डिजिटल शिक्षार्थियों तक डिजिटल पहुंच को सक्षम करने और बेहतर शिक्षण परिणामों को प्रदर्शित करने की इच्छा रखता है। बीईआई का उद्देश्य घर पर शिक्षा के साथ कक्षा शिक्षण को पूरक बनाना है, जिससे यह आर्थिक रूप से वंचितों के बीच शिक्षा की एक स्थायी विशेषता बन जाए।
वह कहते हैं, “जैसे ही स्कूल फिर से खुल रहे हैं, हम उन बच्चों को देख रहे हैं जो उच्च सीखने की हानि से पीड़ित हैं। इनमें से अधिकांश बच्चे सिर्फ कक्षा में रहने से अपने नुकसान का समाधान नहीं कर पाएंगे। यह केवल धीमी गति से चलेगा। वे स्कूल में जो सीख रहे हैं, उसके लिए कॉम्प्लिमेंट्री लर्निंग जरूरी है। इसे हम छात्र के जीवन में लागू करना चाहते हैं।”
इस मिशन के तहत, बीईआई का उद्देश्य एडटेक उत्पादों के माध्यम से बच्चों के लिए दैनिक सीखने की आदत स्थापित करना है- जिसे एक संबंधित वयस्क सपोर्ट करे। इसे यकीन है कि अगर यह विभिन्न समुदायों के बीच लगातार किया जाता है तो बड़े एडटेक परिणाम देखने को मिलेंगे।
Edited by Ranjana Tripathi