आज की महिलाओं में निवेश करिये क्योंकि वही हमारा भविष्य हैं: कांता सिंह
UN Women India में डेप्यूटी कंट्री रिप्रेजेंटेटिव कांता सिंह ने YourStory द्वारा शुक्रवार को नई दिल्ली इंडिया हैबिटेट सेंटर में आयोजित एक दिवसीय कार्यक्रम के समापन समारोह कार्यक्रम में ये बातें कहीं.
UN Women India में डेप्यूटी कंट्री रिप्रेजेंटेटिव कांता सिंह ने शुक्रवार को कहा कि एक लड़की की तरह पैदा होने या महिला आंत्रप्रेन्योर बनने का सबसे बेहतर समय है. औरतें हर फील्ड में काम कर रही हैं. मुझे लगता है आज मैं 20 साल की होती तो मेरे पास कितने अवसर होते. उन्होंने YourStory द्वारा शुक्रवार को नई दिल्ली इंडिया हैबिटेट सेंटर में आयोजित एक दिवसीय कार्यक्रम के समापन समारोह कार्यक्रम में ये बातें कहीं.
कांता Gender Equality in the Next Decade पर बोल रही थीं. उन्होंने कहा कि “औरतें सालों से जो काम कर रही हैं उससे उन्हें जल्द निजात नहीं मिलने वाली. जब तक पुरुष इस बात को नहीं समझते कि उन्हें महिलाओं के साथ जिम्मेदारियां साझा करनी होंगी तब तक महिलाओं को इन घरेलू जिम्मेदारियों से निजात नहीं मिलेगी.लेकिन क्या तब तक क्या महिलाएँ अपनी महात्वाकांक्षाओं को ताख पर रख देंगी? नहीं. उन्हें उपाय निकालने होंगे कि इन जिम्मेदारियों के साथ-साथ अपने एंबिशन को कैसे फॉलो कर सकते हैं. औरतों का बिजनेस में उतरना बेहद जरूरी है क्योंकि वो बिजनेस भी पर्यावरण, प्लानेट, बच्चों की चिंता को समेटते हुए करती हैं.”
कांता ने कहा कि बड़े संस्थानों में बड़े पदों पर होने के नाते हम कुछ चुनौतियों को दूर कर सकते हैं. फंडिंग की समस्या इनमें से ही एक है. रजिस्ट्रेशन, टैक्स, लीगल से लेकर तमाम मोर्चों पर उनकी मदद की जानी चाहिए.
“लेकिन ये सारी चीजें उन महिलाओं के लिए हैं जिन्होंने रुढ़िवादी सोच को छोड़कर कुछ अलग करने का सोचा है.अगर हमें बदलाव ही लाना ही है तो शुरुआती स्तर पर उनकी मानसिकता को बदलने का काम करना होगा. हम छोटी बच्चियों को अपना थोड़ा समय देकर उनके साथ बड़ी चीजें साझा करके उन्हें बड़े सपने देखने के लिए प्रेरित कर सकते हैं.”
अपने बचपन की कहानी साझा करते हुए कांता ने बताया कि “मेरे गांव का रास्ता दिल्ली एयरपोर्ट के पास पड़ता है. इसलिए अक्सर आसमान में उड़ानें दिखा करती थीं. मुझे याद है मेरे साथ की लड़कियां गाय भैंसों की बात करती थीं, लेकिन मैं फ्लाइट में बैठने के सपने देखती थी. मैंने सोचा ऐसा क्यों था? फिर समझ आया कि मेरा बचपन किताबें पढ़कर बीता. मुझे बाहरी दुनिया के बारे में पता था इसलिए मेरे सपने भी बड़े थे.”
“मुझे याद है कि मुझसे जब पहली बार किसी ने पूछा था कि मैं क्या बनना चाहती हूं तब मैं 40 साल की थी. लेकिन आज समय बदल रहा है. आज की लड़कियों को मालूम है कि उन्हें क्या बनना है. तो क्यों ना उन्हें सपोर्ट दिया जाए. आज की तारीख में युवा महिलाएं ऐसी फील्ड में जगह बनाने को आगे बढ़ रही हैं जो सालों से पुरुषों के हाथ में रही है.”
“जहां और जिनमें हम आज इनवेस्ट करते हैं हमारा भविष्य वही बनता है. इसलिए हमें आज की महिलाओं में निवेश करने की जरूरत है जिनमें भविष्य बदलने का जज्बा है.”