अडानी ग्रुप पर हिंडनबर्ग रिपोर्ट क्या ‘भारत पर हमला’ है?
Adani Group पर आरोप है कि कंपनी ने शेयरों की कीमत को मैनिपुलेट किया है और अकाउंटिंग फ्रॉड किया है. रिपोर्ट में कहा गया है कि अडानी ग्रुप के ऊपर बहुत ज्यादा कर्ज है, जिसके कारण उनकी कंपनियों पर संदेह की स्थिति है.
साल 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा गठबंधन वाली सरकार आने के बाद भारत सरकार ऐसी सभी रिपोर्टों को खारिज करने का रवैया अपनाती है, जिनमें भारत की रैंकिंग गिर जाती है. इन रिपोर्टों में प्रेस फ्रीडम की रैंकिंग, हंगर इंडेक्स और नागरिक अधिकारों के उल्लंघन को लेकर अंतरराष्ट्रीय स्वतंत्र एजेंसियों, संगठनों या विदेशी संस्थाओं की रिपोर्ट, सभी शामिल हैं.
ऐसी रिपोर्टों को खारिज करने के दौरान सरकार पहले तो आंकड़ों पर सवाल उठाती है और फिर कहती है कि यह देश की छवि को धूमिल करने का प्रयास है. सरकार ऐसी रिपोर्टों को देश के खिलाफ साजिश तक बताने से नहीं चूकती है.
ठीक ऐसा ही रवैया, खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार के करीबी माने जाने वाले गौतम अडानी (Gautam Adani) ने तब अपनाया जब फाइनेंशियल रिसर्च फर्म हिंडनबर्ग रिसर्च ने अपनी रिपोर्ट में कारोबारी गौतम अडानी की अगुवाई वाले समूह पर ‘खुले तौर पर शेयरों में गड़बड़ी और लेखा धोखाधड़ी’ में शामिल होने का आरोप लगाया.
क्या आरोप लगाए गए हैं अडानी ग्रुप पर?
अडानी ग्रुप
पर आरोप है कि कंपनी ने शेयरों की कीमत को मैनिपुलेट किया है और अकाउंटिंग फ्रॉड किया है. रिपोर्ट में कहा गया है कि अडानी ग्रुप के ऊपर बहुत ज्यादा कर्ज है, जिसके कारण उनकी कंपनियों पर संदेह की स्थिति है. आरोप ये भी है कि अडानी ग्रुप ने टैक्स हैवन कहे जाने वाले देशों का गलत तरीके से इस्तेमाल किया है और शेयरों की कीमतों को मैनिपुलेट किया है.यह रिसर्च ‘अडानी ग्रुपः हाउ द वर्ल्ड थर्ड रिचेस्ट मैन इज पुलिंग द लारजेस्ट कॉन इन कॉरपोरेट हिस्ट्री' नाम से छापी गई है. इसे 27 जनवरी को अडानी एंटरप्राइजेज का एफपीओ आने से सिर्फ 2 दिन पहले जारी किया गया. इससे करीब 20 हजार करोड़ रुपये के एफपीओ (FPO) पर संकट मंडरा रहा है.
अडानी ग्रुप ने रिपोर्ट को भारत के खिलाफ हमला करार दिया
कारोबारी गौतम अडानी के समूह ने वित्तीय शोध कंपनी हिंडनबर्ग रिसर्च द्वारा लगाए गए गंभीर आरोपों को ‘‘भारत, उसकी संस्थाओं और विकास की गाथा पर सुनियोजित हमला’’ बताते हुए रविवार को कहा कि आरोप ‘‘झूठ के सिवाय कुछ नहीं’’ हैं.
अडानी समूह ने 413 पन्नों के जवाब में कहा है कि हिंडनबर्ग की रिपोर्ट ‘‘मिथ्या धारणा बनाने’’ की ‘‘छिपी हुई मंशा’’ से प्रेरित है, ताकि अमेरिकी कंपनी को वित्तीय लाभ मिल सके.
समूह ने कहा, ‘‘यह केवल किसी विशिष्ट कंपनी पर एक अवांछित हमला नहीं है, बल्कि भारत, भारतीय संस्थाओं की स्वतंत्रता, अखंडता और गुणवत्ता तथा भारत की विकास गाथा एवं महत्वाकांक्षाओं पर एक सुनियोजित हमला है.’’
इसने कहा कि हिंडनबर्ग रिसर्च की 24 जनवरी की रिपोर्ट में लगाए गए आरोप ‘‘झूठ के सिवाय कुछ नहीं’’ हैं. समूह ने कहा कि ये दस्तावेज ‘‘चुनिंदा गलत सूचनाओं एवं छुपाकर रखे गए तथ्यों का एक दुर्भावनापूर्ण संयोजन हैं.’’ समूह ने कहा कि ये ‘‘निराधार और शर्मनाक आरोप किसी गुप्त मकसद’’ से लगाए गए हैं.
इसने हिंडनबर्ग की विश्वसनीयता एवं नैतिकता पर सवाल उठाया और कहा कि रिपोर्ट दुर्भावनापूर्ण इरादे से जारी की गई, यह इस बात से स्पष्ट है कि इसे ऐसे समय में जारी किया गया, जब अडानी एंटरप्राइजेज लिमिटेड भारत में इक्विटी शेयरों की अब तक की सबसे बड़ी सार्वजनिक पेशकश कर रहा है.
अडानी ग्रुप के CFO ने जलियांवाला बाग से की तुलना
इसी कड़ी में अडानी ग्रुप के चीफ फाइनेंशियल ऑफिसर (CFO) जुगेशिंदर 'रॉबी' सिंह ने इस पूरे घटनाक्रम को जलियांवाला बाग हत्याकांड से तुलना की है.
Mint बिजनेस डेली की ओर से पूछा गया था कि शेयर बाजार हिंडनबर्ग रिपोर्ट पर विश्वास करता दिखा है, क्या इस तथ्य से आपको निराशा हुई?
इस सवाल के जवाब में ग्रुप के CFO ने कहा, ‘मैं इतिहास का छात्र रहा हूं और पंजाब से आता हूं. यह माहौल मुझे हैरान नहीं करता है. जलियांवाला बाग में केवल एक अंग्रेज ने आदेश दिया और भारतीयों ने ही दूसरे भारतीयों पर गोली चला दी. यह मेरे राज्य में हुआ था, और हम उस दिन को याद करते हैं. यही वजह है कि मुझे इस माहौल पर हैरानी नहीं हुई है.‘
इससे पहले, अडानी समूह ने बृहस्पतिवार को कहा था कि वह अपनी प्रमुख कंपनी के शेयर बिक्री को नुकसान पहुंचाने के प्रयास के तहत ‘‘बिना सोचे-विचारे’’ काम करने के लिए अमेरिकी वित्तीय शोध कंपनी हिंडनबर्ग रिसर्च के खिलाफ ‘‘दंडात्मक कार्रवाई’’ को लेकर कानूनी विकल्पों पर गौर कर रहा है.
अडानी ग्रुप ‘व्यवस्थित लूट’ से भारत के भविष्य को रोक रहा: हिंडनबर्ग
हिंडनबर्ग रिसर्च ने अडानी समूह (Adani Group) के इन आरोपों को खारिज कर दिया है कि समूह के खिलाफ उसकी रिपोर्ट भारत पर हमला थी. अमेरिकी शॉर्ट सेलिंग इकाई ने सोमवार को कहा कि धोखाधड़ी को ‘राष्ट्रवाद’ या ‘कुछ बढ़ा-चढ़ाकर प्रतिक्रिया’ से ढंका नहीं जा सकता.
अडानी समूह की प्रतिक्रिया पर हिंडनबर्ग रिसर्च ने सोमवार को कहा कि भारत एक जीवंत लोकतंत्र और उभरती महाशक्ति है. अडानी समूह ‘व्यवस्थित लूट’ से भारत के भविष्य को रोक रहा है. उसने आगे कहा कि धोखाधड़ी, धोखाधड़ी ही होती है चाहे इसे दुनिया के सबसे अमीर आदमी ने अंजाम क्यों न दिया हो. हमने अडानी समूह से 88 विशेष सवाल किए थे जिनमें से समूह 62 का सही तरीके से जवाब देने में विफल रहा.
वहीं, अडानी ग्रुप की मुकदमे की पहली प्रतिक्रिया पर हिंडनबर्ग रिसर्च ने अडानी ग्रुप को चुनौती दी थी. हिंडनबर्ग ने कहा कि जैसी कि हमें उम्मीद थी, अडानी ने धमकी का रास्ता चुना. मीडिया को एक बयान में अडानी ने हमारी 106 पन्नों की, 32 हजार शब्दों की और 720 से ज्यादा उदाहरण के साथ दो सालों में तैयार की गई रिपोर्ट को “बिना रिसर्च का” बताया है.
इतना ही नहीं हिंडनबर्ग रिसर्च ने यह भी कहा कि, ‘अगर अडानी गंभीर हैं तो उन्हें हमारे खिलाफ अमेरिका में केस फाइल करना चाहिए, जहां हमारे दफ़्तर हैं. हमारे पास उन दस्तावेजों की लंबी सूची है, जिनकी मांग हम ‘लीगल डिस्कवरी प्रोसेस’ में करेंगे’.
अडानी समूह के शेयरों में गिरावट का सिलसिला जारी
अडानी समूह की ज्यादातर कंपनियों के शेयरों में मंगलवार को शुरुआती कारोबार में गिरावट का सिलसिला जारी रहा. बीएसई (BSE) पर लगातार चौथे दिन समूह की कंपनियों के शेयर टूटे हैं. शुरुआती कारोबार में अडानी टोटल गैस का शेयर 10 प्रतिशत टूट गया. वहीं अडानी ग्रीन एनर्जी 9.60 प्रतिशत, अडानी ट्रांसमिशन 8.62 प्रतिशत, अडानी विल्मर पांच प्रतिशत, अडानी पावर 4.98 प्रतिशत, एनडीटीवी 4.98 प्रतिशत और अडानी पोर्ट्स का शेयर 1.45 फीसदी टूटा.
हालांकि, अडानी एंटरप्राइजेज का शेयर 5.26 प्रतिशत चढ़ गया, अंबुजा सीमेंट्स का शेयर 5.25 प्रतिशत और एसीसी का 2.91 प्रतिशत चढ़ गया.
रिपोर्ट के बाद सिर्फ दो कारोबारी सत्रों में अडानी समूह की कंपनियों का बाजार मूल्यांकन 50 अरब डॉलर से अधिक घट गया है. अडानी को खुद 20 अरब डॉलर का घाटा हुआ है. इस रिपोर्ट के बाद अडानी की संपदा में करीब 20 प्रतिशत की कमी आई है.
एक कंपनी के खिलाफ आरोप, भारत के खिलाफ हमला कैसे?
इस पूरे घटनाक्रम को देखा जाए तो अडानी ग्रुप ने अपने ऊपर लगाए गए आरोपों को राष्ट्रवाद से ढंकने की कोशिश की है. हिंडनबर्ग रिपोर्ट में दावा किया गया है कि मीडिया और संसद के सदस्यों द्वारा शुरू में चिंताओं को उठाए जाने के डेढ़ साल से अधिक समय बाद भी कंपनियों की जांच की जा रही है.
दरअसल, गुजरात से आने वाले अडानी के खिलाफ विपक्ष पिछले कई सालों से आरोप लगा रहा है कि उसे सरकार का गैरजरूरी समर्थन मिल रहा है. कांग्रेस नेता राहुल गांधी लगातार आरोप लगाते हैं कि मोदी सरकार, अंबानी और अडानी जैसे पूंजीपतियों के लिए काम करने वाली सरकार है.
दो साल पहले 19 जुलाई, 2021 को केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री (MoS) पंकज चौधरी ने संसद को बताया था कि देश के बाजार नियामक सेबी और सीमा शुल्क अधिकारी नियमों का पालन न करने के लिए अडानी समूह की कुछ कंपनियों की जांच कर रहे हैं.
इसके बाद पश्चिम बंगाल से लोकसभा सदस्य महुआ मोइत्रा ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को 21 जुलाई, 2021 को एक पत्र लिखकर मामले की गंभीरता से जांच कराने की मांग की थी. इसके बाद 26 जुलाई, 2021 को लिखे दूसरे पत्र में उन्होंने एक बार फिर विदेशी पोर्टफोलियो निवेश (एफपीआई) पर अडानी समूह की कंपनियों की जांच करने की मांग की थी.
मोइत्रा अपने सोशल मीडिया पर लगातार ऐसे आरोप लगाती रहती हैं. हिंडनबर्ग की रिपोर्ट आने के बाद उन्होंने अपनी सभी ट्वीट को एक साथ शेयर करते हुए कहा कि मैं पहले ही आप सबको चेताया था.
वहीं, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने अडानी समूह पर लगाए गए अनियमितताओं के आरोपों की उच्चस्तरीय जांच कराए जाने की रविवार को मांग की. वाम दल के महासचिव सीताराम येचुरी ने कहा कि जांच की निगरानी उच्चतम न्यायालय द्वारा की जानी चाहिए.
यही नहीं, गौतम अडानी के छोटे भाई राजेश अडानी पर डायरेक्टोरेट ऑफ रिवेन्यू इंटेलिजेंस (DRI) ने हीरे के आयात-निर्यात में गड़बड़ी के सिलसिले में कई आरोप लगाए थे. इसके लिए DRI ने राजेश को साल 1999 और 2010 में गिरफ्तार भी किया था. अभी राजेश, अडानी ग्रुप की मुख्य कंपनी अडानी एंटरप्राइजेज के मैनेजिंग डायरेक्टर हैं.
इन सभी घटनाक्रमों को देखते हुए ऐसा लगता है कि अडानी समूह के खिलाफ देश में पहले से ही समय-समय पर आरोप लगते रहे हैं. ऐसे में किसी रिपोर्ट का जवाब देना या उसे खारिज करने तक तो ठीक है, लेकिन अपने ऊपर लगे आरोपों को देश के खिलाफ साजिश करार देना बेहद बचकाना है.
इसके साथ ही, भारत सरकार को भी अडानी समूह के इस बयान को संज्ञान में लेते हुए इससे दूरी बनानी चाहिए और एक प्रतिक्रिया जारी करनी चाहिए.
Edited by Vishal Jaiswal