"जेंडर विभाजन सोशल है बायोलॉजिकल नहीं", जैन संभाव्य विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग वेबिनार में बोलीं डॉ. अवंतिका शुक्ल
वेबिनार के माध्यम से जैन संभाव्य विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग द्वारा किया गया 'शोधार्थी व्याख्यानमाला' का आयोजन।
"वेबिनार के माध्यम से जैन संभाव्य विश्वविद्यालय के शोधार्थियों द्वारा व्याख्यान-माला का आयोजन किया गया। सत्र के पहले दिन का विषय 'जेंडर: पूर्वाग्रह, रूढ़िवादिता एवं समानता' रहा, जिस पर अतिथि व्याख्याता डॉ. अवंतिका शुक्ल ने अपने महत्वपूर्ण विचार प्रस्तुत किए। शोधार्थियों द्वारा आयोजित यह वेबिनार हिंदी विभाग द्वारा आयोजित किया जा रहा है, जो 13 जुलाई से 18 जुलाई तक चलेगा।"
आज (13 जुलाई) शाम 4 बजे वेबिनार के माध्यम से जैन संभाव्य विश्वविद्यालय के शोधार्थियों द्वारा व्याख्यान-माला का आयोजन किया गया। सत्र के पहले दिन का विषय 'जेंडर: पूर्वाग्रह, रूढ़िवादिता एवं समानता' रहा, जिस पर अतिथि व्याख्याता डॉ. अवंतिका शुक्ल ने अपने महत्वपूर्ण विचार प्रस्तुत किए। सत्र का आरंभ संकाय अध्यक्ष डॉ. पी. मैथिली राव द्वारा किया गया।
व्याखान-माला की शुरुआत शोधार्थी रजनी शाह द्वारा वक्ता डॉ. अवंतिका शुक्ल के परिचय से हुई। डॉ. अवंतिका ने बेहद बुनियादी मुद्दों की चर्चा करके अपने व्याख्यान की शुरुआत की। उन्होंने महिलाओं का इतिहास और अर्थव्यवस्था में योगदान तथा जेंडर विमर्श पर गंभीर चर्चा करते हुए बायलॉजिकल और सामाजिक असमानता पर अपने विचार प्रस्तुत किए। समाजीकरण की प्रक्रिया में स्त्री की भागीदारी पर भी चर्चा हुई, साथ ही प्रारंभिक पूर्वाग्रह और सामाजिक कुरीतियों को लेकर जो स्त्री बंधन का प्रतीक मानी जाती रही हैं उन पहलुओं को भी गहराई से छूने की कोशिश की गई।
बातचीत का हिस्सा जेंडर की संरचना, घरेलू औरतें, आदिवासी महिलाओं के निर्णय और महिलआों के लिए आरक्षण रहे। उन्होंने अपने व्याख्यान में डॉ. अंबेडकर के विचार प्रस्तुत किए, जिनका कहना था 'महिलाएं जातिव्यवस्था का प्रवेश द्वार हैं।' जेंडर विमर्श के सभी पहलुओं को छूने की कोशिश की। डॉ. अवंतिका के अनुसार 'महिलाओं के साथ होने वाला किसी भी तरह का भेदभाव या दुर्व्यवहार शिक्षा के मार्ग में सबसे बड़ी बाधा है और यही वजह है कि माहौल खराबी को लेकर लड़कियों की शिक्षा पर रोक लगाई जा रही है।'
अपने व्याख्यान में डॉ. अवंतिका ने निर्भया प्रसंग, अक्का महादेवी, मणिपुर की महिलाएं, सामंती व्यवस्था, मीराबाई, थेरी गाथा और वर्तमान समय में कोविड-19 महामारी से जुड़े संदर्भों की चर्चा की।
व्याख्यान समापन से पहले दौलतराम महाविद्यालय की सहायक प्राध्यापिका डॉ. नितिशा खलको ने बेहद समसामयिक और विषय से संबंधित गूढ़ प्रश्नों को उठाया, जिनका डॉ. अवंतिका ने सहजता से जवाब दिया।
व्याख्यान का समापन जैन संभाव्य विश्वविद्यालय के सहयोगी प्राध्यापक डॉ. भंवर सिंह शक्तावत के धन्यवाद ज्ञापन द्वारा हुआ। अंत में डॉ. मैथिली पी. राव ने श्रोतागण, वक्ता और शोधार्थियों को धन्यवाद दिया।
शोधार्थियों का ये व्याख्यान 13 जुलाई से 18 जुलाई तक चलेगा, जिसमें डॉ. सत्यम कुमार, डॉ. श्रीनारायण समीर, डॉ. निरंजन सहाय, डॉ. नीतिशा खलको और अजय ब्रम्हात्मज वक्ता होंगे। शोधार्थियों द्वारा आयोजित यह वेबिनार हिंदी विभाग द्वारा आयोजित किया जा रहा है।
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