पैरों से प्लेन उड़ाने वाली दुनिया की पहली महिला बनीं जेसिका
जेसिका कॉक्स आज विश्व की पहली ऐसी महिला बन गई हैं, जो बिना हाथों के प्लेन उड़ाती हैं। उनका नाम गिनीज बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में दर्ज हो चुका है। हाथ न होने के बावजूद, कार चलाने, कराटे खेलती, गैस भरने, आंखों में लेंसेस लगाने, स्कूबा ड्रॉइविंग, की-बोर्ड पर टाइप करने में भी उन्हे किसी की मदद की जरूरत नहीं।
बिना हाथों वाली एयर पॉयलट जेसिका कॉक्स कहती हैं- 'मुझे ऐसे भविष्य में विश्वास है, जिसकी किसी भी चुनौती पर लगन के साथ पार पा कर अपने सपनों को पूरा किया जा सकता है। मैंने पैरों से प्लेन उड़ाने का इसलिए संकल्प लिया कि इसे कोई भी, कभी नहीं भूल सकता है, इससे लोगों को अपना कठिन भविष्य कामयाब बनाने में प्रेरणा मिलेगी। मैंने एक प्रामाणिक आत्मविश्वास का निर्माण कर दिखाया है। अपने एक असंभव लक्ष्य को हासिल कर यह साबित करने की चेष्टा की है कि इससे उत्साहित होकर कोई भी व्यक्ति अपना आने वाला कल खूबसूरत बना सकता है।
जैसे बाकी लोग हर दिन काम से घर लौटते हैं, कमोबेश वैसा ही मेरा भी रुटीन होता है लेकिन उनमें और मुझमें एक बड़ा फर्क है कि उन्हे अपने खूबसूरत दिन मेरी तरह असंभव को साध लेने से नहीं मिले हैं, उनके जैसे तो दुनिया में तमाम लोग हैं, मेरे जैसे कितने? अपनी रचनात्मकता, अविश्वसनीय ड्राइविंग के साथ चुनौतियों से कैसे साहस पूर्वक निपटा जा सकता है, यह मैंने कर दिखाया है। चूँकि मैं बिना हाथों के पैदा हुई थी, लेकिन मुझे लगा कि मानव शरीर किसी भी विपरीत परिस्थिति को समायोजित कर सकता है। मैंने हाथों की तरह अपने पैरों का उपयोग करने के लिए कठिन साधना की, शारीरिक बाधाओं पर विजय प्राप्त करना सीखा, साथ-साथ लगातार अपना मानसिक कौशल विकसित किया, तब कहीं जाकर ये अद्वितीय सफलता मिली।'
जब जेसिका का जन्म हुआ, तो उनके माता-पिता यह देखकर हैरान रह गए कि उनके बच्चे के हाथ नहीं हैं। उन्हें इस बात का कोई अंदाजा नहीं था कि वह अलग तरह से जन्म लेंगी क्योंकि गर्भावस्था के परीक्षणों में सभी औसत परिणाम दिख चुके थे। सदमे और अप्रत्याशित समाचारों के साथ, जेसिका की मां इनेज़ को सच्चाई स्वीकार करने में काफी समय मिला। वह चुपचाप, जेसिका के भविष्य के बारे में चिंतित रहने लगीं। इसके बाद जेसिका के माता-पिता ने उन्हे यथासंभव उनकी शारीरिक बनावट के अनुकूल उनको ढालने का फैसला किया।
कुछ वक्त बाद यह सोचकर उनको एक सार्वजनिक स्कूल में दाखिला दिला दिया गया कि वह भी भविष्य में औरों से अलग नहीं लगे। आखिरकार, जेसिका ने वही किया, जो बाकी बच्चे कर लेते हैं। स्कूली अवकाश के दौरान वह खेल के मैदान पर अलग-थलग सी पड़ जाती। वहां भी हौसलाआफजाई के लिए माता-पिता को लगातार सक्रिय रहना पड़ा। बाकी बच्चे उसे स्लाइड पर चढ़ने से रोकते थे। क्रोध और हताशा के बावजूद जेसिका ने झूलों पर झूलते हुए ही एक दिन अपने मन में ऊंची उड़ने भरने का सपना बुन लिया।
सन् 1997 में जेसिका ने प्रोस्थेटिक आर्म्स का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया था लेकिन रोजाना स्कूल के बाद उसे कई घंटे की थेरेपी के साथ अभ्यास करना पड़ता था। यद्यपि वह कृत्रिम अंगों के साथ चीजों को ले जा सकती थी, लेकिन मानसिक स्तर पर वह कभी भी उनसे जुड़ी नहीं और अपने पैरों के साथ सब कुछ करना पसंद किया। प्रोस्थेटिक आर्म्स पहनने के 11 साल बाद, जेसिका ने कृत्रिम हाथों का उपयोग बंद कर दिया। सन् 2005 में जेसिका ने मनोविज्ञान और संचार में डिग्री के साथ एरिज़ोना विश्वविद्यालय से स्नातक किया। उसके बाद तो जिन चुनौतियों को उसने पार किया, उससे वह कई लोगों के लिए प्रेरणा की स्रोत बन गई। उसने महसूस किया कि उनके शब्द और अनुभव कई लोगों के लिए प्रोत्साहन और आशावाद का एक स्वाभाविक स्रोत हैं। उन्ही दिनो में उसने अपने सबसे बड़े डर को अपने अंदर से खत्म करने के लिए हवाई उड़ान भरने का पाठ पढ़ा। उसके तीन वर्ष बाद जेसिका एक प्रमाणित पायलट बन गईं और उनको पैरों से हवाई जहाज उड़ाने वाली दुनिया की पहली महिला का खिताब मिला।
1983 में यूएस के अरिज़ोना में जन्मी जेसिका कॉक्स आज विश्व की पहली और एकलौती बिना हाथों वाली पायलट हैं। उनके पास दुनिया का पहला लाइसेंस है, जो किसी बिना हाथ वाले पायलट को दिया गया, इस वजह से उनका नाम गिनीज बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में भी दर्ज हो चुका है। जेसिका पैरों से प्लेन चलाने में ही नहीं बल्कि कराटे और अपने छोटे से छोटे कामों में भी एक्सपर्ट हैं। अब जेसिका हाथों से होने वाले अपने सभी कामों को अपने पैरों से ही करती हैं। मसलन, कार चलाने से लेकर, गैस भरना, आंखों में लेंसेस लगाना, स्कूबा ड्रॉइविंग और की-बोर्ड पर टाइप करना। इतना ही नहीं, जेसिका की टॉइपिंग स्पीड भी प्रति मिनट पचीस वर्ड है।
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