60 साल पहले कोलकाता से शुरू हुई यह मसाला कंपनी, कैसे आज भारतीय और ग्लोबल मार्केट पर छाई हुई है?
मसाला व्यापारी धन्नालाल जैन ने 1957 में जेके मसाले को लॉन्च किया था। आज यह ब्रांड 155 एसकेयू के जरिए 65 उत्पादों को पेश करता है। साथ ही यह थाईलैंड, इंडोनेशिया, वियतनाम और यूके सहित करीब 9 देशों में एक्सपोर्ट भी करता है।
भारत को अक्सर 'मसालों की भूमि' कहा जाता है और ऐसा कहना सही भी है। रिसर्च प्लेटफॉर्म स्टेटिस्टा की एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत दुनिया के सबसे बड़े मसाला उत्पादक देशों में से एक है। भारत, अंतरराष्ट्रीय मानकीकरण संगठन द्वारा सूचीबद्ध 109 में से करीब 75 किस्मों के मसालों का उत्पादन करता है।
भारतीय मसालों, विशेष रूप से काली मिर्च, हल्दी, लौंग, आदि की वैश्विक बाजार में काफी मांग है। आईबीईएफ की एक रिपोर्ट के मुताबिक, अप्रैल 2020 से फरवरी 2021 के बीच भारत ने 3.55 अरब डॉलर के मसालों का निर्यात किया।
भारत में मसालों के कई ब्रांड हैं। इसमें YourStory ने कोलकाता स्थित एक मसाला बनाने वाली कंपनी की कहानी के बारे में जानकारी जुटाई है, जिसका इतिहास 1950 के दशक से शुरू होता है।
श्री धन्नालाल जैन कोलकाता में मजदूर के रूप में काम करते थे इस शहर में कुछ बड़ा करने का सपना देखते थे। वह वैन और ट्रकों से सामान लोड और अनलोड करते थे। हालांकि उनका सपना कुछ जिंदगी में कुछ बेहतर और बड़ा करने का था।
धीरे-धीरे, धन्नालाल ने मसालों के व्यापार के व्यापार में छोटे व्यवसायी के तौर पर प्रवेश किया,। वह देश के विभिन्न हिस्सों से मसालों से खरीद कर, उसे कोलकाता के अमरतोला स्ट्रीट के दुकानदारों को बेच देते थे। उसी दौरान उन्होंने महसूस किया कि इस सेगमेंट में अपार संभावनाएं और अवसर हैं और फिर 1957 में उन्होंने एक कारोबार शुरू करने का फैसला किया।
धन्नालाल धीरे-धीरे ट्रेडिंग से मैन्युफैक्चरिंग में शिफ्ट हो गए। उन्होंने 1985 में कोलकाता में एक इकाई की स्थापना की और बाद के वर्षों में कोलकाता, राजस्थान और उंझा (गुजरात) में चार और इकाइयों को खोला।
धन्नालाल जैन के पोते और वर्तमान में कंपनी के चीफ मार्केटिंग डायरेक्टर, विजय जैन ने बताया कि धन्नालाल ने विशेष रूप से जीरा की आपूर्ति के लिए कोलकाता में खूब नाम कमाया। इसके चलते धन्नालाल को 'जीरा किंग' या जेके कहा जाने लगा। इसी शब्द का इस्तेमाल करते हुए धन्नालाल ने कंपनी का नाम जेके मसाला रखा।
वित्त वर्ष 2021 में कंपनी ने 300 करोड़ रुपये का कारोबार किया।
एक विरासत वाला कारोबार खड़ा करना
विजय कहते हैं कि पिछले कुछ वर्षों में बाजार तेजी से बदला है।
उन्होंने बताया, "शुरुआत में, सब कुछ धन्नालाल संभालते थे। इसमें कंपनी के भीतर की पॉलिसी बनाने से लेकर कर्मचारियों को संभालने तक, सबकुछ शामिल था।"
आज की तारीख में, व्यवसाय में शामिल परिवार के सदस्यों ने बड़ी भूमिकाएं और ज़िम्मेदारियां संभाली हैं। कभी धन्नालाल के इकलौते के जज्बे से चलने वाले इस बिजनेस में आज विभिन्न लोग विभिन्न भूमिकाएं संभालते हैं।
धन्नालाल के बाद, उनके सात बेटों - भागचंद जैन, जयकुमार जैन, शांति कुमार जैन, चंद्र कुमार जैन, राजेंद्र कुमार जैन, अशोक जैन, जितेंद्र जैन - कंपनी में शामिल हो गए। भागचंद के बेटे विजय भी 1999 में कंपनी में से जुड़ गए।
वह कहते हैं कि यूं तो प्रत्येक पीढ़ी को कारोबार को आगे बढ़ाने के लिए विभिन्न चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। हालांकि यह जिम्मेदारी नई पीढ़ी की होती है कि अपने साथ "नए विचारों और नवाचारों" को लाए।
वह एक उदाहरण के साथ इसे आगे विस्तार से बताते हैं। दूसरी पीढ़ी, यानी जिसमें उनके पिता और चाचा शामिल थे, ने मसालों के 1 किलो पैकेट लॉन्च किए थे। हालांकि तीसरी पीढ़ी ने अलग तरह से सोचा।
उन्होंने बताया, "जब मैं कंपनी में आया, तो पैकेजिंग को लेकर मेरा एक अलग विचार था। बाजार में मांग बढ़ती जा रही थी। इसलिए मैं 50, 100 और 200 ग्राम जैसी छोटी मात्रा वाले पैकेट लॉन्च करके बाजार के एक बड़े हिस्से को कवर करना चाहता था।” विजय कहते हैं कि उनके परिवार को समझाना कठिन था, लेकिन आखिरकार उन्होंने सबको मना लिया। इस कदम ने बाजार के बड़े हिस्से में पैठ बनाने में मदद की।
विजय यह भी कहते हैं कि शुरुआती सालों में कीमतों को तय करने के मामले में विक्रेता के पास ज्यादा ताकत थी। लेकिन आज की तारीख में बाजार में इतने सारे विकल्प हैं कि मूल्य निर्धारण की शक्ति अब खरीदार के हाथ में है।
कंपनी के पास आज 65 से अधिक उत्पाद हैं, जो उसके 155 SKUs में उपलब्ध है। ये उत्पाद अलग-अलग मात्रा में मौजूद हैं, जो एक ग्राम शुरू होकर एक किलोग्राम वजन तक जाते हैं। इन मसालों की कीमत 50 रुपये से लेकर 2,000 रुपये के बीच है।
तकनीकी और भौगोलिक तौर पर विस्तार करना
मसाले के बाजार में महाशियां दी हट्टी (एमडीएच), सुहाना स्पाइसेस और एवरेस्ट स्पाइसेस जैसी कंपनियों का दबदबा है। हालांकि इसके बावजूद जेके मसाले सालों से अपनी प्रासंगिकता बनाने में कामयाब रहा है।
कारोबार चलाने के सबसे महत्वपूर्ण पहलुओं में से एक के बारे में बताते हुए विजय कहते हैं, "समय के साथ बढ़ना"। उदाहरण के लिए, कंपनी ने 2006 में यूरोप से सुपर सॉर्टेक्स मशीनों का आयात करना शुरू किया। ये मशीनें बीजों की गुणवत्ता बढ़ाने में मदद करती हैं। विजय कहते हैं, उन्होंने खसखस (इसे पश्चिम बंगाल में पोस्ता दाना भी कहते हैं) की गुणवत्ता को बांटने के लिए सॉर्टेक्स मशीनों का इस्तेमाल किया।
वे कहते हैं, "यह एक मिनट के भीतर बीज की गुणवत्ता का पता लगा लेता है।"
कारोबार में मदद करने वाले अन्य पहलुओं वह विविधता और कस्टमाइजेशन को शामिल करते हैं। कंपनी ने कांच और प्लास्टिक के जार, पाउच आदि में मसालों को पेश करके इसकी पैकेजिंग में नयापन लाया।
विजय यह भी कहते हैं कि देश के उत्तरी और पश्चिमी हिस्सों में विस्तार करना आसान था, लेकिन दक्षिण भारत में विस्तार करने में कुछ समय लगा। दक्षिण भारतीय बाजार को जीतने के लिए उन्हें कस्टमाइजेशन पर निर्भर होना पड़ा।
वे कहते हैं, "उदाहरण के लिए, हमने पैकेजिंग पर स्थानीय भाषाओं जैसे तेलुगु, तमिल आदि में टेक्स्ट लिखना शुरू किया।"
यह रणनीति काम कर गई और विजय कहते हैं कि आज, बेंगलुरु जेके मसाला के लिए देश के सबसे बड़े बाजारों में से एक है।
कंपनी देश भर में मौजूद करीब 700 डिस्ट्रीब्यूटर्स के जरिए 3 लाख से अधिक आउटलेट्स में बिक्री करती है। कंपनी के कोलकाता में पांच खुद के आउटलेट्स भी हैं, जिन्हें जेके लाइफ स्टोर्स कहा जाता है।
कंपनी का कारोबार भी कोलकाता से अब काफी बढ़ गया है और यह अब थाईलैंड, इंडोनेशिया, वियतनाम, यूके, भूटान सहित नौ से अधिक देशों में अपने प्रोडक्ट एक्सपोर्ट करती है।
पहली और दूसरी लहर से जूझना
भारत को जब लगा कि उसने कोरोनावायरस की पहली लहर पर विजय पा ली है, ठीक उसी समय दूसरी लहर ने देश को विकराल गति से अपने कब्जे में ले लिया। विजय बताते हैं कि मार्च 2020 कंपनी के लिए "बेहद चुनौतीपूर्ण समय" था। हालांकि उन्होंने अमेजन जैसे ईकॉमर्स प्लेटफॉर्म और अपनी खुद की वेबसाइट पर ब्रांड को ऑनलाइन लॉन्च करके इस संकट को कुछ हद तक कम किआ।
कंपनी ने पिछले साल कैसिया पाउडर, काला नमक और कुछ और नए उत्पाद भी लॉन्च किए। इन प्रयासों का फल मिला। कंपनी की बिक्री पिछले साल जहां 20 प्रतिशत गिर गई थी, वहीं इस साल अप्रैल और मध्य मई में इसमें 30 प्रतिशत की उछाल आई है।
जेके मसाला की योजना आने वाले समय में मध्य पूर्व और यूरोपीय बाजारों में प्रवेश करने की है। साथ ही वह कई इम्यूनिटी-आधारित फूड और मसाला उत्पादों को पेश करके अपनी मौजूदा उत्पाद लाइन में विविधता लाना जारी रखना चाहते हैं।