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बिहार की किसान चाची ने खेती में दिखाया दमखम, खेतों की पगडंडियों पर सवार होकर तय किया पद्मश्री तक का सफर

बिहार की किसान चाची ने खेती में दिखाया दमखम, खेतों की पगडंडियों पर सवार होकर तय किया पद्मश्री तक का सफर

Sunday March 08, 2020 , 4 min Read

किसान चाची को अपने कामों के लिए कई बार सम्मानित किया चुका है। उन्हें साल 2019 के पद्मश्री अवॉर्ड से सम्मानित किया गया है।

पद्मश्री सम्मानित हो चुकी हैं 'किसान चाची'

पद्मश्री सम्मानित हो चुकी हैं 'किसान चाची'



हर साल 8 मार्च को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाता है। दुनियाभर में सेलिब्रेट किए जाने वाला यह दिन महिलाओं को समर्पित होता है। इस दिन हम आपको महिलाओं के जज्बे, मेहनत और लगन की कुछ ऐसी कहानियां बता रहे हैं जिन्हें पढ़कर आप भी नारी शक्ति को सलाम करेंगे। इसी कड़ी में हम आपको बता रहे हैं बिहार की 'किसान चाची' की कहानी जिन्होंने एक गरीब परिवार से उठकर पद्मश्री सम्मान पाने तक का सफर तय किया।


बिहार की रहने वालीं राजकुमारी देवी ने खेती में ऐसा दमखम दिखाया कि लोग उन्हें 'किसान चाची' के नाम से जानने लगे। किसान चाची बिहार के मुजफ्फरपुर के सरैया की रहने वाली हैं। गरीब घर में पैदा हुईं किसान चाची की शादी मैट्रिक पास करने के बाद साल 1974 में एक किसान परिवार के युवा अवधेश कुमार से हुई।


मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, शादी होते ही ससुराल वालों ने उन्हें पति के साथ घर से अलग कर दिया और उनके हिस्से में आई 2.5 एकड़ जमीन। अब उन्हें उसी जमीन से अपने और परिवार का जीवन निर्वहन करना था। उन्होंने तय किया कि वह खेती में ही मेहनत करके आगे बढ़ेंगी।


इसके लिए पहले उन्होंने खुद ने खेती के लिए उन्नत तकनीकें सीखीं और अपनाईं। उन्होंने डॉ. राजेंद्र कृषि विश्वविद्यालय (पूसा) से उन्नत खेती के बारे में जानकारी ली और उन्हें अपनाया। उन्होंने ओल और पपीते की खेती करना शुरू किया। खेत में पैदा हुए ओल को उन्होंने सीधे बेचने की बजाय उसका अचार और आटा बनाना शुरू किया। बाद में उसे बेचा। अचार से उन्हें अच्छी कमाई होने लगी। उनकी बढ़ती आय को देखकर आसपास की बाकी महिलाएं भी उनके पास आने लगीं। इसके बाद उन्होंने धीरे-धीरे बाकी महिलाओं को वे तकनीकें समझाना शुरू किया।


वह बताती हैं,

'मैंने देखा कि खेती में महिलाएं पुरुषों का बताया हुआ काम करती हैं। वे किसी प्रकार का तकनीकी ज्ञान नहीं रखतीं। जब वे मेहनत करती ही हैं तो क्यों ना थोड़ी तकनीक सीखकर मेहनत करें। यहीं से मैंने तय किया कि मैं खुद खेती संबंधी तकनीकी ज्ञान लेकर बाकी महिलाओं को इसके लिए प्रेरित करूंगी।'

वह गांव-गांव अपनी साइकिल से जाकर लोगों को जैविक खेती के बारे में प्रेरित करती हैं। आसपास में साइकिल चलाने के कारण लोगों के बीच वह साइकिल चाची के नाम से मशहूर हो गईं। धीरे-धीरे उनका बनाया अचार काफी फेमस हो गया और उसी की मदद से वह भी किसान चाची के नाम से फेमस हो गईं। 






किसान चाची लोगों को केवल खेती के लिए ही नहीं बल्कि महिलाओं की शिक्षा और उनके उत्थान के लिए जागरूक करती हैं। वह अपने आसपास के गांवों में साइकिल से जाती हैं और स्वयं सहायता समूह बनाती हैं। ऐसा करते-करते अब तक वह 40 से अधिक स्वयं सहायता समूहों का गठन कर चुकी हैं। 62 साल की उम्र में भी वह 20-30 रोज किलोमीटर साइकिल चलाती हैं। वह आसपास के गांवों की महिलाओं को अचार और मुरब्बा बनाना सिखाती हैं। इसके अलावा वह महिलाओं को मूर्तियां बनाना भी सिखाती हैं।

पद्मश्री सहित मिल चुके हैं कई सम्मान

किसान चाची को अपने कामों के लिए कई बार सम्मानित किया चुका है। उन्हें साल 2019 के पद्मश्री अवॉर्ड से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा उन्हें सीएम नीतीश कुमार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी सम्मानित कर चुके हैं। बिहार सरकार ने साल 2006-07 में उन्हें किसान श्री अवॉर्ड से सम्मानित किया था। उन्हें बॉलिवुड के महानायक अमिताभ बच्चन ने एक आटा चक्की, 5 लाख रुपये नकद और बाकी जरूरत का सामान दिया। छोटे से गांव से इस मुकाम पर पहुंचने वालीं किसान चाची हर किसी के लिए एक प्रेरणा हैं। उनकी मेहनत और जज्बा देखने लायक है।