जिन बैंक खातों से वर्षों से नहीं किया कोई ट्रांजेक्शन, उन्हें क्लोज करा देना क्यों है राइट चॉइस
मल्टीपल बैंक खाते रखने के नुकसान भी हैं. आइए जानते हैं ऐसे ही 5 नुकसानों के बारे में...
बार-बार नौकरी बदलने, रोजगार के लिए एक शहर से दूसरे शहर जाकर बसने, कारोबारी जरूरतें आदि कई कारणों के चलते अक्सर लोगों के बचत खातों की संख्या बढ़ती जाती है. वहीं कुछ लोग ऐसे भी होते हैं, जो खुद से मल्टीपल बैंक खाते खुलवाते हैं. वे एक ही बैंक खाते में ज्यादा पैसे न रखकर अलग-अलग खाते में पैसे रखना सहूलियत भरा और फायदेमंद समझते हैं.
इन फायदों में ATM से ज्यादा ट्रांजेक्शन कर सकना, एक बैंक में कम तो दूसरे में ज्यादा ब्याज रहना, मल्टीपल चेकबुक, क्रेडिट कार्ड आदि का हवाला दिया जाता है. इसके अलावा एक और बड़ी वजह यह भी है कि किसी बैंक के दिवालिया होने पर उसमें कुल जमा में से 5 लाख रुपये तक का ही डिपॉजिट वापस मिलने की गारंटी है. लेकिन याद रहे कि मल्टीपल बैंक खाते रखने के नुकसान भी हैं. आइए जानते हैं ऐसे ही 5 नुकसानों के बारे में...
हर खाते में मिनिमम बैलेंस मेंटेन करना
मल्टीपल बचत खातों का सबसे पहला नुकसान है कि ग्राहक को हर अकाउंट में मिनिमम मंथली एवरेज बैलेंस रखना पड़ता है. सभी बैंकों के रेगुलर सेविंग्स अकाउंट में यह नियम लागू है. ऐसे में जो खाते आप इस्तेमाल नहीं कर रहे हैं, उनमें भी एक निश्चित धनराशि को आपको जमा रखना होगा. ढेर सारे अकाउंट्स में मिनिमम बैलेंस मेंटेन करने में जो पैसा लगा रहे हैं उन्हें कहीं और जैसे एफडी, शेयर मार्केट, म्युचुअल फंड आदि में इन्वेस्ट करके ज्यादा रिटर्न हासिल कर सकते हैं.
नहीं रख पाए मिनिमम बैलेंस तो पेनल्टी
अगर ग्राहक सेविंग्स अकाउंट में मिनिमम बैलेंस बरकरार नहीं रख पाता है तो उसे बैंक के नियमों के मुताबिक तय जुर्माना भरना होता है. जुर्माने से बचने के लिए सभी खातों में मिनिमम बैलेंस बरकरार रखना होगा, जो कि ग्रामीण, अर्धशहरी, शहरी और मेट्रो शहरों में अलग-अलग है. अगर ज्यादा वक्त तक बचत खाता जीरो बैलेंस पर रहा तो तो पेनल्टी बढ़ती जाती है और एक मोटा अमांउट बन जाता है.
ITR फाइलिंग में परेशानी
कई सारे बचत खाते इनकम टैक्स रिटर्न फाइलिंग में भी परेशानी पैदा करते हैं क्योंकि करदाता को रिटर्न फाइलिंग में हर अकाउंट का ब्यौरा देना होता है. मल्टीपल सेविंग अकाउंट से कागजी कार्रवाई में ज्यादा माथापच्ची होती है और सभी बैंक अकांउट से जुड़ी जानकारी जैसे बैंक स्टेटमेंट जुटाना भी टेंशन पैदा कर देता है. वहीं अगर गलती से किसी खाते की डिटेल देना छूट गया और आयकर विभाग ने इसे टैक्स की चोरी समझ लिया तो पेनल्टी या टैक्स नोटिस का सामना भी करना पड़ सकता है.
मेंटिनेंस फीस और सर्विस चार्ज भी रहते हैं
बैंक अपने ग्राहक से उनके खातों के लिए एक सालाना मेंटीनेंस फीस और सर्विस चार्ज वसूलते हैं. ऐसे में अगर ग्राहक के मल्टीपल बैंक अकाउंट हैं तो हर अकाउंट पर चार्ज और फीस उसे बैंक को देनी होगी, फिर चाहे वह उन खातों को काम में लाता हो या नहीं. इसके अलावा अगर आपने हर अकाउंट के लिए डेबिट या एटीएम कार्ड ले रखा है तो उसकी फीस देनी होगी, जो खर्च को और बढ़ा देती है.
अकाउंट का डोरेमेंट हो जाना
भले ही आपने अपने बैंक खाते में मिनिमम बैलेंस रखा हो लेकिन अगर उस खाते से एक लंबे वक्त से ट्रांजेक्शन नहीं हुआ है तो अकाउंट डोरमेंट हो जाता है. अगर ग्राहक चाहता है कि डोरमेंट अकांउट फिर से एक्टिव हो जाए तो उसकी एक पूरी प्रोसेस को फॉलो करना होता है.