EVs की इस कमी की वजह से लग रही है आग, जानिए जांच समिति ने रिपोर्ट में क्या कहा?
इलेक्ट्रिक वाहनों में आग लगने के मामलों की जांच करने के लिए गठित विशेषज्ञ समिति ने ने बताया कि कई इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहन केवल न्यूनतम कार्यक्षमता के साथ आए थे और वाहन सुरक्षा को प्राथमिकता देने के बजाय शॉर्टकट लिया गया था.
हाल ही में आग लगने की कई घटनाओं में शामिल दो पहिया इलेक्ट्रिक वाहनों में सामान्य सुरक्षा तंत्र भी मौजूद नहीं है. दो पहिया इलेक्ट्रिक वाहनों में आग लगने के मामलों की जांच करने के लिए गठित विशेषज्ञ समिति ने अपनी जांच में यह पाया है.
इकॉनमिक टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, जांच समिति की रिपोर्ट ने सरकार को वाहनों के लिए सुधारात्मक तंत्र को अपनाने और उनके निर्माताओं के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की चेतावनी देने के लिए मजबूर कर दिया है.
जांच समिति के नतीजों की जानकारी रखने वाले एक अधिकारी ने कहा कि विशेषज्ञ समिति ने पाया कि ओवरहीट होने वाली बैटरियों के लिए हीट को बाहर निकालने के लिए कोई 'वेंटिंग तंत्र' नहीं था और उनकी बैटरी प्रबंधन प्रणाली भी गंभीर रूप से दोषपूर्ण थी.
पैनल ने बताया कि कई इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहन केवल न्यूनतम कार्यक्षमता के साथ आए थे और वाहन सुरक्षा को प्राथमिकता देने के बजाय शॉर्टकट लिया गया था.
विशेषज्ञ समिति की अंतिम रिपोर्ट एक सप्ताह के अंदर आने की संभावना है लेकिन सुरक्षा को लेकर की गई सिफारिशें पहले ही EV विनिर्माताओं के साथ साझा की जा चुकी हैं.
अधिकारियों ने कहा कि कंपनियों को बता दिया गया है कि कई EV दो पहिया निर्माताओं ने शॉर्टकट्स लिए हैं. उनकी बैटरियां जांच में फेल पाई गईं. वहीं, कई मामलों में उनमें कोई वेंटिंग तंत्र नहीं था. वे फट रही हैं और आग पकड़ रही हैं. वास्तव में वे खराब गुणवत्ता की बैटरियां हैं.
विशेषज्ञ समिति ने संकेत दिया कि बैटरियों के फेल होने या उनके अत्यधिक गर्म होने पर और फेल बैटरियों को अलग करने का कोई तंत्र मौजूद नहीं है.
बता दें कि, एक वेंटिंग बैटरी सेल जब चल रही होती है तब उसमें पड़ने वाले गैस के दबाव को रिलीज कर देती है जिससे बैटरी पर पड़ने वाला दबाव कम हो जाता है.
अधिकारी ने आगे कहा कि वहीं, दूसरी तरफ बैटरी में सामान्य प्रबंधन प्रणाली भी नहीं है. एक सामान्य बैटरी ओवरहीट होते ही उसकी पहचान कर काम करना बंद कर देती है.
किसी EV में एक इंटेलीजेंट बैटरी मैनेजमेंट सिस्टम मौजूदा सप्लाई की निगरानी और उन्हें रेगुलेट्स करती है ताकि ओवरचार्जिंग और ओवरहीटिंग को रोका जा सके.
सामान्य तौर पर बैटरी पैक्स को ऑटोमोटिव रिसर्च एसोसिएशन ऑफ इंडिया (ARAI) के सुरक्षा मानकों का पालन करना होता है. हालांकि, यह साफ नहीं है कि सामान्य सुरक्षा फीचर्स को नजरअंदाज करने के बावजूद किस तरह से ये वाहन पास हो गए.
सरकार ने सुधारात्मक कार्रवाई के लिए विशेषज्ञ समिति की सिफारिशों को संबंधित कंपनियों के साथ साझा किया है और उनसे पूछा कि उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई को आगे क्यों नहीं बढ़ाया जाए.
इस बीच, कई वाहन निर्माताओं ने पहले ही अपने EV को वापस बुलाना शुरू कर दिया है. ओला इलेक्ट्रिक, ओकिनावा ऑटोटेक और प्योर ईवी जैसे कई इलेक्ट्रिक दोपहिया विनिर्माताओं ने इन घटनाओं के चलते अपने इलेक्ट्रिक वाहनों को वापस मंगाया है.
बीते 26 मार्च को महाराष्ट्र के पुणे में दोपहर करीब 1 बजे कैब एग्रिगेटर ओला की एक सड़क किनारे खड़ी EV में आग लगने की घटना सामने आई थी.
वहीं, 30 अप्रैल को तमिलनाडु के कृष्णागिरी जिले के औद्योगिक हब होसुर में ओला के एक EV स्कूटर ने आग पकड़ ली थी. एक अन्य घटना में चार्जिंग के दौरान एक EV में विस्फोट होने के बाद वेल्लोर जिले में धुएं से दम घुटने से एक पिता और उनकी बेटी की मौत हो गई थी.
बीते 26 मार्च को महाराष्ट्र के पुणे में दोपहर करीब 1 बजे कैब एग्रिगेटर ओला की एक सड़क किनारे खड़ी EV में आग लगने की घटना सामने आई थी.
बता दें कि, पिछले सप्ताह टाटा मोटर्स के चार पहिया इलेट्रिक वाहन नेक्सन में आग लगने के मामले की गंभीरता को देखते हुए सरकार ने नेक्सन इलेक्ट्रिक वाहन में आग लगने की घटना के स्वतंत्र जांच के भी आदेश दिए हैं.