इंजीनियरिंग छोड़ शुरू की फूलों की खेती, हुआ इतना प्रॉफ़िट कि महक उठी जिंदगी
आसिफ घुमक्कड़ी मिजाज इंसान हैं। घूमने के शौकीन होने के कारण वह एक दिन बाराबंकी में रहने वाले अपने दोस्त के घर पहुंच गए। वहां उन्होंने फूलों की खेती देखी जिससे काफी प्रभावित हुए। वापस आकार अजीज ने नौकरी छोड़ने का फैसला किया और खुद भी फूलों की खेती करने की शुरुआत करने का विचार बना लिया।
‘तारीफ अपने आप की करना फिजूल है, खुशबू खुद बता देती है ये कौन-सा फूल है।’ फूल कुदरत की ऐसी रचना है, जिसकी जरूरत इंसान को हर अच्छे-बुरे, छोटे-बड़े काम में होती रहती है। इस कारण इसकी डिमांड सभी जगह हर सीजन में बनी रहती है। बाजार के इसी पहलू को देखते हुए एक व्यक्ति ने इंजीनियरिंग छोड़ फूलों की खेती करनी शुरू कर दी।
अक्सर ये माना जाता है कि फूलों की खेती करने वाले किसानों को मुनाफा कम होता है लेकिन जब उत्तर प्रदेश के आसिफ अजीज के खेती करने के तरीकों के बारे में आप जानेंगे तो दंग रह जाएंगे। गौरतलब है, कि आसिफ सिर्फ खेती से ही लाखों रुपए कमा रहे हैं।
यूपी के एक गांव के रहने वाले हैं आसिफ
आसिफ अजीज मूलरूप से उत्तर प्रदेश की राजधानी कहे जाने वाले लखनऊ जिले के एक छोटे से शहर जमुनहा के अंतर्गत आने वाले नदईडीह गाँव के रहने वाले हैं। उनकी शुरुआत की पढ़ाई भी यहीं से पूरी हुई। इसके बाद आगे की पढ़ाई के लिए अजीज ने शहर का रुख किया। कुछ नया करने की चाहत में इंजीनियरिंग कर ली। इसके बाद उन्हें अच्छे वेतन वाली नौकरी भी मिल गई लेकिन आत्म संतुष्टि अभी भी नहीं मिल रही थी।
दोस्त की खेती देख हुए प्रभावित
आसिफ घुमक्कड़ी मिजाज इंसान हैं। घूमने के शौकीन होने के कारण वह एक दिन बाराबंकी में रहने वाले अपने दोस्त के घर पहुंच गए। वहां उन्होंने फूलों की खेती देखी जिससे काफी प्रभावित हुए। वापस आकार अजीज ने नौकरी छोड़ने का फैसला किया और खुद भी फूलों की खेती करने की शुरुआत करने का विचार बना लिया।
खेती से पहले लिया था प्रशिक्षण
वैसे तो पढ़ाई में तेज रहे अजीज का रिश्ता बचपन से खेती-किसानी से रहा था। लेकी तकनीक की दुनिया से आए इस नौजवान को विश्वास था कि टेक्नोलॉजी का प्रयोग करके फसल की उत्पादकता को जरूर बढ़ाया जा सकता है। दोस्त से सलाह ली और उसकी मदद से आफिस ने करनाल से इंडो इजराइल प्रोजेक्ट के तहत एक हफ्ते की ट्रेनिंग भी ली। जहां रहते हुए उन्होंने खेती करने का पॉली हाउस मैथेड़ सीखा। ट्रेनिंग पूरी करने के बाद आसिफ में अपनी गाँव की पैतृक जमीन में इस काम की शुरुआत कर दी।
58 लाख की लागत से तैयार किया सेटअप
पारंपरिक खेती करना थोड़ा महंगा और मेहनत का काम है। इस कारण आसिफ ने जैविक खाद, पाँस का उपयोग करते हुए नई प्रक्रिया के साथ खेती के काम की शुरुआत करने का मन बनाया। इसका सेटअप तैयार करने में करीब 58 लाख रुपए का खर्चा आया। जिसमें हालैन्ड के फूल जरबेरा की खेती की शुरुआत की।
सरकार से मिली मदद, व्यापार से कमाए लाखों
आसिफ अजीज द्वारा इस नई तकनीक से फूल उगाने के लिए बनाए गए सेटअप को बनाने में लाखों रुपए का खर्च आया। इस लागत का करीब 50 प्रतिशत पैसा उन्हें सरकारी अनुदान से मिल गया। खेती ने भी साथ दिया जिसके बाद आज हररोज करीब चार से पाँच हजार फूल तोड़े जाते हैं, जिनकी सीधी बिक्री बाजार में होती है। इसके अलावा बड़े-बड़े कार्यक्रम स्थलों को सजाने वाले कारीगरों को भी सीधे सप्लाई दी जाती है।
आफिस कहते हैं, “खेती से प्रतिदिन 5 हजार के करीब फूल तोड़े जाते होंगे, जिन्हें लखनऊ की फूल मंडी में बेचा जाता है। इस फसल से हर साल लगभग 14 से 15 लाख रुपए की कमाई हो जाती है।”
Edited by Ranjana Tripathi