LIC की 3,400 करोड़ रुपये के Reliance Capital बॉन्ड बेचने की योजना में आई रुकावट
भारतीय जीवन बीमा निगम (Life Insurance Corporation of India - LIC) द्वारा रिलायंस कैपिटल (Reliance Capital) के 3,400 करोड़ रुपये के सिक्योर्ड बॉन्ड बेचने में एक और अड़चन आ धमकी है. अब, एक गैर-सरकारी संगठन (NGO) उन बोलीदाताओं पर प्रतिबंध लगाने की मांग कर रहा है जो दिवाला (bankruptcy) प्रक्रिया का हिस्सा हैं.
नई दिल्ली के एनजीओ इंफ्रास्ट्रक्चर वॉचडॉग (Infrastructure Watchdog) ने आरोप लगाया है कि संभावित बोलीदाता सेबी (SEBI) के नियमों के तहत परिभाषित 'अंदरूनी' हैं. क्योंकि उन्हें विशेषाधिकार प्राप्त और गोपनीय व्यावसायिक जानकारी तक पहुंच प्रदान की गई थी. इसमें अप्रकाशित मूल्य संवेदनशील सूचना (Unpublished Price Sensitive Information - UPSI) शामिल है, जो पब्लिक डोमेन में उपलब्ध नहीं है. एनजीओ ने LIC और उसके सलाहकार - IDBI Capital Markets & Securities को भेजे गए एक पत्र में कहा.
पत्र SEBI के अधिकारियों और RCap की Corporate Insolvency Resolution Process (CIRP) को भी भेजा गया था.
पत्र में कहा गया है, “CIRP के हिस्से के रूप में, एडमिनिस्ट्रेटर ने संभावित बोलीदाताओं से RCap और इसकी संपत्ति के लिए रुचि की अभिव्यक्ति (Expression of Interests - EoI) आमंत्रित की थी. कई संभावित बोलीदाताओं, जो RCap बॉन्ड हासिल करने के इच्छुक हैं, ने अपनी EoI जमा कर दी है और नियमों का पालन कर रहे हैं." इन बोलीदाताओं को महत्वपूर्ण जानकारी के लिए गुप्त रखा जाता है.
एडमिनिस्ट्रेटर द्वारा गठित लेनदारों की समिति (Committee of Creditors - CoC) के अतिरिक्त सदस्यों के पास भी संवेदनशील जानकारी तक पहुंच होती है. कई CoC सदस्यों ने भी अपनी EoI जमा की हैं और और नियमों का पालन कर रहे हैं. इसमें कहा गया है कि ऐसे सदस्य सेबी (इनसाइडर ट्रेडिंग का निषेध) विनियमन, 2015 के तहत 'अंदरूनी सूत्र' भी हैं.
एनजीओ यह भी चाहता है कि LIC और IDBI Capital Markets यह सुनिश्चित करें कि ऐसे व्यक्तियों को बॉन्ड बिक्री प्रक्रिया में भाग लेने के लिए अयोग्य माना जाए. पात्रता पर, इंफ्रास्ट्रक्चर वॉचडॉग ने विक्रेताओं से बोलीदाताओं से एक अंडरटेकिंग हासिल करने के लिए कहा कि उन्होंने न तो कोई EoI जमा की है और न ही RCap की दिवालियापन प्रक्रिया में भाग लेंगे और वे CoC के सदस्य नहीं हैं.
इससे पहले सोमवार को, LIC ने संभावित बोली लगाने वालों की दिलचस्पी को देखते हुए बॉन्ड बिक्री के लिए बोलियां जमा करने की समय सीमा 11 दिनों के लिए बढ़ाकर 22 जुलाई कर दी थी. LIC जुलाई 2021 से बॉन्ड बेचने की कोशिश कर रही है, जो अब 70% छूट पर कारोबार कर रहे हैं. LIC इससे पहले भी दो कोशिश कर चुकी है. लेकिन असफल रही. क्योंकि यह संभावित खरीदारों के साथ मूल्य सहमति पर नहीं पहुंच सकी.
LIC बॉन्ड राशि का कम से कम 30% वसूल करने की उम्मीद कर रही थी. क्योंकि यह उम्मीद करती है कि कई संभावित खरीदार नई समय सीमा समाप्त होने से पहले अपनी बोलियां जमा करेंगे.
RCap वर्तमान में दिवालिया होने की प्रक्रिया से गुजर रही है, जिसमें पूर्व अनिल अंबानी समूह की कंपनी के लेनदारों ने बकाया राशि 23,666 करोड़ रुपये की मांग की है. वर्तमान में, केवल पांच बोलीदाता हैं, जिनमें पिरामल एंटरप्राइजेज (Piramal Enterprises) के नेतृत्व में एक कंसोर्टियम शामिल है, जो सक्रिय रूप से प्रक्रिया का अनुसरण कर रहा है, जो मार्च में फर्म को प्राप्त लगभग 54 EoI के विपरीत है.