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SIDBI ने लोन और एडवांस में पार किया 2 लाख करोड़ का आंकड़ा, FY 2021 की तुलना में 29% की वृद्धि

SIDBI ने लोन और एडवांस में पार किया 2 लाख करोड़ का आंकड़ा, FY 2021 की तुलना में 29% की वृद्धि

Tuesday June 28, 2022 , 5 min Read

भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक (सिडबी) (Small Industries Development Bank of India - SIDBI) की 24वीं आम बैठक 25 जून 2022 को उसके प्रधान कार्यालय, लखनऊ में सम्पन्न हुई. इस आम बैठक में 31 मार्च 2022 को समाप्त वर्ष के सिडबी के अंकेक्षित वित्तीय परिणाम अनुमोदित किए गए. सिडबी के अध्यक्ष और प्रबन्ध निदेशक सिवसुब्रमणियन रमण, IA&AS ने सदस्यों को वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान व्यवसाय में हुई अच्छी वृद्धि की जानकारी दी. बताया गया कि सिडबी ने सभी कारोबारी वर्टिकलों में समग्र रूप से वृद्धि हासिल की है.

सिडबी के डिस्बर्समेंट्स वित्त वर्ष 2021 के रु. 96029 करोड़ से बढ़कर वित्त वर्ष 2022 में रु. 143758 करोड़ हो गये. इस प्रकार उनमें 50% की वृद्धि दर्ज़ हुई. बैंक की कुल एसेट्स रु. 1.92 लाख करोड़ से 29% बढ़कर रु. 2.47 लाख करोड़ हो गयी. वित्त वर्ष 2022 के दौरान बैंक को रु. 9139 करोड़ की आय और रु. 1958 करोड़ का नेट प्रोफिट हुआ. इसकी नेट वर्थ 14% बढ़कर रु. 23497 करोड़ हो गयी. प्रति शेयर अर्जन (Earnings Per Share - EPS) वित्त वर्ष 2022 में रु. 36.79 रहा. यथा 31 मार्च 2022 बैंक के निवल बकाया के प्रति सकल और निवल अनर्जक आस्तियाँ क्रमशः 0.11% और 0.07% रहीं. यथा 31 मार्च 2022 बैंक का पूँजी पर्याप्तता अनुपात 24.28% रहा. महामारी से ग्रस्त वर्ष होने के बावजूद बैंक ने अपनी अग्रणी स्थिति बरकरार रखी और प्रमुख मानदंडों की दृष्टि से वृद्धि हासिल की. आम बैठक में वित्त वर्ष 2022 के लिए 15% लाभांश अनुमोदित किया गया.

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रमण ने कहा कि सिडबी MSME क्षेत्र को सुदृढ़ करने और उसकी जड़ों की गहराई तक ले जाने के लिए कार्यरत हैं. जिस प्रकार भारत सरकार भारत की अर्थव्यवस्था को 5 ट्रिलियन डॉलर तक ले जाना चाहती है, उसी प्रकार सिडबी का लक्ष्य अपनी बैलेंस शीट को बढ़ाकर रु. 5 ट्रिलियन तक ले जाना है, ताकि MSME क्षेत्र के ऋण में वृद्धि की जा सके.

भारतीय रिज़र्व बैंक (Reserve Bank of India) ने सिडबी को विशेष तरलता निधि की सुविधा प्रदान की है, जिसका उपयोग करते हुए सिडबी ने कई इनोवेटिव योजनाएं आरंभ कीं, ताकि MSME क्षेत्र, खास तौर से छोटी/अल्प सेवित/असेवित एमएसई की अल्प कालिक और मध्य कालिक ज़रूरतों को पूरा किया जा सके. इनमें से कुछ योजनाएं इस प्रकार हैं -

  • SIDBI MSME Covid Response Fund (SMCRF) - इसका उद्देश्य वित्तीय संस्थाओं जैसे एनबीएफसी, फिनटेक कंपनियों तथा माइक्रो फाइनैंस कंपनियों की ऋण लिखतों में निवेश के माध्यम से एमएसएमई/ छोटे व्यवसायों/ अल्प वित्त उधारकर्ताओं को निधि उपलब्ध कराना है.

  • Partial Guarantee Pool Loan Issuance Scheme - इसके अंतर्गत बैंक द्वारा ऐसे मध्यम आकार के एनबीएफसी तथा एमएफआई को ऋण दिया जाएगा जिनका प्रबंधन और कामकाज अच्छा है. इस ऋण के लिए तृतीय पक्ष/व्यवस्थापक द्वारा सामूहिक आंशिक गारंटी उपलब्ध होगी.

  • Scheme of Assistance through Regulated Entities (REs) - इस योजना में दो स्तरों पर वित्तीय मध्यस्थों का उपयोग होगा. इसमें रेटिंग-प्राप्त विनियमित संस्थाओं (एनबीएफसी, एमएफआई, बैंकों/लघु वित्त बैकों) को संसाधन सहायता दी जाएगी, ताकि वे अपेक्षाकृत छोटे और बिना रेटिंग-प्राप्त /निम्न रेटिंग-प्राप्त NBFCs/ MFIs को आगे ऋण दे सकें.

सिडबी अनेक डिजिटल प्रयासों को विकसित करन में अग्रणी रहा है, जैसे PSBLoansin59minutesइन 59 मिनट्स तथा Receivables Exchange of India (RXIL) (TReDS platform).फंडिंग और विकास, इन दोनों भूमिकाओं का समावेश करते हुए सिडबी ऋण-प्रदायगी के नये-नये माध्यम विकसित कर रहा है. ऐसा ही एक माध्यम विकसित किया जा रहा है जीएसटी सहाय, जो छोटे व्यवसायों के इन्वॉइस-आधारित (इन्वॉइस-डिस्काउंटिंग नहीं) वित्तपोषण के लिए पहला रेफरेंस ऐप है. बैंक MSME फॉर्मलाइजेशन प्रोजेक्ट नामक एक अन्य डिजिटल पहल का लक्ष्य हासिल करनेवाला है, जिसका उद्देश्य MSME के लिए शासन, बाजार तथा वित्तीय सेवाओं तक बेहतर डिजिटल पहुँच मुहैया कराना है.

उद्यम रजिस्ट्रेशन (Udyam registration) के ज़रिए अनौपचारिक क्षेत्र के लिए नये दरवाज़े खुलने की उम्मीद है, ताकि वे औपचारिक संस्थाओं से सहायता पा सकें. सिडबी ओपन नेटवर्क फॉर डिजिटल कॉमर्स (ONDC) को सहायता दे रहा है, जो कि डिपार्टमेंट फॉर प्रमोशन ऑफ इंडस्ट्री एंड इंटर्नल ट्रेड (DPIIT) की पहल है. इसका उद्देश्य डिजिटल/इलेक्ट्रॉनिक माध्यमों से माल और सेवाओं के आदान-प्रदान के लिए मुक्त नेटवर्क को बढ़ावा देना है. इसके अलावा, सिडबी अपनी ऋण-प्रक्रियाओं को कारगर बनाकर डिजिटाइज कर रहा है, ताकि शुरुआत यानी ऋण के लिए पूछताछ से लेकर अन्त यानी संवितरण तक के समाधान दिए जा सकें. कार्रवाई समय में कमी लाने और MSME को कम लागत पर ऋण देने का लक्ष्य निर्धारित कर दिया गया है.

भारत सरकार की विभिन्न योजनाओं के माध्यम से सिडबी अल्पसेवित/असेवित सूक्ष्म उद्यमों तक पहुँच रहा है. यह पीएम स्ट्रीट वेंडर्स आत्मनिर्भर निधि (PM SVANidhi) योजना के लिए आवासन और शहरी मामलों के मंत्रालय की क्रियान्वयन एजेंसी है. इस योजना का उद्देश्य शहरी पथ-विक्रेताओं को ऋण मुहैया कराना है, ताकि वे लॉकडाउन के बाद अपने जीविकोपार्जन की गतिविधियाँ शुरू कर सकें. मुद्रा के अंतर्गत शिशु ऋणों के लिए सदस्य ऋणदात्री संस्थाओं को ब्याज अनुदान प्रदान करने के लिए भी सिडबी नोडल एजेंसी के रूप में कार्यरत है.

आयुष मंत्रालय की ब्याज अनुदान योजना के लिए भी सिडबी को नोडल एजेंसी नामित किया गया है. इसके अलावा दूरसंचार विभाग के टेलीकॉम ऑर नेटवर्किंग उत्पादों तथा औषधि विभाग के औषधीय उत्पादों के विनिर्माण के लिए उत्पादन-आधारित प्रोत्साहन (PLI) योजना के अंतर्गत भी सिडबी को परियोजना प्रबंध एजेंसी (PMA) का दायित्व दिया गया है.