अब सपनों का घर बनाने के लिए कोई मशक्कत नहीं, मुंबई का यह स्टार्टअप कर देगा आपकी राह आसान
अपनी पसंद का घर, हम सभी का सपना होता है। जब लोग अपने घर का डिज़ाइन ख़ुद ही सोचते हैं और डिज़ाइनर्स-आर्किटेक्ट्स की मदद से उसे एक स्वरूप देते हैं, तो उन्हें बहुत हद तक संतुष्टि होती है कि घर तैयार होने के बाद, उसका डिज़ाइन उनकी अपेक्षाओं के मुताबिक़ होगा। लेकिन इंटीरियर डिज़ाइनिंग, फ़र्नीचर, पानी और बिजली के सिस्टम आदि लगवाने के लिए विभिन्न एजेंसियों या डीलर्स के साथ तालमेल बैठाना बड़ा ही मुश्क़िल काम बन जाता है।
मुंबई के रहने वाले ऑन्त्रप्रन्योर हेमिल पारीख बताते हैं कि अगर किसी भी तरह की समस्या उपजती है तो कॉन्ट्रैक्टर उसकी जिम्मेदारी नहीं लेते और अंत में मकान के मालिक को ही हरजाना भुगतना पड़ता है। हेमिल कहते हैं कि इस समस्या के समाधान के लिए उन्होंने सोचा कि अगर मार्केट में कोई ऐसा सर्विस प्रोवाइडर हो, जो घर की डिज़ाइनिंग से लेकर उसे तैयार करने तक सभी कामों की जिम्मेदारी ले, तो इस दिक्कत को दूर किया जा सकता है और यहीं से शुरुआत होती है हेमिल के स्टार्टअप एलिसियम अबोड्स के आइडिया की।
स्टार्टअप एलिसियम अबोड्स एक लग्ज़री होम बिल्डर और कन्सट्रक्शन कंपनी है, जिसे 2015 में 50 लाख रुपए की बूटस्ट्रैप्ड फ़ंडिंग के साथ शुरू किया गया था। गौरतलब है कि इस फ़ंड को कन्सट्रक्शन इंडस्ट्री में बिज़नेस की शुरुआत करने के लिहाज़ से पर्याप्त नहीं माना जा सकता। इससे पहले हेमिल अपने फ़ैमिली बिज़नेस, नवदीप वॉल्व्स ऐंड ट्यूब्स में काम कर चुके थे और उन्हें कन्सट्रक्शन इंडस्ट्री का अच्छा अनुभव था।
हेमिल मानते हैं कि उनके स्टार्टअप की डिज़ाइनिंग की अवधारणा उन्हें सबसे अलग बनाती है। उदाहरण के तौर पर उन्होंने बताय कि एलिसियम, थीम आधारित विला की डिज़ाइनिंग करता है और इसके लिए विभिन्न प्रकार की आर्किटेक्चर स्टाइल्स जैसे कि मोरोकन, बैलीनीज़, फ़्रेंच क्लासिकल, स्पैनिश, कॉन्टेम्पररी, इंडस्ट्रियल, बोहेमियन आदि का इस्तेमाल करता है। चार सालों में कंपनी ने अपनी टीम 130 सदस्यों तक कर ली है और उनका सालाना टर्नओवर 25 करोड़ रुपए का है।
एसएमबी स्टोरी के साथ हुई ख़ास बातचीत में, एलिसियम अबोड्स के फ़ाउंडर हेमिल पारीख़ ने अपने स्टार्टअप और उसकी सफलता के बारे में कई महत्वपूर्ण बातें कीं। प्रस्तुत हैं बातचीत के कुछ अंशः
वॉटर इंक. के बाद आपने दूसरा बिज़नेस क्यों शुरू किया?
हेमिल पारीखः जब मुझे एंड-टू-एंड डिज़ाइन और बिल्ड कंपनी की ज़रूरत महसूस हुई, तब मैंने दूसरा बिज़नेस शुरू करने का फ़ैसला लिया। मैंने सोचा कि वॉटर इंक. के अनुभव को दूसरे वेंचर को आगे बढ़ाने में इस्तेमाल करना चाहिए। मेरे अंदर भी लग्ज़री घरों के प्रति रुझान था और इसलिए मैंने एलिसियम अबोड्स शुरू किया। लक्ष्य था कि भारतीय यूज़र्स को विश्वस्तरीय और ख़ास तरह का लाइफ़स्टाइल मुहैया कराया जाए।
एलिसियम मुख्य रूप से किन चीज़ों पर ध्यान देता है?
हेमिलः कंपनी मुख्य रूप से पूरे देश में लग्ज़री घरों के डिवेलपमेंट पर ध्यान केंद्रित करती है। हमारा स्टार्टअप देश के किसी भी हिस्से में प्रोजेक्ट्स को अंजाम दे सकता है। हमारी टीम की कोशिश रहती है कि घर के मालिक को उसकी अपेक्षाओं के हिसाब से घर मिल सके और साथ ही, इस पूरी प्रक्रिया में घर के मालिक को किसी भी तरह की असुविधा का सामना न करना पड़े।
एक प्रोजेक्ट को पूरा करने के लिए आप किस प्रक्रिया का इस्तेमाल करते हैं?
हेमिलः घर की डिज़ाइनिंग से लेकर उसे तैयार करने तक, घर के मालिक को सिर्फ़ हमारे साथ ही संपर्क में रहना होता है और अलग-अलग कामों के लिए उसे अलग-अलग एजेंसियों या कॉन्ट्रैक्टर्स से बात नहीं करनी पड़ती।
हम एक विस्तृत बजट के साथ प्रस्ताव मालिक के सामने रखते हैं। इसके साथ ही, प्रोजेक्ट का पूरा शेड्यूल भी बताया जाता है। स्वीकृति मिलने के बाद हम कन्सट्रक्शन कराते हैं, फ़र्नीचर, लाइट्स, होम-डेकोरेशन का सामान आदि लाते हैं और इसके बाद मालिक को उसका घर सौंप देते हैं।
आप अपने प्रोजेक्ट्स के लिए माल कहां से लाते हैं?
हेमिलः हमारे पास एक केंद्रीकृत प्रबंधन व्यवस्था है। जहां तक ज़रूरत की सामग्री के इंतज़ाम का सवाल है, तो स्थानीय स्त्रोतों और देश के बाहर स्थिति स्त्रोतों, दोनों ही जगह माल मंगाया जाता है। हम भारत, चीन और यूरोप सभी जगहों से माल मंगाते हैं।
आपकी टारगेट ऑडियंस क्या है?
हेमिलः हमारी टारगेट ऑडियंस मुख्य रूप से टियर I और टियर II शहरों में रहने वाली वह आबादी, जो अपने घर को अपने हिसाब से सजाने की ख़्वाहिश रखती है और एक शानदार नया घर बनवाकर अपने जीवनस्तर को बेहतर बनाना चाहती है। जो लोग शहर की भीड़-भाड़ से दूर किसी शांत जगह पर जाकर बसना चाहते हैं, हम उनके लिए सही जगह ढूंढते हैं। हम अपने आइडिया को अधिक से अधिक ऑडियंस तक पहुंचाने के लिए इन्स्टाग्राम का इस्तेमाल करते हैं।
अभी तक कंपनी को मुख्य रूप से किस प्रकार बड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ा है?
हेमिलः हमने अभी तक मुख्य रूप से रॉ-मटीरियल जैसे कि बालू और पत्थर वगैरह की उपलब्धता में कमी का सामना किया है, जिसकी वजह से प्रोजेक्ट पूरा होने का अनुमानित समय बढ़ जाता है। भारत में भूमि संबंधित क़ानून के मुताबिक़, हम प्राइमरी बिल्डिंग मटीरियल्स स्थानीय स्त्रोतों से नहीं ले सकते, जिसकी वजह से प्रोजेक्ट के समय पर हमारा नियंत्रण नहीं होता।
आपके प्रतिद्वंद्वी कौन हैं? एलिसियम उनसे किन मायनों में अलग और बेहतर है?
हेमिलः हमारे सबसे बड़े प्रतिद्वंद्वी हैं स्थानीय कॉन्ट्रैक्टर्स, जो सिविल, मैकेनिकल, इलेक्ट्रिकल, प्लंबिंग, पेंटिंग और कारपेंट्री सर्विसों के लिए अलग-अलग काम करते हैं।
हमारी कंपनी इन सभी सुविधाओं को एक प्लेटफ़ॉर्म पर लाती है और उपभोक्ताओं की मशक्कत को कम करती है और यही हमारी ख़ासियत है। हम अपने काम करने के तरीक़े के फ़ायदों के बारे में ग्राहकों को जागरूक करने की कोशिश भी करते रहते हैं।
आपकी सर्विसेज़ के प्रति ग्राहकों की क्या प्रतिक्रिया है और कितना प्रभाव है? साथ ही, एलिसियम के भविष्य के बारे में आपने क्या सोचा है?
हेमिलः हम प्रकार और स्तर पर गौर करने के बाद ही कोई प्रोजेक्ट हाथ में लेते हैं। हम जितने प्रोजेक्ट्स के लिए पिच करते हैं, उनमें से 75 प्रतिशत हमको मिल जाते हैं। हम और अधिक ग्राहकों को अपने साथ जोड़ने की कोशिश कर रहे हैं।
हम टियर II और टियर III शहरों के ग्राहकों पर ध्यान केंद्रित करेंगे क्योंकि इन शहरों में रहने वाली आबादी के ख़रीदने की क्षमता और जीवनशैली को बेहतर बनाने की होड़ तेज़ी के साथ बढ़ रही है।