Opinion: हिंडनबर्ग की तरफ से अडानी पर लगाए कौन-कौन से आरोप साबित हुए सच, यहां देखिए पूरी लिस्ट
हिंडनबर्ग की रिपोर्ट में गौतम अडानी पर गंभीर आरोप लगाए गए थे. वैसे तो अडानी ग्रुप ने उसे गलत बता दिया था, लेकिन कई ऐसे खुलासे हो रहे हैं तो कुछ आरोपों का सच साबित कर चुके हैं. आइए जानते हैं ऐसे ही कुछ आरोपों के बारे में.
भारतीय शेयर बाजार (Share Market) में पिछले दिनों बड़ा उतार-चढ़ाव देखने को मिला है. गौतम अडानी ग्रुप के शेयरों में तो पहले लोअर सर्किट लगते रहे अब अपर सर्किट भी लगने लगे हैं. ये सब हो रहा है 24 जनवरी को आई हिंडनबर्ग की उस रिपोर्ट (Hindenburg Report) की वजह से, जिसमें गौतम अडानी पर गंभीर आरोप लगाए गए थे. उस वक्त तो अडानी ग्रुप (Adani Group) ने हिंडनबर्ग के तमाम आरोपों को खारिज करते हुए इस भारत पर हमला करार दिया था, लेकिन अब तस्वीर बदलती जा रही है. एक के बाद एक कई आरोप सच साबित हो चुके हैं. वहीं दूसरी ओर अडानी ग्रुप भी कुछ मामलों में झूठा साबित हो रहा है. आइए जानते हैं कुछ आरोपों के बारे में जो सच साबित हो चुके हैं.
सबसे पहले बात विनोद अडानी की
हिंडनबर्ग ने अपनी रिपोर्ट में विनोद अडानी का जिक्र 129 बार किया, जबकि गौतम अडानी का नाम सिर्फ 53 बार लिया. वह बार-बार यही कहता रहा कि विनोद अडानी का गौतम अडानी ग्रुप से सीधा रिश्ता है. हिंडनबर्ग ने यह आरोप लगाया कि विनोद अडानी की मदद से ही गौतम अडानी ने अपनी कंपनी के शेयरों के दाम को मैनिपुलेट किया है. अडानी ग्रुप ने आरोपों का जवाब देते हुए साफ कहा था कि विनोद अडानी कंपनी में किसी भी मैनेजीरियल पोजीशन पर नहीं हैं, ना ही उनका कंपनी के रोजाना के काम से कोई लेना देना है. आसान भाषा में समझें तो अडानी ग्रुप का यही कहना था कि विनोद अडानी या उनके बिजनेस से अडानी ग्रुप का कोई संबंध नहीं है. अब जब इस बात का खुलासा हुआ है कि सीमेंट कंपनियों को खरीदने में विनोद अडानी का बड़ा रोल है, तो अडानी ग्रुप ने माना है कि वह प्रमोटर्स ग्रुप का हिस्सा हैं. यानी गौतम अडानी ने विनोद अडानी के मामले में यूटर्न ले लिया है और हिंडनबर्ग को सही साबित कर दिया है.
विनोद अडानी और मॉरीशस से कनेक्शन
हिंडनबर्ग ने आरोप लगाया था कि गौतम अडानी की कंपनियों में मॉरीशस से पैसों की राउंड ट्रिपिंग की गई है. राउंड ट्रिपिंग और शेयर मैनिपुलेशन का आरोप तो अभी तक साबित नहीं हुआ है, लेकिन मॉरीशस से गौतम अडानी का बड़ा कनेक्शन सामने आया है. मॉर्निंग कॉन्टेक्स्ट की रिपोर्ट में दावा किया गया था कि विनोद अडानी उन कंपनियों को नियंत्रित करते हैं, जो अंबुजा सीमेंट्स और एसीसी की मालिक हैं. रिपोर्ट के अनुसार होल्सिम ग्रुप से सीमेंट बिजनेस खरीदने के लिए गौतम अडानी ने एंडेवर ट्रेड एंड इन्वेस्टमेंट लिमिटेड ना का स्पेशल पर्पज व्हीकल बनाया था, जो मॉरीशस में है और इसका मालिकाना हक विनोद अडानी के पास है. ऐसे में आरोप है कि ना तो अंडानी एंटरप्राइजेज ना ही अडानी ग्रुप की किसी और सूचीबद्ध कंपनी या उनकी सहायक कंपनियों ने अंबुजा सीमेंट्स और एसीसी का अधिग्रहण किया है.
शेयर चढ़ाने के लिए परिवार का पैसा विदेशी रूट से लगाया
अब अगर बात हिंडनबर्ग के इस आरोप को देखें, जिसमें परिवार के पैसे को विदेशी रूट से निवेश करने का आरोप लगा है, तो विनोद अडानी की भूमिका काफी हद तक इसे सही साबित करती है. विनोद अडानी परिवार के सदस्य हैं, अडानी ग्रुप के प्रमोटर्स ग्रुप का हिस्सा हैं और मॉरीशस की उस कंपनी के मालिक हैं, जिसे जरिए सीमेंट बिजनेस खरीदा गया. विनोद अडानी की तरफ से अडानी ग्रुप में विदेशों से खूब पैसा डाला जाता है.
एलारा कैपिटल का सोर्स ऑफ फंड क्या है?
एलारा इंडिया ऑपोर्च्युनिटी फंड (Elara IOF) का नाम हाल ही में खूब चर्चा में आया था. जी हां, ये वही वेंचर कैपिटल फंड है, जिसे एलारा कैपिटल की तरफ से मैनेज किया जाता है. इसी कंपनी का जिक्र हिंडनबर्ग ने अपनी रिपोर्ट में किया था. यह मॉरीशस की उन टॉप-4 कंपनियों में से एक है, जिसने अडानी ग्रुप के शेयरों में निवेश किया हुआ है. कंपनी ने पिछले 3 सालों में कंपनी में अपना निवेश घटाया है, लेकिन बावजूद इसके इस वक्त Elara IOF का अडानी ग्रुप में 9000 करोड़ रुपये का निवेश है. कंपनी ने अपने कुल कॉर्पस का करीब 96 फीसदी सिर्फ अडानी ग्रुप की कंपनियों में लगाया हुआ है. इसी वजह से हिंडनबर्ग में इस कंपनी पर सवाल उठे थे.
अब द इंडियन एक्सप्रेस ने कुछ रेकॉर्ड खंगाले हैं और उनसे ये पता चला है कि Elara IOF सिर्फ एक निवेशक ही नहीं है, बल्कि यह एक डिफेंस कंपनी में प्रमोटर एंटिटी है. यह कंपनी है बेंगलुरू की Alpha Design Technologies Private Limited. यह कंपनी 2003 में बनी थी. यह इसरो और डीआरडीओ के साथ मिलकर काम करती है. 2020 में इस कंपनी रक्षा मंत्रालय के साथ करीब 590 करोड़ रुपये का एक कॉन्ट्रैक्ट भी किया था. अडानी ग्रुप की कंपनी अडानी डिफेंस सिस्टम्स एंड टेक्नोलॉजीज लिमिटेड की अल्फा डिजाइन में 26 फीसदी हिस्सेदारी है. चार्ट से आप समझ सकते हैं कि कैसे एलारा और अडानी के पास इस कंपनी की 51.65 फीसदी की मेज्योरिटी हिस्सेदारी है. मतलब जिस कंपनी ने अडानी ग्रुप में निवेश किया है वह सिर्फ एक इन्वेस्टर नहीं, बल्कि एक दूसरी कंपनी में को-ऑनर भी है.
भारी कर्ज तले दबी है कंपनी
हिंडनबर्ग ने अपनी रिपोर्ट में यह भी कहा था कि अडानी ग्रुप के ऊपर बहुत भारी कर्ज है. ऐसा नहीं है कि कर्ज को लेकर पहली बार अडानी ग्रुप के खिलाफ कोई रिपोर्ट आई. पिछले साल सितंबर में फिच की इकाई क्रेडिटसाइट ने भी कहा था कि ग्रुप पर भारी कर्ज है, जिसके चलते कुछ कंपनियां डूब तक सकती हैं. बाद में क्रेडिटसाइट ने कहा कि उनसे कैल्कुलेशन में कुछ गलती हुई, लेकिन अब हिंडनबर्ग की रिपोर्ट के बाद तस्वीर साफ हो गई. निक्केई की एक रिपोर्ट आई, जिसमें कहा गया कि अडानी ग्रुप पर करीब 3.4 लाख करोड़ रुपये का कर्ज है. वहीं पिछले ही महीने अडानी ग्रुप की तरफ से निवेशकों को दिखाने के लिए एक प्रजेंटेशन बनाई गई थी. उसके अनुसार अडानी ग्रुप पर करीब 2.21 लाख करोड़ रुपये का लोन (Gross Debt) है. यह लोन 2019 में लगभग 1.11 लाख करोड़ रुपये था. यानी पिछले 4 सालों में अडानी ग्रुप पर लोन का बोझ लगभग दोगुना हो चुका है. वहीं अगर कैश को हटा दें तो बचा हुए लोन (Net Debt) करीब 1.89 करोड़ रुपये है.
अडानी ग्रुप की कंपनियों के शेयर 85 फीसदी ज्यादा ओवरवैल्यूड
हिंडनबर्ग की रिपोर्ट में एक बड़ा आरोप ये था कि अडानी ग्रुप की कंपनियों के शेयर करीब 85 फीसदी ओवरवैल्यूड हैं. खैर, इसका अंदाजा तो शुरुआत में ही कंपनी के शेयरों का पीई रेश्यो यानी प्राइस टू अर्निग रेश्यो देखकर ही लग गया था. वहीं पिछले 3 सालों में अडानी ग्रुप की तमाम लिस्टेड कंपनियों की कमाई और मुनाफे की तुलना जब उनके शेयरों में आई तेजी से की गई तो भी ये साफ हुआ कि शेयर ओवर वैल्यूड हैं. शेयरों की कीमतें देखकर ये समझ ही नहीं आ रहा कि आखिर लोग तेजी से अडानी ग्रुप के शेयरों में पैसा क्यों डालते गए? इस प्वाइंट पर शेयरों की कीमतें मैनिपुलेट करने की आशंका भी सामने आती है.