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कोरोनाकाल में खुद को रखना चाहते हैं मानसिक और शारीरिक तौर पर स्वस्थ, तो 'ध्यान' है बेहतर विकल्प

वास्तव में ध्यान क्या है और उसको जिस तरह से हम समझते हैं उसमें बहुत ज्यादा अंतर है। कई बार जब आप किसी को नियमित ध्यान करने की सलाह देते है तो वह थोड़ा तुनक होकर कहते हैं कि अभी उनकी ध्यान करने की उम्र नहीं है। जैसे ध्यान एक धार्मिक प्रथा है जो सिर्फ बुजुर्ग लोग करते हैं।


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फोटो साभार: shutterstock


ध्यान करना और भक्तिगीत गाना दोनों अलग है। अगर कोई कहे कि यह मेरी उम्र भक्तिगीत गाने की नहीं है तो समझा जा सकता है कि वह रिटायर होने के बाद ही अपना समय ईश्वर को याद करके गुजारेगा। यह सही है कि कई वैश्विक धर्म में ध्यान के विधान बताए गए हैं पर ध्यान का धर्म से कोई सम्बन्ध नहीं है।


कोविड-19 का यह समय इस पीढ़ी के लिए सबसे भयावह समय है और इसके रहते जो परिस्थितियां उत्पन्न हुई है उससे कई लोगों के मन में तनाव की अधिकता हो गई है। इसके जो विभिन्न कारण है, उनमें वैक्सीन का न होना, वायरस अनिश्चित तरीके से फैलना, मरीजों की संख्या में निरंतर बढ़ोतरी, इस बीमारी का अर्थव्यवस्था पर प्रभाव, व्यवसाय और नौकरियों पर नकारात्मक प्रभाव, इन सब से हमारा दिमागी तनाव बढ रहा है। 


इस तनाव से कुछ समय में हमारा शरीर और दिमाग कई मानसिक और शारीरिक बीमारियों का घर बन सकता है. आधुनिक विज्ञान भी यह मानता है कि तनाव कई बीमारियों का जनक है जैसे, मधुमेह, अस्थमा, रीढ़ की हड्डी में दर्द, दिल की बीमारी आदि। कई लोग मानते हैं कि ध्यान तनाव को कम करने में सहायक है. तनावमुक्त होने के लिए तीन ही अचूक तरीके हैं, जो ध्यान, शौक (जैसे चित्रकारी, नृत्य, आदि) और नियमित व्यायम है। इन सब में भी ध्यान सर्वाधिक सरल और कारगर उपाय है।


इस कोरोनाकाल ने हमारे मन-मष्तिस्क में भावनावों का बवंडर पैदा कर दिया है। अर्थव्यवस्था और व्यापार पर पड़ने वाला प्रभाव हमारे मन में भय को जन्म देता है, बीमारी का फैलाव घबराहट को जन्म देता है और इस परिस्थिति से उपजित निराशा तनाव का कारण बनती है। इस समय पांच नकारात्मक भावनाएं एक साथ हमारे मन-मस्तिष्क पर हावी हो रही है।


ध्यान से आप इन भावनाओं को सुरक्षा, शान्ति, ठहराव और आशावाद जैसे सकारात्मक भावनाओं में बदल सकते हैं। जब तक हम इन सकारात्मक विचारों को अपने मन में उत्पन्न नहीं करते तब तक हम नकारात्मक विचारों के दुष्चक्र में फंसे रहेंगे और हमारे दिलो-दिमाग में अभिनव और उत्पत्त्ता से परिपूर्ण विचारों का संचार नहीं हो पाएगा। शौक और व्यायाम की तुलना में ध्यान से हमारे दिमाग में ज्यादा अल्फा तरंगे निकलती हैं, जिससे दिमाग शांत होता है और हमारे दिमाग में नए विचारों का संचार होता है।


पश्चिमी देशों में इस विषय पर कई शोध किए गए है और उनका निष्कर्ष है कि नियमित ध्यान करने से कई ग्रंथिरसों का उत्पादन होता है, जिसे हम सामान्य भाषा में हॉर्मोन कहते हैं। इनमें से सबसे प्रमुख है सेरोटोनिन (serotonin) जो हमारे मूड या मनोदशा को अच्छा करने में सहायक है। इसिलिए कई वैज्ञानिक इसको “ख़ुशी का केमिकल” भी कहते हैं। ध्यान से न सिर्फ सेरोटोनिन पैदा होते हैं, बल्कि हमारे दिमाग के नयूरोंस “अच्छा लगने” वाली भावनाओं को जन्म देने वाले केमिकल्स से स्नान कर लेते हैं जिससे हमारी मनोदशा तनाव मुक्त हो जाती है।


इसके अतिरिक्त नियमित ध्यान से कोर्टिसोल नामक हॉर्मोन हमारे शरीर में कम हो जाता है जिसको तनावदायक हॉर्मोन माना जाता है, ध्यान से एन्डोर्फिंस और मेलाटोनिन की संख्या को बढ़ाते हैं। एन्डोर्फिंस आनंददायक है और मेलाटोनिन नींद को स्वस्थ्य करता है।


अब प्रश्न ये उठता है कि जब नियमित ध्यान इतना ही फलदायक है तो लोग इसका पालन क्यूँ नहीं कर पाते हैं? इस का कारण है कि लोगों को इसके विषय में कई भ्रांतियां हैं। कई लोगों को ये गलतफहमी है कि ध्यान में विचारों को एकाग्रीत करना पड़ता है, फोकस करना पड़ता है जो मुश्किल है। इसीलिए कई लोग कुछ दिन तो कोशिश करते हैं फिर उनको लगता है कि वे एकाग्रचित नहीं रह पाते हैं न ही वे नए विचारों को दिमाग में आने से रोक पाते हैं और वे इसका अभ्यास छोड़ देते हैं। कई लोग इसलिए त्याग देते हैं कि वे सुखासन में ज्यादा देर नहीं बैठ पाते। कुछ लोग इसलिए नहीं कर पाते हैं क्योकि उनको लगता है कि ध्यान एक प्रकार का तप है और उसको ज्यादा समय देना चाहिए जो उनके पास नहीं है।


आज हम इस लेख में सबसे सरल ध्यान के बारे में बात कर रहे हैं। यह ध्यान आपको उपरोक्त सभी फायदे तो देगा ही और आपको इसको करने के लिए पंद्रह मिनट से तीस मिनट ही आपको देना होगा। इसे आप पंद्रह-पंद्रह मिनट दिन में दो समय या आधा घंटा दिन में एक बार कर सकते हैं। ध्यान एक धार्मिक क्रिया नहीं है इसलिए आप इसे बिना स्नान किये भी कर सकते हैं।


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फोटो साभार: shutterstock

ध्यान में हम अंतर्गमन करते हैं और जब तक हमारी सांस चल रही है, किसी भी समय ध्यान किया जा सकता है।


  • सबसे सरल किसी भी आरामदायक स्थिति में बैठ जाएँ। इसके लिए किसी आसन में बैठना आवश्यक नहीं है। आप सोफे पर, पलंग पर, कुर्सी पर या, चटाई पर बैठ सकते हैं। आप सुखासन में भी बैठ सकते हैं या कुर्सी पर अपने पैर ज़मीन पर रख कर भी बैठ सकते हैं। बस एक बात ज़रूरी है आपकी पीठ सीधी खड़ी होनी चाहिए। मतलब आप लेट कर ध्यान नहीं कर सकते। अगर आप कुर्सी पर बैठे हैं और आपके पैर ज़मीन पर हैं तो दोनों पैरों के बीच एक से डेढ़ फुट की दूरी रखें। इस पूरी प्रक्रिया में आप अपनी सांस को मद्धम रखे और जोर-जोर से श्वसन क्रिया न करें।


  • अपनी आँखें बंद कर लें और 10-12 धीमी लम्बी साँसें लें। इससे आपका शरीर रिलैक्स होगा और मन शांत होगा। लंबी सांस का अर्थ है अपने फेफड़ों को पूरी तरह से सांस से भरना और फिर सांस को छोड़ना ऐसे जैसे हर सांस के अन्दर लेने से आपका पेट फूल रहा है और छोड़ने पर पिचक रहा है।


  • पूरी प्रक्रिया में गहरी लम्बी सांस लेते रहें और अब अपना ध्यान सांस के अन्दर जाने, बाहर आने और इन दोनों के बीच के समय पर केन्द्रित करें। हर सांस से साथ आप हवा के आवागमन को देखें।


  • ऐसा पूर्ण रूप से स्वाभाविक है कि आपका ध्यान भटकेगा, नए विचार आयेंगे दोनों एक स्वाभाविक प्रक्रिया है, इससे विचलित न हों। जब आपको अहसास हो फिर से अपना ध्यान सांस के आवागन पर ले आयें।


इसको 10-15 मिनट तक करें और अंत में धीरे से अपनी आँखें खआप एक बार में कितने समय ध्यान करते हैं ये महत्वपूर्ण नहीं है, पर कितनी नियमितता से करते हैं वो महत्वपूर्ण है। जब आप नियमित रूप से पंद्रह दिन इसका अभ्यास करेंगे तो आपका चित्त-शांत, आशावादी, और उत्साह से परिपूर्ण होने लगेगा। पंद्रह दिन के पश्चात रुकना नहीं है पर इसको अपने दिनचर्या का भाग बना लेना है।


मुझे विश्वास है कि ये पूर्णतः प्राकृतिक अभ्यास के बल से आप अपने जीवन को तनावमुक्त कर पायेंगे चाहे इन कोरोना के दिन में या इसके पश्चात। धीरे धीरे आप पाएंगे कि आपकी रोग-प्रतिरोधक क्षमता में इजाफा हो रही है, नींद अच्छी आने लगी है और आपकी नकारात्मक परिस्थियों में प्रतिक्रिया बदलने लगी है, आप पाएंगे कि नए अवसर को आप आसानी से पहचान पा रहे हैं और इन परिस्थितियों से निज़ात पाने कि आपकी शक्ति बढ़ती जा रही है।





-आचार्य मनोज श्रीवास्तव इकलौते ऐसे वास्तु कंसलटेंट और ज्योतिषी हैं जिनको बीस साल से ज्यादा का कॉर्पोरेट लीडरशिप का अनुभव है। वे पूर्व में एयरटेल, रिलायंस और एमटीएस जैसे बड़े कॉर्पोरेट हाउस में वरिष्ठ पदों पर कार्यरत रहे हैं।

आजकल वे पूर्ण रूप से एक वास्तु कंसलटेंट और ज्योतिषी के रूप में अपनी सेवाएँ दे रहे हैं।

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