MeitY Startup Hub और Meta, भारत में XR टेक्नोलॉजी स्टार्टअप को बढ़ावा देने के लिए प्रोग्राम लॉन्च करेंगे
मेटा (Meta) के सहयोग से इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्रालय स्टार्टअप हब (MeitY Startup Hub - MSH) पूरे भारत में XR (Extended reality) टेक्नोलॉजी स्टार्टअप को समर्थन और गति प्रदान करने के लिए एक प्रोग्राम लॉन्च करेगा.
प्रोग्राम की घोषणा आज की जाएगी. केन्द्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री एवं कौशल विकास और उद्यमिता मंत्री राजीव चंद्रशेखर तथा मेटा की वैश्विक नीति के उपाध्यक्ष जोएल कपलान इस अवसर पर उपस्थित रहेंगे.
यह सहयोग; उभरती और भविष्य की टेक्नोलॉजी में कुशलता बढ़ाने के सरकार के प्रयासों का हिस्सा है.
बड़ी संख्या में क्रिएटर्स, डेवलपर्स की मौजूदगी और एक जीवंत टेक्नोलॉजी इकोसिस्टम के साथ भारत मेटावर्स (Metaverse) में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए विशिष्ट स्थिति में है. दुनिया डिजिटल प्रोडक्ट्स की अधिक मांग को पूरा करने की दृष्टि से सप्लाई टेक्नोलॉजी, इनोवेशन और उभरती प्रतिभाओं के लिए भारत की ओर देख रही है.
इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्रालय की एक पहल - इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्रालय स्टार्टअप हब - एक राष्ट्रीय प्लेटफार्म है, जो टेक्नोलॉजी इनोवेशन, स्टार्टअप और IPs (intellectual properties) के निर्माण को बढ़ावा देने पर केंद्रित है.
आज, इसे लगभग 3000+ टेक्नोलॉजी स्टार्टअप का समर्थन है, जिसे अगले तीन से पांच वर्षों में बढ़ाकर दस हजार से अधिक स्टार्टअप करने का लक्ष्य है.
आपको बता दें कि एक्सटेंडेड रियलिटी (Extended reality - XR) — ऑग्मेंटेड रियलिटी (augmented reality - AR), वर्चुअल रियलिटी (virtual reality - VR), और मिक्स्ड रियलिटी (mixed reality - MR) सहित सभी उभरती टेक्नोलॉजी के लिए एक छत्र शब्द है, साथ ही वे जिन्हें अभी बनाया जाना है. XR टेक्नोलॉजी वर्चुअल और "रियल" वर्ल्ड को मर्ज करके या बिलकुल अलग अनुभव बनाकर हमारे द्वारा अनुभव की जाने वाली वास्तविकता का विस्तार करती हैं.
Statista की एक रिपोर्ट के मुताबिक, 2021 में ग्लोबल XR टेक्नोलॉजी का मार्केट साइज 31 बिलियन अमेरिकी डॉलर था, जिसके 2024 तक बढ़कर 300 बिलियन अमेरिकी डॉलर होने की उम्मीद है. अगर इसके भौगोलिक स्तर की बात करें तो यह संयुक्त राज्य अमेरिका और एशिया-प्रशांत में, विशेष रूप से जापान, दक्षिण कोरिया और चीन में XR इनोवेशन मजबूत है. अब भारत भी इस राह पर है और अवसरों का लाभ उठाने के लिए तैयार है.
दुनियाभर की बहुत सी बड़ी कंपनियां इस टेक्नोलॉजी पर काम कर रही है. जब ये टेक्नोलॉजी पूरी तरह से मार्केट में आ जाएगी तो हो सकता है कि ऐसा हो कि अभी जो YouTube का कंटेंट आप डिस्प्ले पर देख रहे हैं, तो हो सकता है कि इस रियलिटी के पूरी तरह मार्केट में आने के बाद डिस्प्ले की जरूरत ही न रहे. इस रियलिटी में हो सकता है कि इंटरनेट की बहुत ज्यादा आवश्यकता रहे. अब ये तो आने वाली वक्त ही बताएगा कि इसका क्या असर होता है?