भारत का पहला AI लैंग्वेज ट्रांसलेशन प्लेटफॉर्म 'भाषिणी' बनाने पर काम कर रही है सरकार
MeitY ने भारत के पहले आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस बेस्ड लैंग्वेज ट्रांसलेशन प्लेटफॉर्म - डिजिटल इंडिया 'भाषिणी' को लेकर रणनीति बनाने के लिए रिसर्चर्स और स्टार्टअप्स के साथ विचार-मंथन किया है. यह प्लेटफॉर्म सभी को इंटरनेट उपलब्ध कराने के प्रधानमंत्री मोदी के दृष्टिकोण और लक्ष्य का महत्वपूर्ण भाग है.
इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी और कौशल विकास एवं उद्यमिता राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने मिशन डिजिटल इंडिया 'भाषिणी' [BHASHINI - BHASHa INterface for India] - राष्ट्रीय भाषा अनुवाद मिशन (National Language Translation Mission - NLTM) पर MeiTY द्वारा आयोजित एक विचार मंथन सत्र में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और लैंग्वेज टेक्नोलॉजी सेक्टर के 73 स्टार्टअप्स से बात करते हुए कहा, "टेक्नोलॉजी के इनोवेशन, विकास और साथ साथ उपभोग में हम स्टार्टअप्स की भूमिका देखते हैं।"
उन्होंने कहा, “भारत के युवाओं के लिए अवसरों की खातिर और सभी भारतीयों को जोड़ने हेतु प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के दृष्टिकोण का ये एक महत्वपूर्ण भाग है। जहां भारतनेट और 5G सभी भारतीयों को इंटरनेट से जोड़ने के लक्ष्य को उत्प्रेरित करेंगे, वहीं भाषिणी जैसी पहल ये सुनिश्चित करेगी कि सभी नागरिक अपनी खुद की भाषा में इंटरनेट और डिजिटल सरकारी सेवा का उपयोग करें।”
भाषिणी प्लेटफॉर्म दरअसल आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और प्राकृतिक भाषा प्रसंस्करण (Natural Language Processing - NLP) संसाधनों को पब्लिक डोमेन में MSME, स्टार्टअप्स और निजी इनोवेटर्स को उपलब्ध कराएगा। इस मिशन का उद्देश्य भारतीय नागरिकों को उनकी अपनी भाषा में देश की डिजिटल पहल से जोड़कर उन्हें सशक्त बनाना है जिससे डिजिटल समावेशन हो सके। भाषिणी प्लेटफॉर्म अंतर-संचालित है और ये पूरे डिजिटल इकोसिस्टम को उत्प्रेरित करेगा। डिजिटल सरकार के लक्ष्य को साकार करने की दिशा में ये एक बड़ा कदम है।
ये मिशन एक ऐसे इकोसिस्टम का निर्माण और पोषण करेगा जिसमें केंद्र/राज्य सरकार की एजेंसियां और स्टार्टअप्स शामिल होंगे और वे भारतीय भाषाओं में इनोवेटिव प्रोडक्ट्स और सेवाओं को विकसित करने और तैनात करने के लिए मिलकर काम करेंगे। स्टार्टअप्स की भागीदारी को प्रोत्साहित करने के लिए 24 मई 2022 को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से एक विचार-मंथन सम्मेलन आयोजित किया गया था। भारतीय भाषा डोमेन में काम कर रहे प्रमुख स्टार्टअप्स ने इस सम्मेलन में भाग लिया।
मिशन डिजिटल इंडिया भाषिणी का उद्देश्य जनहित के क्षेत्रों में, खासकर शासन और नीति, विज्ञान और टेक्नोलॉजी आदि में इंटरनेट पर भारतीय भाषाओं में कंटेंट को पर्याप्त रूप से बढ़ाना है, जो नागरिकों को अपनी खुद की भाषा में इंटरनेट का उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित करेगा।
बहुभाषीता स्टार्टअप्स के सामने एक बड़ा अवसर प्रस्तुत करती है जिससे वे ऐसे इनोवेटिव सॉल्यूशन और प्रोडक्ट्स विकसित कर सकते हैं जो सभी भारतीय नागरिकों की ज्ञात भाषा के उलट उनके काम आते हैं। डिजिटल इंडिया के लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए ज्ञान संसाधनों तक पहुंच को सक्षम बनाना और नागरिकों का डिजिटल सशक्तिकरण करना एक उच्च प्राथमिकता है। राज्य मंत्री ने "सभी भारतीयों को डिजिटल रूप से कनेक्ट करने और इंटरनेट के चारों ओर भाषा संबंधी बाधाओं को पार करके AI/NLP का लाभ उठाते हुए उनके डिजिटल समावेशन को सुविधाजनक बनाने" की अपनी इच्छा साझा की।
उन्होंने ये भी कहा कि "स्टार्टअप्स हमारे डिजिटल इकोसिस्टम का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं और मिशन डिजिटल इंडिया भाषिणी के माध्यम से उन्हें भारत-विशिष्ट और भारतीय भाषाओं में सक्षम आईटी सॉल्यूशंस विकसित करने के लिए समर्थन मिलेगा।"
उन्होंने कहा, "मुझे उम्मीद है कि इससे AI/भाषा आधारित स्टार्टअप्स और अंततः यूनिकॉर्न्स की संख्या बढ़ सकती है।"
मंत्री ने ये भी कहा कि AI तकनीकों और NLP के मेल से पैदा होने वाली पहलों से शासन के दायरे में बढ़ोतरी होगी, जैसे कि स्पीच और टेक्स्ट अनुवाद तकनीकों का विकास। जैसे-जैसे पब्लिक वेबसाइटें बहुभाषी और इंटरेक्टिव होंगी, वैसे वैसे लोक कल्याणकारी योजनाओं की पहुंच भी बढ़ेगी। हमारे इकोसिस्टम में टेक्निकल इनोवेशंस में स्टार्टअप्स की महत्वपूर्ण भूमिका पर भी उन्होंने खासा जोर दिया और स्टार्टअप्स से अपील की कि वे सरकार के साथ हाथ मिलाएं और भाषा संबंधी बाधा को तोड़ने के लिए मिशन डिजिटल इंडिया भाषिणी में काम करें।
स्टार्टअप्स ने इस बारे में भी अपने विचार साझा किए कि कैसे वे इस मिशन के उद्देश्यों को हासिल करने में सरकार की मदद करने के लिए मिशन के साथ सक्रिय रूप से जुड़ सकते हैं और इसमें भाग ले सकते हैं।