मेंटल हेल्थ के लिए WHO ने स्वीकार किया पारो घोषणापत्र, जानिए यह है क्या?

‘पारो घोषणापत्र’ को भूटान में डब्ल्यूएचओ दक्षिणपूर्व एशिया बैठक के 75 वें सत्र के दूसरे दिन मानसिक स्वास्थ्य संबंधी मंत्रिस्तरीय गोलमेज सम्मेलन में स्वीकार किया गया.

मेंटल हेल्थ के लिए WHO ने स्वीकार किया पारो घोषणापत्र, जानिए यह है क्या?

Wednesday September 07, 2022,

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विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र के सदस्य देशों ने मंगलवार को ‘पारो घोषणापत्र’ को स्वीकार कर लिया जो मानसिक स्वास्थ्य और सेवाओं तक सार्वभौमिक पहुंच प्रदान किए जाने से संबंधित है. डब्ल्यूएचओ की क्षेत्रीय निदेशक पूनम खेत्रपाल सिंह ने एक बयान में कहा कि मानसिक स्वास्थ्य में निवेश बढ़ने से इलाज का खर्च कम होता है वहीं उत्पादकता, रोजगार और जीवन की गुणवत्ता बढ़ती है.

‘पारो घोषणापत्र’ को भूटान में डब्ल्यूएचओ दक्षिणपूर्व एशिया बैठक के 75 वें सत्र के दूसरे दिन मानसिक स्वास्थ्य संबंधी मंत्रिस्तरीय गोलमेज सम्मेलन में स्वीकार किया गया.

क्षेत्रीय निदेशक ने कहा कि इस घोषणा में सदस्य देशों से मानसिक स्वास्थ्य संबंधी जोखिमों को दूर करने और कोविड-19 के कारण बढ़ गए उपचार अंतराल को कम करने के लिए नीतियां तैयार करने एवं उन्हें लागू करने का आग्रह किया गया है. इससे यह सुनिश्चित हो सकेगा कि विभिन्न सेवाएं बिना वित्तीय कठिनाई के उन सभी लोगों तक पहुंचें, जहां वे रहते हैं.

बयान में कहा गया है कि पारो घोषणापत्र में समुदाय आधारित मानसिक स्वास्थ्य नेटवर्क के लिए राशि बढ़ाने और दवाओं की लगातार आपूर्ति और पुनर्वास पर भी जोर दिया गया है. इसमें कहा गया है कि दक्षिण पूर्व एशिया में, औसतन सात में से एक व्यक्ति मानसिक स्वास्थ्य समस्या से पीड़ित है.

घोषणापत्र में एविडेंस बेस्ड और राइट्स ओरिएंटेड कम्यूनिटी नेटवर्क्स स्थापित करके और गंभीर मानसिक विकारों वाले लोगों की देखभाल के इंस्टीट्यूशनलाइजेशन के लिए व्यवस्थित रूप से योजना बनाकर मानसिक स्वास्थ्य की जरूरतों के लिए एक प्रभावी और व्यापक प्रतिक्रिया सुनिश्चित करने का आह्वान किया गया है.

सदस्य देश स्वास्थ्य और सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज के लिए फिस्कल स्पेस को प्राथमिकता देने, प्राथमिक और माध्यमिक स्तर पर मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं के लिए पर्याप्त निवेश सुरक्षित करने और स्थानीय और अंतर्राष्ट्रीय स्टेकहोल्डर्स के साथ साझेदारी में आवश्यक अतिरिक्त संसाधन जुटाने के लिए प्रतिबद्ध हैं.

इस क्षेत्र के कई सदस्य देशों ने आबादी के मानसिक स्वास्थ्य में सुधार के लिए नीतियों, योजनाओं, कानूनों और सेवाओं को मजबूत करने के लिए पहले ही कई कदम उठाए हैं.

बता दें कि, एनसीबीआर की हालिया रिपोर्ट के मुताबित साल 2021 में कुछ 1 लाख 64 हजार से ज्यादा लोगों ने भारत में आत्महत्या की है. इनमें ज्यादा युवा थे. ये 2020 के मुकाबले 7.2 फिसदी उछाल पर दर्ज किए गए.

रिपोर्ट के अनुसार, पेशे या करियर से संबंधित समस्याएं, अलगाव की भावना, दुर्व्यवहार, हिंसा, पारिवारिक समस्याएं, मानसिक विकार, शराब की लत और वित्तीय नुकसान देश में आत्महत्या की घटनाओं के मुख्य कारण हैं.


Edited by Vishal Jaiswal