माइक्रो लोन कंपनियां कर सकती हैं आपके घर के सपने को पूरा
महीने की कमाई पंद्रह हजार रुपए, कोई बैंक लोन देने को तैयार नहीं, तो वे जाएं कहां, किससे पैसा मांगकर शहर में अपना घर होने का सपना साकार करें? माइक्रो होम लोन कंपनियां नब्बे प्रतिशत तक राशि देकर गरीब शहरियों की मुश्किल आसान कर रही हैं।
हमारे देश के ज्यादातर शहरों में रहने वाला हर तीसरा आदमी या तो सड़कों के किनारे रहता है या मामूली-मलिन बस्तियों, झोपड़ियों में। ऐसे लोगों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। हर साल लाखों लोग गांवों से शहरों की ओर पलायन कर रहे हैं। एक अनुमानित रूप से शहरों में इस समय लगभग दो करोड़ से भी ज्यादा परिवारों के लिए घरों की किल्लत है। पंद्रह-सोलह हजार रुपए महीने कमाने वालो के लिए अपना घर होने का सपना हकीकत में बदलना बहुत मुश्किल है। उनको तो बैंकों से लोन भी नहीं मिल पाता कि अपना घर किश्तों पर ही खड़ा कर लें। इन्हीं हालात पर नजर गड़ाए हुए तमाम माइक्रो होम लोन कंपनियां बाजार में उतर पड़ी हैं, जो गरीब लोगों के अपना घर होने का सपना साकार करने के लिए तेरह प्रतिशत ब्याज दर पर नब्बे फीसदी तक लोन दे रही हैं, जिसे पचीस साल तक आराम से चुकता किया जा सकता है।
ऐसी ही मुंबई की एक उत्साही कंपनी है 'आधार हाउसिंग फाइनेंस'। यह एक डिपॉजिट टेकिंग हाउसिंग फाइनेंस कंपनी है, जो एनएचबी में रजिस्टर्ड है। इसका फोकस देश में टियर-2 से लेकर टियर-4 शहरों, कस्बों में ईडब्ल्यूएस और एलआईजी सेगमेंट को किफायती हाउसिंग फाइनेंशियल प्रोडक्ट्स मुहैया कराना है। कंपनी 8.22 लाख रुपए से 8.99 लाख रुपए तक होम लोन देती है। 20 राज्यों में कंपनी के 272 ब्रांच हैं। लोन का एवरेज लो टेन्योर 16 साल है। इस कंपनी के बनने की दास्तान बड़ी दिलचस्प है। बैंकिंग सेक्टर से जुड़े रजनीश ढाल से उनके कार ड्राइवर ने खुद का घर खरीदने के लिए यह कहते हुए कुछ पैसे उधार मांगे कि उसे कोई बैंक लोन नहीं दे रहा है। उसके बाद रजनीश ने सोचा कि क्यों न इस काम को बड़े पैमाने पर सुनियोजित तरीके से किया जाए। फिर क्या था, खड़ी हो गई 'आधार हाउसिंग फाइनेंस' कंपनी।
‘आधार' के प्रबंध निदेशक और मुख्यर कार्यकारी अधिकारी देव शंकर त्रिपाठी बताते हैं कि कभी उनके पास तीन चौथाई से भी ज्यादा ऐसे लोग आते थे, जिन्होंने उससे पहले कभी कोई लोन नहीं लिया था। आज उनकी कंपनी वैसे पचास हजार से ज्यादा लोगों को हाउस लोन दे चुकी है। घर खरीदना हर आदमी का सपना होता है। कम आमदनी वाले लोगों के लिए एक घर का मतलब होता है सुरक्षा। आधार अंबानी जैसा बड़ा बंगला तो नहीं दे सकती लेकिन उसके लोन से लोग कम से कम एक ऐसा घर बना सकते हैं, जिसमें आरामा से बसर किया जा सके।
इस बीच लोन मार्केट में एक नया ट्रेंड पैदा हो चुका है। कारोबार खोने के डर से परेशान माइक्रो फाइनेंस कंपनियां अब उन कर्जदारों को भी लोन देने को तैयार हैं, जिहोने पहले से कर्ज ले रखा है और अब तक उसे चुकाया नहीं है। नकदी के संकट के इस दौर में कर्ज लेने वाले लोगों को रीपेमेंट करने के लिए मिले 60 दिन के एक्स्ट्रा समय के बाद यह स्थिति बनी है। कंपनियां अब 60,000 रूपये तक का रिपीट लोन दे रही हैं। इस कदम से वास्तविक ग्राहक और कर्ज दबाने वाले लोगों की पहचान सुनिश्चित करने में भी मदद मिलने की उम्मीद है। कुछ कर्जदाता हालांकि इसमें सफल नहीं हो पा रहे हैं।
राजकोट (गुजरात) के भवीनभाई गाढ़िया बताते हैं कि शुरूआत से ही मैं हमेशा अपना खुद का घर चाहता था पर, मेरी स्थिति को देखते हुए कोई भी मुझे कोई लोन देने को तैयार नहीं था। उस समय, मेरा एक छोटा सा फैब्रिकेशन वर्कशॉप था और मेरी आमदनी सिर्फ 1.5 लाख रुपये सलाना थी। ऐसे ही समय मेरे एक दोस्त ने महिन्द्रा फायनांस के बारे में मुझे बताया। पुष्टि हो जाने के बाद मेरा चार लाख रुपये का लोन मंज़ूर हो गया। और यह पूरी प्रक्रिया बहुत जल्द और बिना किसी परेशानी के पूरी हो गई। मैं महिन्द्रा फायनांस का वाकई शुक्रगुज़ार हूँ। उनकी वजह से ही मैं आज एक घर का मालिक हूँ। ये घर मेरे लिए बहुत शुभ है। मैं लोन का भुगतान भी बिना किसी मुश्किल के आराम से कर पा रहा हूँ।
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