डॉक्टरों को हिंसा से बचाने के लिये कानून के मसौदे को आगे बढ़ायेगा स्वास्थ्य मंत्रालय
डॉक्टरों की सुरक्षा के लिये अलग से कानून बनाने की पहल को गृह मंत्रालय द्वारा नकारे जाने के बाद केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने मंगलवार को प्रस्तावित कानून के मसौदे को नये सिरे से आगे बढ़ाने का फैसला किया है।
गृह मंत्रालय ने किसी पेशे से जुड़े लोगों की सुरक्षा के लिये अलग से कानून बनाने को गैरजरूरी बताते हुये प्रस्तावित विधेयक के मसौदे को मंजूरी देने से मना कर दिया था।
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने मंगलवार को राष्ट्रीय परीक्षा बोर्ड के 20वें दीक्षांत समारोह में कहा,
‘‘चिकित्सकों पर ड्यूटी के दौरान होने वाले हमलों की सच्चाई से सरकार अवगत है। इसके मद्देनजर सरकार डॉक्टरों की सुरक्षा को लेकर चिंतित है। इसके लिये कानून का मसौदा बनाया जा रहा है।’’
समारोह में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. हर्षवर्धन और मंत्रालय की सचिव प्रीति सूदन भी मौजूद थीं। समारोह के बाद संवाददाताओं से बातचीत में डॉ. हर्षवर्धन ने भी इसकी पुष्टि करते हुये बताया कि डॉक्टरों की सुरक्षा के लिये पृथक कानून बनाने के मुद्दे पर विचार-विमर्श चल रहा है।
गृह मंत्रालय द्वारा इस विचार को पहले ही नकार दिये जाने के सवाल पर उन्होंने कहा,
‘‘विधेयक के विभिन्न पहलुओं पर अभी विचार चल रहा है।’’
उल्लेखनीय है कि मंत्रालय ने चिकित्साकर्मियों और चिकित्सा संस्थाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के प्रावधानों वाले स्वास्थ्य सेवाकर्मी एवं चिकित्सा प्रतिष्ठान (हिंसा एवं संपत्ति क्षति निषेध) विधेयक 2019 का मसौदा तैयार कर इसे संसद के हाल ही में संपन्न हुये शीतकालीन सत्र में पेश करने की तैयारी कर ली थी।
इस विधेयक में ड्यूटी पर तैनात चिकित्साकर्मी पर हमला करने के दोषी को दस साल कैद की सजा का प्रावधान था। विधेयक पर विभिन्न मंत्रालयों के बीच हुये विचार विमर्श के दौरान गृह मंत्रालय ने विधेयक की उपयोगिता पर पर सवालिया निशान लगा दिया था।
कानून मंत्रालय ने हालांकि विधेयक को स्वीकृति दे दी थी, लेकिन गृह मंत्रालय ने यह कहते हुये इस विधेयक को मंजूरी देने से इंकार कर दिया था कि किसी पेशे से जुड़े लोगों की सुरक्षा के लिये अलग से कानून बनाना उचित नहीं होगा। भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) और दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) में सभी की सुरक्षा के लिये पर्याप्त प्रावधान हैं।
समारोह में मौजूद मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि डॉक्टरों की सुरक्षा से जुड़े कानून के मसौदे को तैयार करने की दिशा में काम चल रहा है। इस विषय से जुड़े सभी पहलुओं को ध्यान में रखकर ही इसे अंतिम रूप दिया जायेगा।
चौबे ने कहा कि देश में डॉक्टरों की कमी को दूर करने के लिये 2024 तक सरकारी अस्पतालों को लगभग एक लाख नये डॉक्टर मिल जायेंगे। उन्होंने कहा कि इसके लिये चिकित्सा स्नातक (एमबीबीएस) की सीटों में इजाफे के लिये देश में 75 नये मेडिकल कॉलेज खोले जा रहे हैं इनमें 58 कॉलेज तैयार हो गये हैं, शेष कॉलेज 2022 तक बन जायेंगे।
उन्होंने कहा,
‘‘इससे एमबीबीएस की 32 हजार और स्नातकोत्तर की 19 हजार नयी सीटें उपलब्ध हो सकेंगी।’’
चौबे ने कहा,
‘‘मौजूदा मेडिकल कॉलेजों को उन्नत कर सुपर स्पेशिएलिटी अस्पताल में तब्दील किया जा रहा है। इनमें 25 अस्पतालों को सुपर स्पेशिएलिटी अस्पताल बनाया गया है।’’
(Edited by रविकांत पारीक )