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विदेशी गेंदे की पहली ही पैदावार से मोहित चौधरी को हुआ ढाई लाख का मुनाफा

विदेशी गेंदे की पहली ही पैदावार से मोहित चौधरी को हुआ ढाई लाख का मुनाफा

Sunday December 22, 2019 , 3 min Read

इंजीनियरिंग की नौकरी छोड़कर धौलपुर (राजस्थान) में खेती का नवाचार कर रहे मोहित चौधरी विदेशी फूलों, ताइवानी पपीते की फसलों से साल में कम से कम एक करोड़ रुपए कमाना चाहते हैं। उनके फूलों की दिल्ली, आगरा, ग्वालियर की मंडियों तक डिमांड है। गेंदे की पहली ही पैदावार से उन्हे ढाई लाख रुपए मुनाफा मिला।

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सांकेतिक चित्र

उच्च शिक्षा प्राप्त युवाओं को आज कल खेती-बाड़ी का नवाचार भी खूब आकर्षित करने लगा है। देश का शायद ही कोई राज्य ऐसा हो, जहां ऐसे युवा जीवन के विभिन्न कार्यक्षेत्रों में नवाचार करते हुए न मिल जाएं। ऐसे ही उत्साही युवा हैं मनियां, धौलपुर (राजस्थान) के गांव जगरियापुरा के मोहित चौधरी, जो एमएससी कंप्यूटर इंजीनियर की लगी-लगाई नौकरी छोड़कर अपने ढाई बीघे खेत में फूल खिला रहे हैं।


उनके खेतों में खिले फ्रेंच एंड अफरीकन गेंदा के फूलों की मंडियों और फूल के कारोबारियों में जबरदस्त डिमांड है। कृषि में करियर बन चुका उनका नवाचार अच्छी कमाई के साथ परवान चढ़ने लगा है। 

खेती से कमाना चाहते हैं 50 लाख

साइबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट मोहित बताते हैं कि अब पारंपरिक खेती में घर-परिवार चलाने लायक कमाई नहीं हो पाती है। उनके पिता भी किसानी करते हैं। वह इंजीनियरिंग की नौकरी करते रहते तो पिता की खेती-बाड़ी कौन संभालता। खेत बंजर हो जाते। यही सोचकर उन्होंने खेती में नवाचार का संकल्प लिया और फूलों की खेती करने लगे। वह इस नवाचार से सालाना कम से कम 50 लाख रुपए कमाना चाहते हैं।

उनके फूलों की है जोरदार डिमांड

आजकल दिल्ली की गाजीपुर मंडी के साथ ही ग्वालियर और आगरा की मंडियों में भी उनके फूलों की खूब डिमांड है। उन्होंने अपने संभाग में पहली बार फ्रेंच मैरी गोल्ड की खेती जब शुरू की तो उसकी पौध बंगलूरु से मंगानी पड़ी। अब तो वह ताईवानी पपीते कीभी खेती करना चाहते हैं, साथ ही एक ही खेत में इंटरक्रॉप खेती कर छह फसलें पैदा करना चाहते हैं। 





मोहित बताते हैं,

"विदेशी ताइवानी पपीता भी एक ऐसी वैरायटी है, जिसमें एक पेड़ से सौ किलो तक फल की पैदावार हो जाती है। स्वाद में मीठा और रसीला ये पपीता बहुत कम समय में तैयार हो जाता है। वह इस पपीते की पूरी तरह ऑर्गेनिक पैदावार लेना चाहते हैं। पपीता रोपने के दस-ग्यारह महीने में ही मंडियों तक पहुंच जाता है। वह इसकी खेती से कम से कम चालीस लाख रुपए तक की कमाई करना चाहते हैं।" 


मोहित चौधरी के पिता रमेशचंद्र सरपंच बताते हैं,

"लाल ईडन ऑरेंज फ्रेंच वैरायटी और पीला वाला यलो प्राइड प्लस की अफ्रीकन वैरायटी के फूल ग्वालियर में सौ, सवा सौ रुपए किलो और दिल्ली में डेढ़ सौ रुपए तक में बिक रहे हैं।"

मोहित ने पिछली दिवाली पर ढाई बीघे में पैदा गेंदे से ढाई लाख रुपए का मुनाफा कमा लिया। पहली बार उसकी अच्छी वैरायटी वाली गेंदे की बंपर पैदावार देखकर क्षेत्र किसान ही नहीं, हॉर्टिकल्चर अधिकारी भी हैरान रह गए।


खुद हॉर्टिकल्चर अधिकारी ब्रजेंद्र गोयम बताते हैं,

"मोहित ने पहली बार विदेशी गेंदे की इतनी अच्छी खेती से सचमुच चौंका दिया है।"