Brands
Discover
Events
Newsletter
More

Follow Us

twitterfacebookinstagramyoutube
Youtstory

Brands

Resources

Stories

General

In-Depth

Announcement

Reports

News

Funding

Startup Sectors

Women in tech

Sportstech

Agritech

E-Commerce

Education

Lifestyle

Entertainment

Art & Culture

Travel & Leisure

Curtain Raiser

Wine and Food

YSTV

ADVERTISEMENT
Advertise with us

एक साल में 2.25 लाख भारतीयों ने छोड़ी नागरिकता, आखिर ये लोग कौन हैं?

पिछले साल 2.25 लाख से भी नागरिकों ने अपनी भारतीय नागरिकता छोड़ दी और वे विदेश में जाकर बस गए. भारतीय नागरिकता छोड़ने वाले लोगों की यह संख्या अब तक की सबसे अधिक है.

एक साल में 2.25 लाख भारतीयों ने छोड़ी नागरिकता, आखिर ये लोग कौन हैं?

Friday February 10, 2023 , 4 min Read

एक तरफ जहां भारत, जापान और जर्मनी को पीछे छोड़कर दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की ओर आगे बढ़ रहा है, तो वहीं ऐसे भी लोग हैं जिन्हें भारत से अधिक संभावनाएं दूसरे देशों में दिख रही हैं.

दरअसल, पिछले साल 2.25 लाख से भी नागरिकों ने अपनी भारतीय नागरिकता छोड़ दी और वे विदेश में जाकर बस गए. भारतीय नागरिकता छोड़ने वाले लोगों की यह संख्या अब तक की सबसे अधिक है.

विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने गुरुवार को राज्यसभा में बताया कि पिछले 12 सालों में 16 लाख लोग भारत छोड़कर विदेश में बस चुके हैं.

सरकार द्वारा गुरुवार को राज्यसभा में उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के मुताबिक 2011 से 16 लाख से अधिक भारतीयों ने अपनी भारतीय नागरिकता छोड़ दी है. इनमें से सर्वाधिक 2,25,620 भारतीय ऐसे हैं, जिन्होंने पिछले साल भारतीय नागरिकता छोड़ी है.

12 सालों में 60 फीसदी बढ़ी नागरिकता छोड़ने वालों की संख्या

साल 2011 के बाद से भारतीय नागरिकता छोड़ने वाले भारतीयों की कुल संख्या 16,63,440 है. साल 2011 में 1,22,819 भारतीयों ने अपनी नागरिकता छोड़ दी थी जबकि 2022 में यह संख्या 60 फीसदी बढ़कर 2,25,620 पर पहुंच गई.

  • 2011 - 1,22,819
  • 2012 - 1,20,923
  • 2013 - 1,31,405
  • 2014 - 1,29,328
  • 2015 - 1,31,489
  • 2016 - 1,41,603
  • 2017 - 1,33,049
  • 2018 - 1,34,561
  • 2019 - 1,44,017
  • 2020 - 85,256
  • 2021 - 1,63,370
  • 2022 - 2,25,620

इन भारतीय नागरिकों ने दुनिया के 135 देशों में नागरिकता ली है. विदेशी मंत्री संसद में बताया कि सूचना के अनुसार, पिछले 3 वर्षों के दौरान 5 भारतीय नागरिकों ने संयुक्त अरब अमीरात की नागरिकता प्राप्त की है.

आखिर नागरिकता छोड़ने वाले लोग हैं कौन?

इतनी बड़ी संख्या में भारतीयों के नागरिकता छोड़ने पर यह सवाल तो उठना लाजिमी है कि ये लोग आखिर नागरिकता क्यों छोड़ रहे हैं और नागरिकता छोड़ने वाले लोग कौन हैं?

ऐसे में पिछले साल ब्रिटेन की इन्वेस्टमेंट माइग्रेशन कंस्लटेंसी कंपनी Henley and Partners की रिपोर्ट पर गौर करें तो पता चलता है कि सालभर में भारत के 8,000 करोड़पतियों ने देश छोड़ दिया है. इस आंकड़े के साथ अब भारत अमीरों के पलायन के मामले में टॉप-3 देशों में शामिल हो गया है. हाई नेटवर्थ इंडिविजुअल (एचएनआई) उन लोगों को कहा जाता है जिनकी संपत्ति 8.25 करोड़ रुपये (10 लाख डॉलर) या उससे अधिक होती है.

भारतीय नागरिकता छोड़ने वाले लोगों में अगर करोड़पति लोगों की इतनी संख्या है तो लखपतियों की संख्या इससे कहीं अधिक होने से इनकार नहीं किया जा सकता है. हालांकि, ऐसे लखपतियों का कोई आंकड़ा नहीं मौजूद है.

नागरिकता छोड़ने की वजह क्या है?

अरबपतियों के मुल्क छोड़ने की वजह समझने पर गौर करें तो - अरबपति लोग जहां बस रहे हैं वहां जाने का प्रमुख कारण अपनी आर्थिक मजबूती देख रहे हैं. देश की अर्थव्यवस्था और आंतरिक सुरक्षा को मुख्य मसला मानकर भी वे अपना रुख बदल रहे हैं. स्वास्थ्य, शिक्षा और बेहतर जीवनशैली जैसी मजबूत बुनियादी सुविधाएं भी इसका कारण हैं.

इसके अलावा, अपराध की दर में कमी के कारण भी अरबपति लोग इन देशों की ओर आकर्षित हो रहे हैं. बिजनेस के मौके दिखने के साथ टैक्स में राहत के बलबूते खुद को मजबूत करने की कोशिश भी एक बड़ी वजह कही जा सकती है. यह तो साफ हो जाता है कि विकासशील देशों में पैसे कमाने के बाद जैसे ही मौका मिलता है तो अमीर लोग विकसित देशों में जाकर बस जा रहे हैं.

वहीं, मध्यम वर्गीय परिवार के युवा पढ़ाई और रोजगार के बेहतर मौके की तलाश में विकसित देशों में जा रहे हैं. पढ़ाई के लिए विदेश जाने वालों में से अधिकांश को अपने खेत बेचने पड़ते हैं, संपत्ति गिरवी रखनी पड़ती है और लोन तक लेना पड़ता है. औसतन, प्रत्येक छात्र विदेश में शिक्षा के लिए लगभग 25 लाख रुपये से 30 लाख रुपये खर्च करता है. इसके बाद मौका मिलते ही वहां बस जाते हैं.


Edited by Vishal Jaiswal