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मुंबई हवाईअड्डा अडानी को सौंपने के लिए जीवीके ग्रुप पर दबाव डालने के राहुल गांधी के आरोपों का आधार क्या है?

कांग्रेस नेता राहुल गांधी साल 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार के आने के बाद से अंबानी और अडानी का नाम लेकर इसे पूंजीपतियों की सरकार बताते रहते हैं.

मुंबई हवाईअड्डा अडानी को सौंपने के लिए जीवीके ग्रुप पर दबाव डालने के राहुल गांधी के आरोपों का आधार क्या है?

Wednesday February 08, 2023 , 8 min Read

लोकसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा में भाग लेते हुए कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कारोबारी गौतम अडानी (Gautam Adani) के कारोबारी भाग्य और निजी संपत्ति में भारी वृद्धि को 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार के सत्ता में आने से जोड़ा. उन्होंने अडाणी समूह से जुड़े मामले को लेकर भाजपा सरकार पर जमकर निशाना भी साधा.

बता दें कि, बीते 24 जनवरी को अमेरिकी रिसर्च फर्म हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट आने के बाद से गौतम अडानी विवादों में घिरे हुए हैं और उनके कारोबार पर सवाल उठ रहे हैं. हालांकि, कांग्रेस नेता राहुल गांधी साल 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार के आने के बाद से अंबानी और अडानी का नाम लेकर इसे पूंजीपतियों की सरकार बताते रहते हैं.

राहुल गांधी ने आरोप लगाया कि अडानी को फायदा पहुंचाने के लिए सरकार ने नियमों फेरबदल किया. उन्होंने कहा कि पहले नियम था कि बिना अनुभव वाली कोई कंपनी हवाईअड्डों के विकास में शामिल नहीं होगी लेकिन इस सरकार ने उन नियमों में बदलाव किया.

गांधी ने कहा कि सरकार ने इस नियम को बदल दिया और अडानी को छह हवाईअड्डे दिए गए. उसके बाद देश के सबसे महत्वपूर्ण और प्रॉफिटेबल मुंबई हवाईअड्डे को सीबीआई और ईडी जैसी केंद्रीय एजेंसियों का डर दिखाकर जीवीके ग्रुप से छिन लिया गया और उसे सरकार ने अडानी को दे दिया.

मुंबई हवाईअड्डे का सौदा क्या है?

बता दें, अगस्त 2021 में अडानी ग्रुप ने मुंबई के छत्रपति शिवाजी महाराज इंटरनेशनल एयरपोर्ट का मैनेजमेंट GVK ग्रुप से अपने हाथों में ले लिया था. इस डील के साथ अडानी समूह की सब्सिडियरी AAHL अब देश की सबसे बड़ी एयरपोर्ट कंपनी बन गई थी.

इसके लिए अडानी ग्रुप ने मुंबई इंटरनेशनल एयरपोर्ट लिमिटेड (MIAL) की 74 फीसदी हिस्सेदारी के लिए जीवीके ग्रुप से 50 फीसदी हिस्सेदारी खरीदने के अलावा और दक्षिण अफ्रीका की Bidvest से 13.5 फीसदी और Airport Company of South Africa से 10 फीसदी की हिस्सेदारी हासिल की थी. इस डील के तहत अडानी ग्रुप ने GVK Group के लगभग 2,500 करोड़ रुपये के कर्ज को भी चुकाने का सौदा किया था.

GVK ग्रुप ने किसी दबाव से इनकार किया

हालांकि, राहुल गांधी के आरोपों के तुरंत बाद जीवीके समूह के वाइस चेयरमैन जी.वी. संजय रेड्डी ने कहा कि अडानी समूह या किसी और की ओर से मुंबई हवाईअड्डे को बेचने का बिल्कुल भी दबाव नहीं था.

जीवीके ग्रुप के वाइस चेयरमैन संजय रेड्डी ने एक टीवी चैनल के साथ बातचीत में उन परिस्थतियों को स्पष्ट किया जिनकी वजह से मुंबई हवाई अड्डे में हिस्सेदारी बेचनी पड़ी. रेड्डी ने कहा कि समूह हवाई अड्डा कारोबार के लिए धन जुटाना चाहता था. उन्होंने बताया कि अडाणी समूह के प्रमुख गौतम अडाणी ने उनसे संपर्क किया था और कहा था कि उनकी हवाई अड्डे में रुचि है और क्या जीवीके समूह उनके साथ सौदा करने का इच्छुक है.

रेड्डी ने कहा, ‘‘…अडाणी ने एक महीने में सौदा पूरा होने की बात कही. यह हमारे लिए काफी महत्वपूर्ण था. हमने जो कुछ भी किया कंपनी के हित में किया. हमें वित्तीय संस्थानों को कर्ज लौटाने थे और इसीलिए सौदा जल्द-से-जल्द पूरा करना था. चूंकि किसी और निवेशक ने रूचि नहीं दिखाई, हमने अडाणी के साथ सौदा किया.’’

GVK ग्रुप का कारोबार कितना फैला है?

बता दें कि, जीवीके ग्रुप की स्थापना गणपति वेंकट कृष्ण रेड्डी ने की थी. इस समूह का कारोबार ऊर्जा, खनिज संसाधन, एयरपोर्ट्स, हॉस्पिटैलिटी, रियल एस्टेट, फॉर्मास्यूटिकल्स, टेक्नोलॉजी से लेकर ट्रांसपोर्टेशन तक फैला हुआ है.

इस ग्रुप को सबसे पहले 1996 में देश में पहला प्राइवेट पावर प्लांट लगाने का श्रेय हासिल है. वहीं, इसे देश के पहला छह लेन टोल रोड बनाने का भी श्रेय दिया जाता है, जो कि साल 2004 में राजस्थान में बना था. वहीं, इसने ही देश का पहला प्राइवेट एयरपोर्ट साल 2006 में मुंबई में बनाया था.

राहुल गांधी के आरोपों का आधार क्या है?

दरअसल, जुलाई 2020 में सीबीआई ने मुंबई हवाई अड्डे के संचालन में 705 करोड़ रुपये की कथित अनियमितताओं के संबंध में जीवीके समूह के चेयरमैन वेंकट कृष्ण रेड्डी गणपति और एमआईएएल के प्रबंध निदेशक उनके बेटे जीवी संजय रेड्डी, एमआईएएल कंपनियों जीवीके एयरपोर्ट होल्डिंग्स लिमिटेड और नौ अन्य निजी कंपनियों के खिलाफ मामला दर्ज किया था.

भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण (एएआई) लिमिटेड ने मुंबई हवाईअड्डे के रखरखाव और उन्नयन के लिए सार्वजनिक निजी साझेदारी वाली कंपनी मुंबई इंटरनेशनल एयरपोर्ट लिमिटेड (एमआईएएल) के तहत जीवीके समूह की कंपनी जीवीके एयपोर्टस होल्डिंग्स लिमिटेड और अन्य निवेशकों के साथ संयुक्त उपक्रम बनाया था. एएआई ने चार अप्रैल 2006 को एमआईएएल के साथ मुंबई हवाईअड्डे के आधुनिकीकरण, रखरखाव, परिचालन और देखरेख के लिए एक करार किया था.

सीबीआई ने आरोप लगाया कि एमआईएएल में जीवीके समूह के प्रवर्तकों ने उसके अधिकारियों तथा एएआई के अज्ञात अधिकारियों के साथ मिलीभगत करके अलग-अलग तरीकों से पैसे का गबन किया.

एजेंसी ने आरोप लगाया कि उन्होंने 2017-18 में नौ कंपनियों को कामकाज के फर्जी ठेके दिखाकर पैसों की हेराफेरी की जिससे 310 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ. सीबीआई ने आरोप लगाया कि जीवीके समूह के प्रवर्तकों ने कथित तौर पर एमआईएएल की 395 करोड़ रुपये की आरक्षित निधि का दुरुपयोग किया और अपने समूह की कंपनियों में उसे लगाया.

एजेंसी का आरोप है कि समूह ने अपने मुख्यालय में कार्यरत और समूह की कंपनियों के कर्मचारियों को भुगतान दिखाकर एमआईएएल के खर्च संबंधी आंकड़ों को बढ़ा दिया. हालांकि ये कर्मचारी एमआईएलए के परिचालन में शामिल नहीं थे. इससे एएआई को राजस्व का नुकसान हुआ.

इस मामले में चल रहे केस को हाल ही में चीफ मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट कोर्स में ट्रांसफर कर दिया गया. हालांकि, सीबीआई को इस मामले में किसी सरकारी अधिकारी की भूमिका संदिग्ध नहीं मिली है.

छह हवाईअड्डे एक कंपनी को सौंपने पर नीति आयोग और वित्त विभाग ने जताई थी आपत्ति

एयरपोर्ट सेक्टर में अडानी ग्रुप के प्रवेश से पहले केंद्रीय वित्त मंत्रालय और नीति आयोग ने 2019 की हवाईअड्डे की बोली प्रक्रिया के संबंध में रिकॉर्ड आपत्तियां दर्ज कीं थीं. इन्हें सरकार ने खारिज कर दिया था. इससे अडानी समूह द्वारा प्रस्तावित छह हवाई अड्डों की सफाई का रास्ता साफ हो गया था.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, अहमदाबाद, लखनऊ, मैंगलोर, जयपुर, गुवाहाटी और तिरुवनंतपुरम में हवाई अड्डों के निजीकरण के लिए बोलियां आमंत्रित करने से पहले, केंद्र की सार्वजनिक निजी भागीदारी मूल्यांकन समिति (पीपीपीएसी) ने 11 दिसंबर, 2018 को प्रक्रिया के लिए नागरिक उड्डयन मंत्रालय के प्रस्ताव पर चर्चा की थी.

10 दिसंबर, 2018 की मीटिंग में आर्थिक मामलों के विभाग (DEA) ने एक कंपनी को दो से अधिक एयरपोर्ट नहीं सौंपने की सिफारिश की थी. उसका कहना था कि ये छह एयरपोर्ट प्रोजेक्ट्स भारी पूंजी वाले प्रोजेक्ट्स हैं.

अपने तर्क को पुष्ट करने के लिए, DEA ने दिल्ली और मुंबई हवाई अड्डों का उदाहरण दिया था. यहां पर मूल रूप से एकमात्र योग्य बोलीदाता होने के बावजूद जीएमआर को दोनों हवाईअड्डे नहीं दिए गए थे.

उसने दिल्ली के पावर सप्लाई के प्राइवेटाइजेश का भी उल्लेख किया, जहां शहर को तीन जोन में बांटा गया था और पावर सप्लाई का ठेका दो अलग-अलग कंपनियों को दिया गया था. पीपीपीएसी की बैठक में मिनट्स के अनुसार, डीईए द्वारा उठाए गए इस मुद्दे पर कोई चर्चा नहीं हुई थी.

उसी दिन डीईए नोट के रूप में, नीति आयोग ने हवाई अड्डे की बोली के संबंध में एक अलग चिंता जताई थी. सरकार के पॉलिसी थिंक-टैंक के पीपीपी वर्टिकल द्वारा तैयार एक मेमो में कहा गया था, "पर्याप्त तकनीकी क्षमता की कमी वाले बोलीदाता परियोजना को खतरे में डाल सकते हैं और सेवाओं की गुणवत्ता से समझौता कर सकते हैं जो सरकार प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है.

इसके जवाब में तत्कालीन डीईए सचिव की अध्यक्षता में पीपीपीएसी ने कहा कि ईजीओएस (सचिवों का अधिकार प्राप्त समूह) ने पहले ही फैसला कर लिया था कि "हवाई अड्डे के पूर्व अनुभव को न तो बोली लगाने के लिए एक शर्त बनाया जा सकता है, न ही बोली के बाद की आवश्यकता.

अनुभवी कंपनियों को नहीं मिला कोई हवाईअड्डा

एएआई द्वारा संचालित छह हवाईअड्डों के लिए बोली प्रक्रिया के दौरान, अडानी समूह ने अपने सभी प्रतिद्वंद्वियों को पछाड़ दिया. इसमें जीएमआर ग्रुप, ज्यूरिख एयरपोर्ट और कोचीन इंटरनेशनल एयरपोर्ट लिमिटेड और अन्य इंफ्रास्ट्रक्चर कंपनियों जैसे अनुभवी खिलाड़ी शामिल थे.

अडानी ने सभी छह में से प्रत्येक हवाईअड्डे के लिए बड़े अंतर से बोली लगाई. इन बोलियों के तहत अडानी ग्रुप 50 साल की अवधि के लिए सभी छह हवाई अड्डों को चलाने का अधिकार मिल गया.

यही नहीं, फाइनेंशियल ईयर 2023-24 के दौरान केंद्र सरकार 11-12 और हवाईअड्डों को निजीकरण का रास्ता साफ करने जा रही है. वहीं, पहले चरण के सभी छह हवाईअड्डों का अधिग्रहण करने वाले अडानी ग्रुप ने कहा कि वह इन सभी हवाईअड्डों के अधिग्रहण के लिए तैयार है.

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