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वो स्कूल जिसने देश को दिये कई बेहतरीन एक्टर, यहाँ दाखिला मिलना है थोड़ा मुश्किल

भारत में नाट्य विद्या को एक पाठ्यक्रम के तौर पर पढ़ाने की शुरुआत करने का श्रेय राष्ट्रिय नाट्य विद्यालय यानी एनएसडी को ही जाता है।

NSD ने रंगमंच और फिल्मों को कई बड़े नाम दिये हैं। (चित्र: इंटरनेट)

NSD ने रंगमंच और फिल्मों को कई बड़े नाम दिये हैं। (चित्र: इंटरनेट)



देश के इतिहास में नाटक और संगीत की जगह हमेशा से खास रही है, फिर धीरे-धीरे समय बीता तो रंगमंच और उसके बाद फिल्मों ने दर्शकों के बीच अपनी जगह बनाना शुरू किया। हालांकि आज देश में रंगमंच की स्थिति उतनी बेहतर नहीं है जितना कि फिल्मों की, लेकिन फिर भी रंगमंच की विधा को पसंद करने और उसे आगे ले जाने वाले कलाकारों की संख्या भी कम नहीं है। फिल्मों की बात करें तो भारतीय फिल्म जगत ने कई ऐसे कलाकारों का अनुभव देखा, जिन्होने अपनी विधा का नमूना पेश कर एक बेंचमार्क सेट कर दिया।


इन सब के बीच भारत में नाट्य विद्या को एक पाठ्यक्रम के तौर पर पढ़ाने की शुरुआत करने का श्रेय राष्ट्रिय नाट्य विद्यालय यानी एनएसडी को जाता है। एनएसडी ने एक संस्थान के तौर पर भारत में नाट्य विधा के क्षेत्र में कई बड़े नाम दिये, जिन्होने रंगमंच और भारतीय फिल्मों दोनों को ही बखूबी निखारने का काम किया।

राष्ट्रिय नाट्य विद्यालय

एनएसडी की आधारशिला रखे जाने के लिए संगीत नाटक अकादमी जिम्मेदार है। साल 1954 में थिएटर को बढ़ावा देने के उद्देश्य से संगीत नाटक अकादमी ने योजना बनान शुरू किया, गौरतलब है कि तब संगीत नाटक अकादमी के प्रेसिडेंट तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू थे। इसी बीच दिल्ली में ही भारतीय नाट्य संघ ने यूनेस्को के साथ मिलकर साल 1958 में ‘एशियन थिएटर इंस्टीट्यूट’ की शुरुआत कर दी, हालांकि बाद में इस इंस्टीट्यूट को संगीत नाटक अकादमी ने अपने साथ जोड़ लिया और साल 1959 के अप्रैल महीने में इन सभी को एक कर अलग संस्थान की स्थापना की गई, जिसका नाम पहले ‘नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा एंड एशियन थिएटर इंस्टीट्यूट’ रखा गया।


साल 1975 में यह शिक्षा मंत्रालय, संस्कृति मंत्रालय, संस्कृति विभाग के तहत एक स्वायत्त संगठन बन गया, जिसका नाम राष्ट्रिय नाट्य विद्यालय (नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा) रखा गया। साल 2005 में भारत सरकार द्वारा इस विद्यालय को डीम्ड यूनिवर्सिटी का दर्जा दे दिया गया, हालांकि कुछ कारणों के चलते साल 2011 में एनएसडी के आग्रह पर सरकार ने विद्यालय से डीम्ड यूनिवर्सिटी का दर्जा वापस ले लिया।

एनएसडी ने क्या दिया?

एनएसडी से निकल कर भारतीय फिल्मों में अपने अभिनय के दम पर एक मुकाम हासिल करने वाले अभिनेताओं में नसीरुद्दीन शाह, अनुपम खेर, ओम पुरी, पीयूष मिश्रा, नवाज़ुद्दीन सिद्धिकी, इरफान खान, कुमुद मिश्रा, पंकज त्रिपाठी, संजय मिश्रा, सतीश कौशिक, स्वानन्द किरकिरे और तिग्मांशु धूलिया जैसे तमाम बड़े नाम शामिल हैं।


हाल ही में जाने-माने अभिनेता संजय मिश्रा ने कहा था,

“मैं मुख्यता सिनेमा एक्टर हूँ। मेरे दिमाग में सिनेमा शुरू से ही था। एक्टिंग क्या है और कैसे होनी है, यह मुझे नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा ने सिखाया।”





ऐसा नहीं है कि एनएसडी से निकल कर लोग सिर्फ फिल्मों की तरफ ही रुख कर गए, बड़ी संख्या में लोग ऐसे भी हैं जिन्होने एनएसडी से निकल कर सिर्फ थिएटर करना चुना और वे आज भी रंगमंच पर पूरी तरह सक्रिय हैं।

कैसे मिलता है दाखिला?

अगर आप एनएसडी में दाखिला लेना चाहते हैं तो यह बात जरूर ध्यान में रखें कि इस संस्थान में तीन वर्षीय पाठ्यक्रम के लिए सीटें बेहद कम हैं, जिसके चलते अभ्यर्थियों के लिए चयन प्रक्रिया बेहद कठिन साबित होती है। संस्थान में कोर्स के लिए सिर्फ 26 सीटें हैं, जिस पर भारत सरकार के नियानुसार आरक्षण लागू होता है। प्रवेश लेने के इच्छुक आवेदकों को प्रारम्भिक परीक्षा/ ऑडिशन व अंतिम कार्यशाला में शामिल होना होता है। एनएसडी में प्रवेश के लिए अगर हम न्यूनतम पात्रता की बात करें, तो आवेदक को किसी मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय से स्नातक होने के साथ ही 5 अलग-अलग नाटकों में भाग लेने का अनुभव होना आवश्यक है, इसी के साथ आवेदक की आय 18 से 30 साल के बीच होनी चाहिए।


आमतौर पर हर साल फरवरी-मार्च माह में एनएसडी नए प्रवेश के लिए आवेदन मांगता है। गौरतलब है कि अंतिम चयन के बाद यह स्कूल अपने छात्रों को 8 हज़ार रुपये प्रति माह की दर से छात्रवृत्ति भी उपलब्ध कराता है।