ड्रोन और ऑटोमेशन जैसे तकनीकी युग में नए कौशल की आवश्यकता
ड्रोन कौशल में दक्ष व्यक्ति को प्रशिक्षण प्रमाणपत्र प्रदान करने के साथ-साथ ड्यूल सर्टिफिकेट का भी प्रावधान किया जाना चाहिए ताकि उनकी योग्यता और विश्वसनीयता बढ़ सके. आधुनिक उद्योग की मांगों को पूरा करने के लिए एक मजबूत प्रशिक्षण अवसंरचना बनाना आवश्यक है.
आज के तेज़ी से बदलते समय में, तकनीकी विकास और औद्योगिक बदलावों के साथ नई चुनौतियाँ और अवसर उत्पन्न हो रहे हैं. इनमें से एक बड़ी चुनौती है कुशल श्रमिकों की कमी. आज की तारीख में, कई उद्योगों में नई तकनीकों जैसे कि ऑटोमेशन और ड्रोन के बढ़ते उपयोग के साथ, दक्ष कर्मचारियों की मांग बढ़ती जा रही है. जोकि वर्तमान समय में एक बहुत बड़ी चुनौती है.
ड्रोन सेक्टर भारत में तेजी से विकसित हो रहा है. केंद्र सरकार ने वर्ष 2030 तक देश को वैश्विक ड्रोन उद्योग के केंद्र के रूप में स्थापित करने का लक्ष्य रखा है. इसके साथ ही अनुमान है कि 2030 तक देश के कुल सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में ड्रोन उद्योग की हिस्सेदारी 1.5 प्रतिशत हो जाएगी.
फिक्की और ईवाई की संयुक्त रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि ड्रोन इंडस्ट्री का मार्केट साइज वर्ष 2025 तक 81,600 करोड़ रुपये तक पहुंच जाएगा, और वर्ष 2030 तक यह बढ़कर 2.50 लाख करोड़ रुपये होने की संभावना है.
रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि साइंस और टेक्नोलॉजी के साथ-साथ कृषि, बीमा, स्वास्थ्य और खुदरा क्षेत्र में भी ड्रोन का व्यापक उपयोग किया जा सकता है. ये आंकड़े दर्शातें है कि इस क्षेत्र का CAGR (Compound Annual Growth Rate) लगभग 30% होगा, इसके के साथ ही ड्रोन उद्योग में लगभग 1 मिलियन कुशल ड्रोन ऑपरेटरों और तकनीशियनों की आवश्यकता होने की संभावनाएं भी पनप रही है.
यदि हमारे पास पर्याप्त कुशल जनशक्ति नहीं होगी, तो कंपनियों को कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है. 2025 तक अनुमानित है कि भारत में 1 मिलियन नए रोजगार के अवसर उत्पन्न होंगे, लेकिन इनमें से 65% को स्किल्ड वर्कफोर्स की आवश्यकता होगी. इस आंकड़े से यह स्पष्ट है कि हमें जल्द से जल्द कुशल श्रमिकों की प्रशिक्षण व्यवस्था करनी होगी.
ड्रोन सेक्टर में काम कर रही कुछ कंपनियां कौशल को लेकर गंभीरता से काम कर रही है, AVPL International भी उन्हीं में से एक है. इस कंपनी ने विभिन्न स्थानों पर प्रशिक्षण केंद्र खोले हैं, जहां लोग ड्रोन तकनीक और इसके उपयोग के बारे में जानकारी प्राप्त कर रहे हैं. इतना ही नहीं ड्रोन की दुनियां में वर्कफोर्स की कमी को भरने के लिए AVPL International ने अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद् के साथ हाथ मिलाया है. AVPL International के द्वारा पहले वर्ष के दौरान अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद् से प्रमाणित तकनीकी शिक्षण सस्थानों में 50 एरो-विज़न ड्रोन लैब विकसित होगी और प्रति वर्ष 25 हजार युवाओं को तकनीकी शिक्षण के साथ ड्रोन स्किल में प्रशिक्षण दिया जायेगा. ये पहल आने वाले समय में ड्रोन सेक्टर के लिए एक बहुत बड़ी वर्कफोर्स तैयार कर सकेगी.
ड्रोन उद्योग के विशेषज्ञों का कहना है कि सरकार को अपने अगले कदम के तहत देश के विभिन्न क्षेत्रों में प्रशिक्षण केंद्र और औद्योगिक क्लस्टर विकसित करने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए. AVPL International फाउंडर व एमडी प्रीत संधू ने यह भी सुझाव दिया कि सरकार को तकनीक-आधारित प्रोत्साहन की योजना पर विचार करना चाहिए. इसके साथ ही, भविष्य की मांग को देखते हुए देश में कई वर्ड इनक्यूबेशन केंद्रों की संख्या को बढ़ाने की आवश्यकता है.
ड्रोन सेक्टर में प्रशिक्षण अवसंरचना एक महत्वपूर्ण पहलू
हमें प्रशिक्षण अवसंरचना में निवेश करने की आवश्यकता है. यह न केवल युवाओं के लिए रोजगार के अवसर पैदा करेगा, बल्कि देश के विकास में भी मदद करेगा. इसके लिए ड्रोन सेक्टर में काम कर रही हर छोटी बड़ी कंपनी व विभिन्न सरकारी संस्थानों को एकजुट होकर काम करना जरुरी है.
ड्रोन विशेषज्ञों का मानना है, ड्रोन सेक्टर में दक्ष कर्मचारियों की कमी को पूरा करने के लिए अलग-अलग जगहों पर ऐसे केंद्र खोलने की जरूरत है, जोकि युवाओं और महिलाओं को तकनीकी प्रशिक्षण दें. साथ ही कंपनियों के साथ मिलकर ऐसे कार्यक्रम तैयार करना होगा, जिसमे उद्योग की वास्तविक जरूरतों के अनुसार प्रशिक्षण पाठ्यक्रमों को उद्योग की मांग के अनुरूप ढाला जा सकेगा. ऑनलाइन और ऑफलाइन पाठ्यक्रम की शुरुआत करनी चाहिए, शिक्षा के लिए दोनों तरीकों का इस्तेमाल कर अधिक से अधिक युवाओं को प्रशिक्षण प्रदान किया जा सकता है.
ड्रोन कौशल में दक्ष व्यक्ति को प्रशिक्षण प्रमाणपत्र प्रदान करने के साथ-साथ ड्यूल सर्टिफिकेट का भी प्रावधान किया जाना चाहिए ताकि उनकी योग्यता और विश्वसनीयता बढ़ सके.
आधुनिक उद्योग की मांगों को पूरा करने के लिए एक मजबूत प्रशिक्षण अवसंरचना बनाना आवश्यक है. यह हमारे युवाओं के लिए नए अवसर खोलेगा और समग्र विकास में योगदान करेगा.
(images: AVPL International)
Edited by रविकांत पारीक