सियासत की निर्विवाद शख्सियत ओम बिड़ला लोकसभा के नए स्पीकर
कोटा (राजस्थान) में छात्र राजनीति से शुरुआत कर सत्ता के शिखर तक पहुंच रहे ओम बिड़ला नए लोकसभा अध्यक्ष होने जा रहे हैं। वह अपनी निर्विवाद छवि, पार्टी की कर्मठ योग्यता, सधे रणनीतिकार के रूप में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की इस मंशा के अनुकूल पाए गए हैं कि भाजपा में अब ऊर्जावान चेहरों को तरजीह दी जाएगी।
समस्त पूर्वानुमानों और अटकलों पर विराम लगाते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोकसभा के नए स्पीकर के मामले में अनुभव पर 56 वर्षीय ऊर्जावान चेहरे को तरजीह दी है। मोदी पहले ही संसदीय दल की बैठक में कह चुके थे कि जिम्मेदारी देने के मामले में वरिष्ठता की जगह गुणवत्ता, निपुणता और तत्परता को मापदंड बनाया जाएगा। राजस्थान के बूंदी से सांसद ओम बिड़ला लोकसभा के नए अध्यक्ष होंगे।
राजस्थान सरकार में संसदीय सचिव रहे एवं वैश्य बिरादरी से ताल्लुक रखने वाले सिर्फ दो बार के सांसद ओम बिड़ला सियासत में लीक से हटकर काम करने वाली शख्सियत के रूप में जाने जाते हैं। वह पिछले सत्र में कई संसदीय समितियों में शामिल होने के साथ ही राजस्थान की तत्कालीन मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के साथ अपने बेहतर तालमेल के लिए भी जाने जाते हैं। नाम तय होने के बाद बिड़ला ने मंगलवार को स्पीकर पद के लिए नामांकन भर दिया। उन्हें राजग में शामिल दलों के अलावा वाईएसआर कांग्रेस, बीजेडी (कुल 10 दलों) का समर्थन हासिल है।
गौरतलब है कि जीएसटी लागू होने के बाद वैश्य बिरादरी भाजपा से नाराज रह चुकी है। हालांकि लोकसभा चुनाव में यह बिरादरी पार्टी के खिलाफ खड़ी नहीं हुई तो इसके पीछे बिड़ला का ही सधा हुआ विवेक माना जाता है। बिड़ला की यह भी खूबी गिनी जाती है कि वसुंधरा विरोधी खेमे को साधने में भी भाजपा की ताकत बन चुके हैं। बिड़ला के चयन में माना जा रहा है कि भाजपा राजस्थान में नेतृत्व की नई पीढ़ी तैयार करने में जुटी है। बूंदी से दूसरी बार सांसद बिड़ला तीन बार राजस्थान विधानसभा के सदस्य भी रह चुके हैं। विधायक रहते हुए उन्होंने संसदीय सचिव की जिम्मेदारी संभाली थी। स्पीकर उम्मीदवार बनाने में बिड़ला की निर्विवाद छवि और काम पर ध्यान केंद्रित रह कर विवाद से दूर रहने की रणनीति काम आई है।
पिता श्रीकृष्ण बिड़ला और माता का शकुंतला देवी के घर चार दिसंबर 1962 को जन्मे ओम बिड़ला की पत्नी अमिता बिड़ला चिकित्सक हैं। उनके दो बेटे और दो बेटियां हैं। वह सहकारी समितियों के चुनाव में भी सक्रिय रहा करते हैं। वर्ष 1992 से 1995 तक वह राष्ट्रीय सहकारी संघ लिमिटेड के उपाध्यक्ष रह चुके हैं। कोटा में सहकारी समितियों में आज भी उनकी सक्रियता रहती है। वह वर्ष 2006 में कोटा और बूंदी में स्वतंत्रता दिवस के मौको पर पंद्रह हजार से अधिक अधिकारियों को सम्मानित कर सुर्खियों में आ चुके हैं।
इसके अलावा उन्होंने एक बार गंभीर मरीजों के इलाज के लिए एक बार पचास लाख रुपए की मदद की थी। छात्र राजनीति ने इस देश को कई बड़े नेता दिए। ओम बिड़ला भी उसी सियासी सरगर्मी की देन रहे हैं। महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय से पढ़े-लिखे बिड़ला 1979 में छात्र संघ अध्यक्ष रहे। सक्रिय राजनीति में उतरने के लिए वे भारतीय जनता युवा मोर्चो से जुड़े। पहले प्रदेश अध्यक्ष फिर उसके बाद राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बने। 2003 में भाजपा के टिकट पर कोटा से चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे। लगातार तीन बार विधायक भी बने।