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अख़बार बेंचने वाले की बेटी ने पास की हरियाणा सिविल सेवा परीक्षा, अब यूपीएससी को बनाया है अगला लक्ष्य

अख़बार बेंचने वाले की बेटी ने पास की हरियाणा सिविल सेवा परीक्षा, अब यूपीएससी को बनाया है अगला लक्ष्य

Tuesday January 14, 2020 , 2 min Read

हरियाणा के पंचकूला में अखबार विक्रेता की बेटी ने हरियाणा सिविल सेवा पास कर अपनी परिवार के साथ ही अपने जिले का नाम भी रोशन कर दिया है।

शिवजीत भारती

शिवजीत भारती ने की हरियाणा सिविल सेवा पास



हरियाणा के पंचकूला में अखबार बेंचने वाले की बेटी ने हरियाणा सिविल सेवा की परीक्षा पास कर एक नया मुकाम हासिल किया है। बेटी अपनी सफलता का श्रेय अपने परिवार को दे रही है।


पंचकूला के जयसिंहपुरा गाँव निवासी शिवजीत भारती के पिता गुरनाम सैनी अख़बार बेंचते हैं, आज उनकी बेटी ने अख़बारों में अपना नाम कर लिया है। हरियाणा सिविल सेवा (एग्जीक्यूटिव) परीक्षा में महज 48 अभ्यर्थी पास हुए हैं, इनमे से एक शिवजीत हैं।


गौरतलब है कि शिवजीत अपने परिवार की पहली सदस्य हैं, जो जिन्होने सरकारी नौकरी हासिल की है। शिवजीत के अनुसार घर में भले ही आर्थिक तंगी का माहौल रहा हो लेकिन उनके पिता ने इस समस्या को कभी सपनों के आड़े नहीं आने दिया, उनके इस विश्वास का ही नतीजा है कि शिवजीत ने आज यह मुकाम हासिल किया है।


शिवजीत ने साल 2015 में पंजाब विश्वविद्यालय, चंडीगढ़ से गणित (ऑनर्स) में स्नातक की पढ़ाई पूरी कि है, शिवजीत इस दौरान स्कूली बच्चों को ट्यूशन देकर खर्चे उठाती रहीं।



शिवजीत जिस गाँव से आती हैं वहाँ पितृसत्ता का बोलबाला है, ऐसे में उनकी सफलता और भी खास हो जाती है। शिवजीत के पिता ने उनके कठिन परिस्थितियों के बावजूद आगे की तैयारियों के लिए दिल्ली भेजा।


शिवजीत अभी यूपीएससी परीक्षा की तैयारी कर रही हैं। शिवजीत के अनुसार यूपीएससी परीक्षा की तैयारी के दौरान ही उन्होने हरियाणा सिविल सेवा के लिए आवेदन किया और पहली ही बार में यह परीक्षा पास कर ली।


इस सफलता के बाद अब शिवजीत का आत्मविश्वास और बढ़ गया है। उनका मानना है कि अब वे यूपीएससी परीक्षा में भी बेहतर करेंगी।


शिवजीत के पिता जहां अखबार बेंचते हैं, वहीं उनकी माँ आँगनवाड़ी कार्यकर्ता हैं। शिवजीत तीन भाई-बहनों में सबसे बड़ी हैं। उनकी छोटी बहन लोक प्रशासन विषय पर परास्नातक कर रही है। एक अखबार विक्रेता होने के नाते शिवजीत के पिता को बेहद कठिन परिश्रम करना पड़ता है, उन्हे एक साल में महज चार का ही अवकाश मिलता है, ऐसे में वो हर सुबह तड़के उठकर अख़बार बेंचने निकाल पड़ते हैं।